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देव स्नान पूर्णिमा पर जगन्नाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - Snana Yatra 2024 - SNANA YATRA 2024

Snana Yatra 2024 Lord Jagannath: ओडिशा में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान पूर्णिमा के अवसर पर भारी संख्या में भक्त पहुंचे. आज के दिन भगवान जगन्नाथ का स्नान कराने की परंपरा है. भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा से पहले देव स्नान किया जाता है.

Lord Jagannath Snana Yatra
जगन्नाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ (ETV Bharat Odisha Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 22, 2024, 11:47 AM IST

देव स्नान पूर्णिमा (ETV Bharat Odisha Desk)

पुरी: ओडिशा के पुरी में शनिवार को भगवान जगन्नाथ का शुभ स्नान समारोह का भव्य आयोजन किया गया. इसे देव स्नान पूर्णिमा को 'स्नान यात्रा' भी कहा जाता है. जानकारों के मुताबिक पुरी के श्रीमंदिर में इसका विषेष महत्व है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार 'ज्येष्ठ' महीने की पूर्णिमा के दिन भगवान श्री जगन्नाथ की स्नान यात्रा शुरू हो गई है. पवित्र त्रिदेव सुगंधित जल के 108 घड़ों से स्नान करेंगे.

Lord Jagannath Snana Yatra
जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat Odisha Desk)

फिर देवता भगवान गणेश के रूप में भक्तों को दर्शन देंगे. आमतौर पर साल में एक बार भगवान जगन्नाथ जल से स्नान करते हैं. इस दिन को जगन्नाथ के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने के लिए 35 घड़े पानी का इस्तेमाल किया जाता है. बलभद्र के लिए 33 घड़े पानी, देवी सुभद्रा के लिए 22 और भगवान सुदर्शन के लिए 18 घड़े पानी का इस्तेमाल किया जाता है.

Lord Jagannath Snana Yatra
देव स्नान पूर्णिमा (ETV Bharat Odisha Desk)

शनिवार को देव स्नान पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की 'स्नान यात्रा' देखने के लिए हजारों श्रद्धालु पुरी में एकत्र हुए. सभी देवताओं को स्नान कराने के लिए स्नान मंडप में लाया गया. लाखों भक्त अनुष्ठान देखने के लिए मंदिर के बाहर एकत्रित हुए. देवताओं को जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से स्नान मंडप तक एक भव्य जुलूस के रूप में ले जाया जाता है, एक ऊंचे मंच पर स्नान अनुष्ठान होता है.

Lord Jagannath Snana Yatra
जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान पूर्णिमा (ETV Bharat Odisha Desk)

भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहनों बलभद्र और सुभद्रा के साथ गर्भगृह से स्नान मंडप तक लाए जाते हैं, जो एक विशेष स्नान मंच है. इस दिन, देवताओं को पवित्र जल के 108 घड़ों के साथ एक औपचारिक स्नान कराया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह प्रथा उन्हें शुद्ध करने और सम्मान देने के लिए की जाती है. यह उन दुर्लभ अवसरों में से एक है जब देवता सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं. भक्तों को प्रसिद्ध रथ यात्रा से पहले नजदीक से दर्शन करने को मिलता है.

ये भी पढ़ें- खोला जाएगा पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, जानिए क्या है वजह - Puri Shri Jagannath Temple

देव स्नान पूर्णिमा (ETV Bharat Odisha Desk)

पुरी: ओडिशा के पुरी में शनिवार को भगवान जगन्नाथ का शुभ स्नान समारोह का भव्य आयोजन किया गया. इसे देव स्नान पूर्णिमा को 'स्नान यात्रा' भी कहा जाता है. जानकारों के मुताबिक पुरी के श्रीमंदिर में इसका विषेष महत्व है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार 'ज्येष्ठ' महीने की पूर्णिमा के दिन भगवान श्री जगन्नाथ की स्नान यात्रा शुरू हो गई है. पवित्र त्रिदेव सुगंधित जल के 108 घड़ों से स्नान करेंगे.

Lord Jagannath Snana Yatra
जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat Odisha Desk)

फिर देवता भगवान गणेश के रूप में भक्तों को दर्शन देंगे. आमतौर पर साल में एक बार भगवान जगन्नाथ जल से स्नान करते हैं. इस दिन को जगन्नाथ के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने के लिए 35 घड़े पानी का इस्तेमाल किया जाता है. बलभद्र के लिए 33 घड़े पानी, देवी सुभद्रा के लिए 22 और भगवान सुदर्शन के लिए 18 घड़े पानी का इस्तेमाल किया जाता है.

Lord Jagannath Snana Yatra
देव स्नान पूर्णिमा (ETV Bharat Odisha Desk)

शनिवार को देव स्नान पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की 'स्नान यात्रा' देखने के लिए हजारों श्रद्धालु पुरी में एकत्र हुए. सभी देवताओं को स्नान कराने के लिए स्नान मंडप में लाया गया. लाखों भक्त अनुष्ठान देखने के लिए मंदिर के बाहर एकत्रित हुए. देवताओं को जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से स्नान मंडप तक एक भव्य जुलूस के रूप में ले जाया जाता है, एक ऊंचे मंच पर स्नान अनुष्ठान होता है.

Lord Jagannath Snana Yatra
जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान पूर्णिमा (ETV Bharat Odisha Desk)

भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहनों बलभद्र और सुभद्रा के साथ गर्भगृह से स्नान मंडप तक लाए जाते हैं, जो एक विशेष स्नान मंच है. इस दिन, देवताओं को पवित्र जल के 108 घड़ों के साथ एक औपचारिक स्नान कराया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह प्रथा उन्हें शुद्ध करने और सम्मान देने के लिए की जाती है. यह उन दुर्लभ अवसरों में से एक है जब देवता सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं. भक्तों को प्रसिद्ध रथ यात्रा से पहले नजदीक से दर्शन करने को मिलता है.

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