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56 साल बाद हुआ शहीद का अंतिम संस्कार, नम आखों से दी गई विदाई, देशभक्ति के जयकारों से गूंजी देवभूमि - Narayan Singh Bisht Last Rites - NARAYAN SINGH BISHT LAST RITES

Martyr Narayan Singh Bisht, Air Force Plane Crash 1968 भारतीय वायुसेना विमान हादसे में शहीद लापता सैनिक नारायण सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी पहुंचा तो सबकी आंखें नम हो गई. आज उन्हें अंतिम विदाई दी गई. वायुसने का यह विमान 56 साल पहले यानी 1968 में रोहतांग दर्रा में ढाका ग्लेशियर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. जिसमें चमोली जिले के नारायण सिंह भी सवार थे, जो इस हादसे के बाद लापता वे लापता चल रहे थे. जिनका पार्थिव शरीर हाल ही मिला था.

Martyr Narayan Singh Bisht
सैनिक नारायण सिंह बिष्ट की विदाई (फोटो सोर्स- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 3, 2024, 4:58 PM IST

चमोली (उत्तराखंड): करीब 56 साल पहले भारतीय वायुसेना विमान हादसे में शहीद सैनिक नारायण सिंह बिष्ट पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. आज थराली स्थित उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी में सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई. शहीद नारायण सिंह का पैतृक घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को विदाई देते वक्त सबकी आंखें नम हो गई.

7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुनसेना का विमान हुआ था दुर्घटनाग्रस्त: बता दें कि 56 साल पहले यानी 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायु सेना का AN12 विमान छह क्रू सदस्यों के साथ चंडीगढ़ से उड़ान भरकर लेह पहुंचा था. ताकि, भारतीय सेना के जवानों को लेह से चंडीगढ़ वापस लाया जा सके. जवानों को लेकर विमान ने लेह से उड़ान भरी, लेकिन चंडीगढ़ की ओर बढ़ते समय खराब मौसम की वजह से विमान रोहतांग दर्रा में ढाका गलेशियर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस विमान में चालक दल समेत 102 लोग सवार थे.

शहीद नारायण सिंह का अंतिम संस्कार (वीडियो सोर्स- ETV Bharat)

सैनिकों की खोज के लिए चलाए गए विशेष अभियान: इस विमान दुर्घटना में सवार सैनिकों की खोज के लिए भारतीय सेना, अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान समेत तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू और डोगरा स्काउट ने कई बार खोज अभियान चलाया. साल 2004, 2007, 2013 और 2019 में जवानों की तलाश में विशेष अभियान को चलाया गया. वहीं, साल 2019 में सेना के पांच जवानों के अवशेष भी मिले थे.

इस तरह से हुई नारायण सिंह की पहचान: वहीं, अब साल 2024 में चार अन्य जवानों के अवशेष मिले. जिनमें से एक उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट भी शामिल थे. नारायण सिंह बिष्ट आर्मी मेडिकल कोर में तैनात थे. जानकारी के मुताबिक, उनकी नेम प्लेट और बरामद दस्तावेजों के आधार पर उनके नाम और उनकी पत्नी बसंती देवी के नाम की पुष्टि हुई. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को 2 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी लाया गया.

Martyr Narayan Singh Bisht
बिलख उठे परिजन और ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

56 साल बाद गांव पहुंचा नारायण सिंह का पार्थिव शरीर: शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद उनके पैतृक गांव पहुंचने पर पूरा गांव भारत मां के जयकारों और 'नारायण सिंह अमर रहे' से गुंजायमान हो गया. शहीद के परिजन बताते हैं कि नारायण सिंह की शहादत गांव के लिए गौरव की बात है. सेना ने 56 साल बाद भी शहीद की खोजबीन कर उनके पार्थिव शरीर को उचित सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी है.

