ETV Bharat / bharat

ताज ट्रेपेजियम जोन में रातों-रात 454 पेड़ों की कटाई पर SC सख्त, कहा- 'स्थिति चौंकाने वाली' - TAJ TRAPEZIUM ZONE

Taj Trapezium Zone, सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की अवैध कटाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि स्थिति चौंकाने वाली है.

SUPREME COURT
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
author img

By Sumit Saxena

Published : Nov 29, 2024, 8:56 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ताज ट्रेपेजियम जोन में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि मथुरा में रातों-रात 454 पेड़ों की कटाई 'चौंकाने वाली स्थिति' है और ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) में शाम 6 बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे के बीच पूर्व अनुमति के बिना भी पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया.

बता दें कि टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने टीटीजेड में पेड़ों की अवैध कटाई की मुद्दा उठाने वाली याचिका पर उक्त टिप्पणी की. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक निजी पक्ष, डालमिया फार्म्स को अवमानना ​​नोटिस जारी किया, जिसने 18 और 19 सितंबर की मध्य रात्रि में संरक्षित वन के 32 पेड़ों के अलावा निजी भूमि पर 422 पेड़ों को गिराया था.

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि रिपोर्ट “चौंकाने वाली स्थिति का खुलासा करती है कि 18-19 सितंबर, 2024 की रात को 454 पेड़ों को अवैध रूप से गिराया गया था. इनमें से 422 पेड़ निजी भूमि पर थे, जिसे डालमिया फार्म, जिला मथुरा के नाम से जाना जाता है, और शेष 32 पेड़ संरक्षित वन का हिस्सा थे." पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में पेड़ों का विवरण भी संलग्न किया गया है और रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि यह घोर अवैध कार्रवाई रिपोर्ट में नामित व्यक्तियों द्वारा की गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के 8 मई, 2015 के आदेश का उल्लंघन है.

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के पैराग्राफ 8 में उल्लिखित व्यक्ति सिविल अवमानना ​​के दोषी हैं, इसलिए हम 16 दिसंबर तक जवाब देने योग्य नोटिस जारी करते हैं और स्थल पर यथास्थिति बनाए रखी जाए. पीठ ने मथुरा जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे संबंधित एसएचओ को निर्देश दें कि वे मौके पर जाएं और कानून के अनुसार लकड़ी जब्त करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आगे कोई पेड़ न काटा जाए.

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों में संशोधन पर विचार करे, ताकि वृक्षों की कटाई के लिए दंड का प्रावधान बढ़ाया जा सके तथा दंड के बदले अपराधों में शमन किया जा सके, ताकि निवारक प्रभाव डाला जा सके. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पेड़ों की कटाई के लिए निजी भूमि के मालिकों के खिलाफ उत्तर प्रदेश वृक्ष अधिनियम 1976, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वन अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की गई है. भाटी ने तर्क दिया कि अदालत को टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए जुर्माना बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों को अवैध रूप से पेड़ों को काटने से रोका जा सके.

ये भी पढ़ें- SC ने पनीरसेल्वम के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बहाल करने के मद्रास HC के आदेश पर रोक लगाई

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ताज ट्रेपेजियम जोन में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि मथुरा में रातों-रात 454 पेड़ों की कटाई 'चौंकाने वाली स्थिति' है और ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) में शाम 6 बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे के बीच पूर्व अनुमति के बिना भी पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया.

बता दें कि टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने टीटीजेड में पेड़ों की अवैध कटाई की मुद्दा उठाने वाली याचिका पर उक्त टिप्पणी की. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक निजी पक्ष, डालमिया फार्म्स को अवमानना ​​नोटिस जारी किया, जिसने 18 और 19 सितंबर की मध्य रात्रि में संरक्षित वन के 32 पेड़ों के अलावा निजी भूमि पर 422 पेड़ों को गिराया था.

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि रिपोर्ट “चौंकाने वाली स्थिति का खुलासा करती है कि 18-19 सितंबर, 2024 की रात को 454 पेड़ों को अवैध रूप से गिराया गया था. इनमें से 422 पेड़ निजी भूमि पर थे, जिसे डालमिया फार्म, जिला मथुरा के नाम से जाना जाता है, और शेष 32 पेड़ संरक्षित वन का हिस्सा थे." पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में पेड़ों का विवरण भी संलग्न किया गया है और रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि यह घोर अवैध कार्रवाई रिपोर्ट में नामित व्यक्तियों द्वारा की गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के 8 मई, 2015 के आदेश का उल्लंघन है.

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के पैराग्राफ 8 में उल्लिखित व्यक्ति सिविल अवमानना ​​के दोषी हैं, इसलिए हम 16 दिसंबर तक जवाब देने योग्य नोटिस जारी करते हैं और स्थल पर यथास्थिति बनाए रखी जाए. पीठ ने मथुरा जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे संबंधित एसएचओ को निर्देश दें कि वे मौके पर जाएं और कानून के अनुसार लकड़ी जब्त करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आगे कोई पेड़ न काटा जाए.

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों में संशोधन पर विचार करे, ताकि वृक्षों की कटाई के लिए दंड का प्रावधान बढ़ाया जा सके तथा दंड के बदले अपराधों में शमन किया जा सके, ताकि निवारक प्रभाव डाला जा सके. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पेड़ों की कटाई के लिए निजी भूमि के मालिकों के खिलाफ उत्तर प्रदेश वृक्ष अधिनियम 1976, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वन अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की गई है. भाटी ने तर्क दिया कि अदालत को टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए जुर्माना बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों को अवैध रूप से पेड़ों को काटने से रोका जा सके.

ये भी पढ़ें- SC ने पनीरसेल्वम के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बहाल करने के मद्रास HC के आदेश पर रोक लगाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.