शिमला: मारपीट के एक मामले के बाद सुर्खियों में आई शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली की मस्जिद को लेकर शनिवार का दिन नए मोड़ वाला साबित होगा. शनिवार को नगर निगम शिमला के कमिश्नर कोर्ट में मस्जिद मामले में निर्माण को लेकर सुनवाई होगी. नगर निगम शिमला के कमिश्नर भूपेंद्र अत्री की अदालत में सुनवाई होगी. इससे पहले मामले में 44 पेशियां हो चुकी हैं. अब मस्जिद का कंट्रोल और व्यवस्था वक्फ बोर्ड के पास है.
कल वक्फ बोर्ड की तरफ से कानूनी नुमाइंदा कमिश्नर कोर्ट में पैरवी करेगा. अमूमन कमिश्नर भूपेंद्र अत्री उनके समक्ष आए मामलों की सुनवाई त्वरित रूप से करते हैं. दोपहर दो बजे तक सुनवाई पूरी होने के आसार हैं. इस बीच, शुक्रवार को संजौली उपनगर में स्थिति तनावपूर्ण रही. मस्जिद में 20 के करीब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज पढ़ी. संजौली बाजार में मस्जिद की तरफ जाने वाले सभी रास्तों में पुलिस बल तैनात है. आधुनिक हथियारों से लैस पुलिस की ये तैनाती संजौली वासियों के लिए हैरत की बात है. उन्होंने ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा.
कमिश्नर कोर्ट में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम: शनिवार को होने वाली सुनवाई के लिए कमिश्नर कोर्ट के आसपास भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे. इस बारे में जिला प्रशासन भी मुस्तैद है. देश भर से मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधि भी शिमला पहुंचे हुए हैं. ऐसे में सभी की नजरें कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हुई हैं. उधर, हिंदू संगठनों के तेवर इस मामले को लेकर लगातार तीखे बने हुए हैं.
हिंदू जागरण मंच के पूर्व प्रांत महामंत्री कमल गौतम का कहना है कि अवैध निर्माण को गिराया जाना चाहिए. प्रदेश सरकार के जिम्मेदार मंत्री भी इस अवैध निर्माण की विधानसभा के भीतर चर्चा कर चुके हैं और उसे गिराने के लिए मांग रख चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि जब निर्माण अवैध साबित हो चुका है तो उसे गिराया जाना चाहिए.
वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने की किसी को भी इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने सौहार्द के लिए जाना जाता है और सरकार हर कीमत पर इस सौहार्द की रक्षा करेगी.
क्या है पूरा मामला: शिमला के सबसे बड़े उपनगर में चौक के समीप निचली तरफ को एक मस्जिद स्थित है. पहले ये मामूली सा ढांचा हुआ करता था. बाद में धीरे-धीरे निर्माण बढ़ता गया और अब ये पांच मंजिला स्ट्रक्चर है. कुछ समय पहले मस्जिद में अवैध निर्माण कर बनाए गए तीन शौचालय नगर निगम ने तुड़वा दिए थे. अब बताया जा रहा है कि ऊपर की चार मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है.
यहां तक कि मस्जिद के इमाम ने भी स्वीकार किया कि अवैध निर्माण हुआ है. अब कमिश्नर कोर्ट में पूरे मामले में अवैध निर्माण, बिना अनुमति के काम करने और नक्शे की मंजूरी आदि बिंदुओं पर सुनवाई होगी. मामले में एमसी एक्ट व टीसीपी एक्ट दोनों के प्रावधानों को कसौटी पर परखा जाएगा. जिस तरह से ये मामला मल्कियत और कब्जे आदि को लेकर उलझा हुआ है, वैसे में उम्मीद कम है कि इस पर जल्द ही कोई फैसला आएगा.
मंत्री ने अपनी ही सरकार को सवालों के घेरे में किया खड़ा: इस मामले ने तूल तब पकड़ा, जब ये सदन में चर्चा के लिए आया. नियम-62 के तहत भाजपा विधायक बलवीर वर्मा ने सदन में मामला उठाया. ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में अपनी ही सरकार को से मांग कर डाली कि अवैध निर्माण गिराया जाना चाहिए. मंत्री ने कहा कि संजौली में वर्ष 2010 में बिना परमिशन के मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया है. इस समय यहां 2500 वर्ग फुट गैर कानूनी निर्माण है. शिकायत के बाद वर्ष 2012 में इस मामले की निगम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई. फिर भी ये लोग नहीं माने और अवैध निर्माण निरंतर जारी रहा. मंत्री ने कहा कि 26 जून 2013 को मामले की सुनवाई में मस्जिद को प्रस्तावित प्लान में माना गया और उसमें कमियां पाई गई. मंत्री ने हैरानी जताई कि वर्ष 2010 से केस चल रहा है और 2019 तक चार अतिरिक्त मंजिलों का अवैध निर्माण कर दिया गया.
हजारों वर्ग फुट अवैध निर्माण: ग्रामीण विकास मंत्री ने खुलासा किया कि अब तक 6357 वर्गफुट अवैध निर्माण हो गया है. चिंता की बात है कि सलीम टेलर नामक जो व्यक्ति केस की सुनवाई में आ रहा था, उसके बारे में वर्ष 2023 में निगम को पता चलता है कि उसका केस से लेना-देना ही नहीं है. मंत्री ने कहा कि जो जमीन प्रतिवादी की बताई जा रही है, उसका मालिकाना हक सरकार का है. प्रतिवादी केवल कब्जाधारी है.
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