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'शाही ईदगाह स्थल ही श्री कृष्ण की जन्मभूमि', हिंदू पक्ष ने HC में पुरातात्विक साक्ष्यों का हवाला देकर किया दावा - Shri Krishna Janmabhoomi Case

शाही ईदगाह स्थल ही श्री कृष्ण की जन्मभूमि है. हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में पुरातात्विक साक्ष्यों का हवाला देकर ये कहा गया.

Shri Krishna Janmabhoomi Case
Shri Krishna Janmabhoomi Case (photo credit: etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 8, 2024, 6:41 AM IST

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में मंदिर पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि शाही ईदगाह स्थल ही श्री कृष्ण की जन्मभूमि है. सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने एएसआई की रिर्पोट का हवाला दिया गया. उनका कहना था कि एएसआई की जांच में पुरातात्विक खनन के दौरान ईदगाह के अंदर स्थित कुएं से श्रीकृष्ण के मूल गर्भगृह के मंदिर की आठ फुट की चौखट मिल चुकी है. उस चौखट के आगे के भाग पर नक्काशी की हुई है. चौखट के पीछे के भाग में ब्राह्मी लिपि में अंकित है कि यह भगवान वासुदेव का महास्थान है. यह चौखट मथुरा के सरकारी म्यूजियम में रखी हुई है.

सुप्रीम कोर्ट की वकील ने मंदिर पक्ष की ओर से कई प्रमाणिक संदर्भों का उल्लेख किया. कहा कि खनन में राधा-कृष्ण की मूर्तियों के अवशेष भी मिले हैं. साथ ही कहा कि इस मामले में लिमिटेशन एक्ट व वक्फ एक्ट लागू नहीं होते हैं.

वहीं, अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने अपनी दलील में कहा कि एएसआई अधिनियम 1904 के अंतर्गत विवादित स्थल अनुरक्षित है, जो आज तक विद्यमान है. इस कारण यह उपासना स्थल अधिनियम के तहत नहीं आता है. पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर कंस कारागार को आंशिक रूप से परिवर्तित कर वहां उपस्थित विग्रहों को हटाकर उसे शाही ईदगाह के रूप में उपयोग किया जाने लगा.एएसआई से सर्वेक्षण कराने पर वहां साक्ष्य मिल जाएंगे। सुनवाई के लिए अगली तिथि 15 मई निर्धारित की गई है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता हरेराम त्रिपाठी, अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता विनय शर्मा, राणाप्रताप सिंह, विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी सहित अन्य अधिवक्ता पक्ष रखने के लिए मौजूद रहे.

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में मंदिर पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि शाही ईदगाह स्थल ही श्री कृष्ण की जन्मभूमि है. सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने एएसआई की रिर्पोट का हवाला दिया गया. उनका कहना था कि एएसआई की जांच में पुरातात्विक खनन के दौरान ईदगाह के अंदर स्थित कुएं से श्रीकृष्ण के मूल गर्भगृह के मंदिर की आठ फुट की चौखट मिल चुकी है. उस चौखट के आगे के भाग पर नक्काशी की हुई है. चौखट के पीछे के भाग में ब्राह्मी लिपि में अंकित है कि यह भगवान वासुदेव का महास्थान है. यह चौखट मथुरा के सरकारी म्यूजियम में रखी हुई है.

सुप्रीम कोर्ट की वकील ने मंदिर पक्ष की ओर से कई प्रमाणिक संदर्भों का उल्लेख किया. कहा कि खनन में राधा-कृष्ण की मूर्तियों के अवशेष भी मिले हैं. साथ ही कहा कि इस मामले में लिमिटेशन एक्ट व वक्फ एक्ट लागू नहीं होते हैं.

वहीं, अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने अपनी दलील में कहा कि एएसआई अधिनियम 1904 के अंतर्गत विवादित स्थल अनुरक्षित है, जो आज तक विद्यमान है. इस कारण यह उपासना स्थल अधिनियम के तहत नहीं आता है. पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर कंस कारागार को आंशिक रूप से परिवर्तित कर वहां उपस्थित विग्रहों को हटाकर उसे शाही ईदगाह के रूप में उपयोग किया जाने लगा.एएसआई से सर्वेक्षण कराने पर वहां साक्ष्य मिल जाएंगे। सुनवाई के लिए अगली तिथि 15 मई निर्धारित की गई है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता हरेराम त्रिपाठी, अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता विनय शर्मा, राणाप्रताप सिंह, विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी सहित अन्य अधिवक्ता पक्ष रखने के लिए मौजूद रहे.

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