नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी शरजील इमाम को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के मामले में वैधानिक जमानत दे दी है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया. हालांकि इस आदेश के बावजूद शरजील इमाम जेल से बाहर नहीं आ पाएगा, क्योंकि दिल्ली दंगे की बड़ी साजिश के मामले में भी वो जेल में बंद है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि, दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर हिंसा की साजिश रची गई. दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील इमाम का भाषण लोगों को उकसाने के लिए था. शरजील ने अपने भाषण में कहा था कि अगर आप सड़कों पर नहीं उतरोगे तो वे लोग समाप्त कर देंगे. उसके सभी भाषण एक समान थे जिसमें चक्का जाम, बाबरी, ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 की चर्चा थी. शरजील इमाम ने चिकन नेक कॉरिडोर जाम कर उत्तर-पूर्व के हिस्से को देश के बाकी हिस्सों के काटने की भी बात की थी.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 11 मार्च को शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. शरजील इमाम की ओर से पेश वकील ने कहा था कि शरजील ने अधिकतम 7 साल की सजा की आधी सजा काट ली है. ऐसे में उसको तत्काल जेल से रिहा किया जाए. याचिका में कहा गया है कि शरजील इमाम 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है.
इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने 17 फरवरी को शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दरअसल 30 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़कड़डूमा कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर 17 फरवरी तक सुनवाई पूरी करे. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रावधानों में कुछ भ्रम है. सवाल ये है कि क्या यूएपीए के तहत कोई आरोपी आधी सजा पूरी करने के बाद अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए के तहत जमानत पाने का हकदार है?
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शरजील की वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि, अपराध की गंभीरता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है. दिल्ली पुलिस का कहना था कि, सिर्फ इसलिए कि आरोपी ने उसके ऊपर दर्ज मामलों में मिलने वाली अधिकतम सजा का आधा हिस्सा जेल मे बिता लिया है, इस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती है.
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