ETV Bharat / bharat

कोक स्टूडियो की 'सुनचड़ी' गायिका की 15 साल में हो गई थी शादी, घास लेने जाते समय गुनगुनाने वाली लड़की हुई वर्ल्ड फेमस - Folk Singer Kamala Devi

Folk Singer Kamala Devi Interview इन दिनों कोक स्टूडियो भारत का एक गीत 'सुनचड़ी' दुनिया भर में धूम मचा रहा है. इस गीत में बॉलीवुड गायिका नेहा कक्कड़ उत्तराखंड की लोक गायिका कमला देवी के साथ जुगलबंदी करती नजर आ रही हैं. पॉप, हिपहॉप और वेस्टर्न म्यूजिक के साथ उत्तराखंड की अमर प्रेम कहानी राजुला मालुसाई का फ्यूजन लोगों को खूब पसंद आ रहा है. इसके साथ ही एक अनाम लोक गायिका को अंतरराष्ट्रीय मंच मिल गया है. इन दिनों कमला देवी अनुभव बांटने पिथौरागढ़ आई हैं. हमने उनके बात की.

Folk Singer Kamala Devi Interview
कमला देवी. (Photo- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 11, 2024, 1:52 PM IST

Updated : Jun 11, 2024, 4:46 PM IST

कमला देवी से खास बातचीत. (ETV Bharat)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोकगायिका कमला देवी ने उत्तराखंड के फोक को कोक स्टूडियो तक ले जाकर दुनिया भर में फैला दिया है. कमला देवी बागेश्वर के गरुड़ रहने वाली हैं. लोक गीतों का आशीर्वाद उन्हें विरासत के रूप में उनके पिता से मिला है. वह बचपन से ही तमाम स्थानीय लोक गीत झोड़ा, चांछड़ी इत्यादि गाती आयी हैं. वो हुड़का भी बजाती हैं.

कोड स्टूडियो से चमकीं लोक गायिका कमला देवी: कमला देवी को जो प्रसिद्धि उत्तराखंड के फेमस लोकगीत राजुला मालुसाई से मिली है, वो अद्भुत है. कमला देवी कोक स्टूडियो से अपना अनुभव साझा करते हुए एक वीडियो में बताती हैं कि वह बचपन से अपने पिता जी को सुनती आयी हैं. वहीं इसके अलावा हुड़की बोल जो कि पहाड़ों में धान की रोपाई के साथ गए जाते हैं, अन्य भी कई तरह के लोकल फोक कमला देवी ने अलग अलग मंचों पर गाये हैं. अब वह इसे दुनियाभर में ले जाने का काम कर रही हैं.

गायन के अनुभव बांटने निकलीं कमला देवी: कमला देवी इन दिनों पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपने कोक स्टूडियो और लोक संस्कृति का अनुभव लोगों को बांट रही हैं. चौकोड़ी पहुंची लोक गायिका कमला देवी से ईटीवी भारत संवाददाता प्रदीप महरा के साथ अपने कोक स्टूडियो तक पहुंचने की कहानी को बताया. उन्होंने कहा कि कभी सोचा भी नहीं था कि अतंरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे पाऊंगी. बचपन से गाना गाने का शौक था. कभी स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखा. कभी कोई औपचारिक प्रशिक्षण तक नहीं लिया. एक अनपढ़ होने के बाद भी मंच मिला है.

'सुनचड़ी' से फेमस हुईं कमला देवी: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वालीं कमला देवी के कंठ में साक्षात सरस्वती निवास करती हैं. वह उत्तराखंड की जागर गायिका हैं. कमला देवी बताती हैं कि उनका बचपन गाय-भैंसों के साथ जंगल और खेत-खलिहानों के बीच बीता. इस बीच 15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. ससुराल आईं तो यहां भी घर, खेतीबाड़ी में ही लगी रहीं. वह कहती हैं कि उन्हें न्यौली, छपेली, राजुला, मालुसाई, हुड़की बोल आदि गीतों को गाने का शौक था.

कमला के सुरों में हैं सरस्वती: जंगल जाते वक्त वह गुनगुनातीं और अपनी सहेलियों को भी सुनाती थीं. कमला देवी ने आकाशवाणी अल्मोड़ा में भी प्रस्तुति दी. वह कहती हैं कि उन्हें देहरादून भी पहली बार शिरोमणि पंत ने ही दिखाया था. अपने 40 साल के करियर का श्रेय वह शिरोमणि पंत को ही देती हैं. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कमला देवी प्रदेश की स्वर कोकिला हैं. प्रदेश सरकार के द्वारा इन्हें लोक संस्कृति का ब्रांड एम्बेसडर बनाना चाहिए, जिससे प्रदेश की लोक संस्कृति को मंच मिल सके.

