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वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में पहली पसंद बना त्रियुगीनारायण मंदिर, बैसाखी के दिन हुए 14 विवाह, जानें यहां की पूरी प्रोसेस - wedding destination Triyuginarayan

Shiv Parvati Marriage Venue Triyuginarayan देवभूमि उत्तराखंड में अनेक मान्यताओं वाले धार्मिक स्थल हैं. इन्हीं में से एक है त्रियुगीनारायण मंदिर. रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान शिव और देवी पार्वती ने विवाह किया था. जिस अग्नि कुंड को साक्षी मानकर उन्होंने सात फेरे लिए, ऐसी मान्यता है कि उस अग्नि कुंड में आज भी अग्नि प्रज्ज्वलित है. इसीलिए सनातन धर्म के लोगों में त्रियुगीनारायण में विवाह कराने का क्रेज है. बैसाखी के दिन त्रियुगीनारायण मंदिर में 14 विवाह संपन्न हुए. आज हम आपको त्रियुगीनारायण में विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन और विवाह की विधि बताते हैं.

TRIYUGINARAYAN TEMPLE
त्रियुगीनारायण मंदिर
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 22, 2024, 11:46 AM IST

Updated : Apr 22, 2024, 12:03 PM IST

रुद्रप्रयाग: प्रसिद्ध शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में अपनी अलग पहचान बनाता जा रहा है. इन दिनों बड़ी संख्या में लोग वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार यहां अपना विवाह संपन्न करवा रहे हैं. बैसाखी के दिन यहां 14 शादियां संपन्न हुईं. उसके बाद भी लगातार यहां शादियां होती जा रही हैं. उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के अनेक हिस्सों से लोग यहां विवाह संपन्न करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.

शिव पार्वती का विवाह स्थल है त्रियुगीनारायण: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगी गांव में भगवान नारायण का मंदिर स्थित है. मान्यता है कि इस मंदिर में बने हवन कुंड को साक्षी मानकर भगवान शिव और मां पार्वती ने सात फेरे लिए थे. ऐसी मान्यता है कि जिस कुंड की अग्नि को साक्षी मानकर भगवान शिव और मां पार्वती ने फेरे लिए थे, उस कुंड में तब से लगातार आग जलती चली आ रही है. यही कारण है की लोग अब भगवान शिव और मां पार्वती को साक्षी मानकर यहां अपना विवाह संपन्न करवा रहे हैं. अब देश के अनेक हिस्सों से लोग यहां विवाह संपन्न करवाने के लिए पहुंच रहे हैं. त्रियुगी गांव के लोगों और स्थानीय तीर्थ पुरोहित समाज के प्रयासों से आज त्रियुगीनारायण मंदिर की अलग पहचान बन चुकी है. चारधाम यात्रा के समय भी लाखों लोग दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं.

त्रियुगीनारायण में ये है विवाह की विधि: त्रियुगीनारायण मंदिर में वैदिक पद्धति से विवाह संस्कार संपन्न होते हैं. यहां पर सबसे पहले सात फेरे लिए जाते हैं. फिर मंदिर के हवन कुंड में वर वधू चार परिक्रमाएं करते हैं. इसके बाद यहां जयमाला संपन्न होती है.

पहले कराना होता है रजिस्ट्रेशन: विवाह संपन्न करवाने के लिए यहां सबसे पहले तीर्थ पुरोहित समाज के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. रजिस्ट्रेशन के बाद तीर्थ पुरोहित यजमान के अनुसार यहां पर व्यवस्था करते हैं. वर और वधू की ओर से भी पंडित की व्यवस्था यहां पर तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से की जाती है. हल्दी हाथ के अलावा सात फेरों के समय भी यहां पर स्थानीय महिलाओं की मांगल टीम उपलब्ध है.

त्रियुगीनारायण में हैं ये सुविधाएं: त्रियुगीनारायण में रहने और खाने की पर्याप्त व्यवस्था है. केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से 12 किमी दूर त्रियुगीनारायण मंदिर स्थित है. यहां पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल के साथ ही स्थानीय लोगों के होटल लॉज हैं, जहां आराम से ठहरा जा सकता है.
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शिव पार्वती का विवाह स्थल है त्रियुगीनारायण: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगी गांव में भगवान नारायण का मंदिर स्थित है. मान्यता है कि इस मंदिर में बने हवन कुंड को साक्षी मानकर भगवान शिव और मां पार्वती ने सात फेरे लिए थे. ऐसी मान्यता है कि जिस कुंड की अग्नि को साक्षी मानकर भगवान शिव और मां पार्वती ने फेरे लिए थे, उस कुंड में तब से लगातार आग जलती चली आ रही है. यही कारण है की लोग अब भगवान शिव और मां पार्वती को साक्षी मानकर यहां अपना विवाह संपन्न करवा रहे हैं. अब देश के अनेक हिस्सों से लोग यहां विवाह संपन्न करवाने के लिए पहुंच रहे हैं. त्रियुगी गांव के लोगों और स्थानीय तीर्थ पुरोहित समाज के प्रयासों से आज त्रियुगीनारायण मंदिर की अलग पहचान बन चुकी है. चारधाम यात्रा के समय भी लाखों लोग दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं.

त्रियुगीनारायण में ये है विवाह की विधि: त्रियुगीनारायण मंदिर में वैदिक पद्धति से विवाह संस्कार संपन्न होते हैं. यहां पर सबसे पहले सात फेरे लिए जाते हैं. फिर मंदिर के हवन कुंड में वर वधू चार परिक्रमाएं करते हैं. इसके बाद यहां जयमाला संपन्न होती है.

पहले कराना होता है रजिस्ट्रेशन: विवाह संपन्न करवाने के लिए यहां सबसे पहले तीर्थ पुरोहित समाज के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. रजिस्ट्रेशन के बाद तीर्थ पुरोहित यजमान के अनुसार यहां पर व्यवस्था करते हैं. वर और वधू की ओर से भी पंडित की व्यवस्था यहां पर तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से की जाती है. हल्दी हाथ के अलावा सात फेरों के समय भी यहां पर स्थानीय महिलाओं की मांगल टीम उपलब्ध है.

त्रियुगीनारायण में हैं ये सुविधाएं: त्रियुगीनारायण में रहने और खाने की पर्याप्त व्यवस्था है. केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से 12 किमी दूर त्रियुगीनारायण मंदिर स्थित है. यहां पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल के साथ ही स्थानीय लोगों के होटल लॉज हैं, जहां आराम से ठहरा जा सकता है.
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Last Updated : Apr 22, 2024, 12:03 PM IST
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