Martyr Narayan Singh Bisht
कोलपुड़ी में नारायण सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

सुजान सिंह ने दी पार्थिव शरीर को मुखाग्नि: परिजनों का कहना है कि शहीद नारायण सिंह के विमान दुर्घटना में लापता होने के बाद उनकी धर्मपत्नी बसंती देवी और शहीद नारायण सिंह के पिता महेंद्र सिंह का जीवन अभावग्रस्त बीता. हालांकि, बाद में बसंती देवी ने अपने देवर से ब्याह कर लिया और साल 2011 में उनका भी निधन हो गया. शहीद की पत्नी बसंती देवी के दो बेटे हैं, जिनमें से सुजान सिंह ने शहीद नारायण सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी.

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चमोली (उत्तराखंड): करीब 56 साल पहले भारतीय वायुसेना विमान हादसे में शहीद सैनिक नारायण सिंह बिष्ट पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. आज थराली स्थित उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी में सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई. शहीद नारायण सिंह का पैतृक घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को विदाई देते वक्त सबकी आंखें नम हो गई.

7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुनसेना का विमान हुआ था दुर्घटनाग्रस्त: बता दें कि 56 साल पहले यानी 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायु सेना का AN12 विमान छह क्रू सदस्यों के साथ चंडीगढ़ से उड़ान भरकर लेह पहुंचा था. ताकि, भारतीय सेना के जवानों को लेह से चंडीगढ़ वापस लाया जा सके. जवानों को लेकर विमान ने लेह से उड़ान भरी, लेकिन चंडीगढ़ की ओर बढ़ते समय खराब मौसम की वजह से विमान रोहतांग दर्रा में ढाका गलेशियर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस विमान में चालक दल समेत 102 लोग सवार थे.

शहीद नारायण सिंह का अंतिम संस्कार (वीडियो सोर्स- ETV Bharat)

सैनिकों की खोज के लिए चलाए गए विशेष अभियान: इस विमान दुर्घटना में सवार सैनिकों की खोज के लिए भारतीय सेना, अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान समेत तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू और डोगरा स्काउट ने कई बार खोज अभियान चलाया. साल 2004, 2007, 2013 और 2019 में जवानों की तलाश में विशेष अभियान को चलाया गया. वहीं, साल 2019 में सेना के पांच जवानों के अवशेष भी मिले थे.

इस तरह से हुई नारायण सिंह की पहचान: वहीं, अब साल 2024 में चार अन्य जवानों के अवशेष मिले. जिनमें से एक उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट भी शामिल थे. नारायण सिंह बिष्ट आर्मी मेडिकल कोर में तैनात थे. जानकारी के मुताबिक, उनकी नेम प्लेट और बरामद दस्तावेजों के आधार पर उनके नाम और उनकी पत्नी बसंती देवी के नाम की पुष्टि हुई. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को 2 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी लाया गया.

Martyr Narayan Singh Bisht
बिलख उठे परिजन और ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

56 साल बाद गांव पहुंचा नारायण सिंह का पार्थिव शरीर: शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद उनके पैतृक गांव पहुंचने पर पूरा गांव भारत मां के जयकारों और 'नारायण सिंह अमर रहे' से गुंजायमान हो गया. शहीद के परिजन बताते हैं कि नारायण सिंह की शहादत गांव के लिए गौरव की बात है. सेना ने 56 साल बाद भी शहीद की खोजबीन कर उनके पार्थिव शरीर को उचित सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी है.

Martyr Narayan Singh Bisht
कोलपुड़ी में नारायण सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

सुजान सिंह ने दी पार्थिव शरीर को मुखाग्नि: परिजनों का कहना है कि शहीद नारायण सिंह के विमान दुर्घटना में लापता होने के बाद उनकी धर्मपत्नी बसंती देवी और शहीद नारायण सिंह के पिता महेंद्र सिंह का जीवन अभावग्रस्त बीता. हालांकि, बाद में बसंती देवी ने अपने देवर से ब्याह कर लिया और साल 2011 में उनका भी निधन हो गया. शहीद की पत्नी बसंती देवी के दो बेटे हैं, जिनमें से सुजान सिंह ने शहीद नारायण सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी.

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