दुनिया में 'नाम', अपने प्रदेश में 'अनाम': आज भले की लोक गायिका कमला देवी ने अंतरराष्ट्रीय मंच कोक स्टूडियो पर उत्तराखंड की छाप बना दी है, लेकिन अभी तक उत्तराखंड सरकार के लोक संस्कृति के वाहक संस्कृति और सूचना विभाग ने कमला देवी को एक सम्मान तक नहीं दिया है. सरकार चाहे तो कमला देवी के माध्यम से प्रदेश की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य कर सकती है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंडी संस्कृति में रंगा कोक स्टूडियो भारत, राजुला मालुसाई की प्रेम कथा पर नेहा कक्कड़ और कमला देवी ने गाया 'सुनचड़ी'

कमला देवी से खास बातचीत. (ETV Bharat)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोकगायिका कमला देवी ने उत्तराखंड के फोक को कोक स्टूडियो तक ले जाकर दुनिया भर में फैला दिया है. कमला देवी बागेश्वर के गरुड़ रहने वाली हैं. लोक गीतों का आशीर्वाद उन्हें विरासत के रूप में उनके पिता से मिला है. वह बचपन से ही तमाम स्थानीय लोक गीत झोड़ा, चांछड़ी इत्यादि गाती आयी हैं. वो हुड़का भी बजाती हैं.

कोड स्टूडियो से चमकीं लोक गायिका कमला देवी: कमला देवी को जो प्रसिद्धि उत्तराखंड के फेमस लोकगीत राजुला मालुसाई से मिली है, वो अद्भुत है. कमला देवी कोक स्टूडियो से अपना अनुभव साझा करते हुए एक वीडियो में बताती हैं कि वह बचपन से अपने पिता जी को सुनती आयी हैं. वहीं इसके अलावा हुड़की बोल जो कि पहाड़ों में धान की रोपाई के साथ गए जाते हैं, अन्य भी कई तरह के लोकल फोक कमला देवी ने अलग अलग मंचों पर गाये हैं. अब वह इसे दुनियाभर में ले जाने का काम कर रही हैं.

गायन के अनुभव बांटने निकलीं कमला देवी: कमला देवी इन दिनों पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपने कोक स्टूडियो और लोक संस्कृति का अनुभव लोगों को बांट रही हैं. चौकोड़ी पहुंची लोक गायिका कमला देवी से ईटीवी भारत संवाददाता प्रदीप महरा के साथ अपने कोक स्टूडियो तक पहुंचने की कहानी को बताया. उन्होंने कहा कि कभी सोचा भी नहीं था कि अतंरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे पाऊंगी. बचपन से गाना गाने का शौक था. कभी स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखा. कभी कोई औपचारिक प्रशिक्षण तक नहीं लिया. एक अनपढ़ होने के बाद भी मंच मिला है.

'सुनचड़ी' से फेमस हुईं कमला देवी: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वालीं कमला देवी के कंठ में साक्षात सरस्वती निवास करती हैं. वह उत्तराखंड की जागर गायिका हैं. कमला देवी बताती हैं कि उनका बचपन गाय-भैंसों के साथ जंगल और खेत-खलिहानों के बीच बीता. इस बीच 15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. ससुराल आईं तो यहां भी घर, खेतीबाड़ी में ही लगी रहीं. वह कहती हैं कि उन्हें न्यौली, छपेली, राजुला, मालुसाई, हुड़की बोल आदि गीतों को गाने का शौक था.

कमला के सुरों में हैं सरस्वती: जंगल जाते वक्त वह गुनगुनातीं और अपनी सहेलियों को भी सुनाती थीं. कमला देवी ने आकाशवाणी अल्मोड़ा में भी प्रस्तुति दी. वह कहती हैं कि उन्हें देहरादून भी पहली बार शिरोमणि पंत ने ही दिखाया था. अपने 40 साल के करियर का श्रेय वह शिरोमणि पंत को ही देती हैं. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कमला देवी प्रदेश की स्वर कोकिला हैं. प्रदेश सरकार के द्वारा इन्हें लोक संस्कृति का ब्रांड एम्बेसडर बनाना चाहिए, जिससे प्रदेश की लोक संस्कृति को मंच मिल सके.

दुनिया में 'नाम', अपने प्रदेश में 'अनाम': आज भले की लोक गायिका कमला देवी ने अंतरराष्ट्रीय मंच कोक स्टूडियो पर उत्तराखंड की छाप बना दी है, लेकिन अभी तक उत्तराखंड सरकार के लोक संस्कृति के वाहक संस्कृति और सूचना विभाग ने कमला देवी को एक सम्मान तक नहीं दिया है. सरकार चाहे तो कमला देवी के माध्यम से प्रदेश की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य कर सकती है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंडी संस्कृति में रंगा कोक स्टूडियो भारत, राजुला मालुसाई की प्रेम कथा पर नेहा कक्कड़ और कमला देवी ने गाया 'सुनचड़ी'

Last Updated : Jun 11, 2024, 4:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.