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हरियाणा में "7" के भंवर में फंसी BJP...एक क्लिक में जानिए किन वजहों से मुरझा रहा "कमल" ? - Lok Sabha Election results 2024

Seven reasons for BJP loss of 5 seats in Haryana : हरियाणा के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटें जीती, जबकि बीजेपी 10 सीटों में से 5 सीटें गंवाते हुए इस बार हरियाणा में सिर्फ 5 सीटें ही जीत पाई. साल 2009 के बाद हरियाणा के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का अब तक का ये सबसे खराब प्रदर्शन है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि बीजेपी को हरियाणा में इतनी बड़ी हार का सामना क्यों करना पड़ा. आखिर क्यों बीजेपी को हरियाणा में 5 सीटें गंवानी पड़ी. हरियाणा में बीजेपी की इस बड़ी हार के पीछे 7 वजह है जिसे हम सिलसिलेवार ढंग से आपको आगे बताएंगे.

Seven reasons for BJP loss of 5 seats in Haryana PM Narendra Modi Rahul Gandhi Bjp Congress Lok Sabha Election results 2024
हरियाणा में "7" के भंवर में फंसी BJP (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 5, 2024, 10:05 PM IST

चंडीगढ़ : 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में बीजेपी का प्रदर्शन साल 2019 के मुकाबले काफी ज्यादा खराब रहा. यहां तक कि ये राज्य में 2009 के बाद बीजेपी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, जबकि साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अपनी परफॉर्मेंस सुधारते हुए 7 सीटें जीत ली थी. वहीं साल 2019 के चुनाव में तो राज्य में बीजेपी का बोल-बाला रहा और बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर कब्जा कर लिया था.

हरियाणा में आखिर क्यों मुरझाया "कमल" ? : ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार हरियाणा में आसमान की बुलंदियां छू रहा "कमल" क्यों मुरझा रहा है. क्या इस हार के लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार है या राज्य सरकार की नीतियां. आखिरकार बीजेपी से कहां पर गलती हुई जिसके चलते उसे हरियाणा में इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा. साथ ही इस हार ने बीजेपी को क्या सीख दी है, क्योंकि राज्य में लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे हरियाणा में बीजेपी के लिए किसी ख़तरे की घंटी से कम नहीं है. चलिए जानते हैं कि हरियाणा में बीजेपी के इस ख़राब प्रदर्शन के पीछे वो कौन सी 7 वजह रही.

1) हरियाणा में किसानों-जाटों की नाराज़गी : हरियाणा के चुनाव में किसानों और जाटों की नाराज़गी बीजेपी की हार के पीछे एक बड़ा फैक्टर है. पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन और जाटों की लगातार चल रही नाराज़गी को पार्टी अनदेखा करती रही. अंबाला में किसानों ने खुलकर सरकार का विरोध किया लेकिन पार्टी ने इसे हरियाणा के किसानों के बजाय पंजाब के किसानों की नाराजगी बताया जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा. किसानों की नाराज़गी का आलम चुनाव प्रचार के दौरान भी देखने को मिला जब अशोक तंवार समेत कई बीजेपी नेताओं को कई जगहों पर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा. वहीं राज्य में बीजेपी ने गैर जाट की राजनीति को बढ़ावा दिया जिससे जाट वोट बैंक बीजेपी के खिलाफ हो गया. जाटों ने इस बार कांग्रेस के लिए वोटिंग की जिससे बीजेपी को नुकसान पहुंचा.

2) किसान आंदोलन, रेल रोको आंदोलन से परेशानियां : हरियाणा में किसान आंदोलन और रेल रोको आंदोलन के दौरान आम लोगों को काफी ज्यादा परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. किसान आंदोलन के दौरान जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई जिससे लोगों को आने-जाने में काफी ज्यादा दिक्कतें हुई. बिजनेस कर रहे व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. जिलों में इंटरनेट बंद करना पड़ा जिससे एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स और उनके परिवारों को परेशानियां झेलनी पड़ी. वहीं हाल ही में हुए किसानों के रेल रोको आंदोलन के दौरान स्टेशन पर पहुंच रहे लोगों को भारी परेशानियां हुई. घंटों उन्हें ट्रेन का इंतज़ार करना पड़ा. साथ ही ट्रेन ना होने पर दूसरी जगहों पर दूसरे साधनों के जरिए जाने के लिए ज्यादा पैसे तक चुकाने पड़े जिससे लोगों में सरकार के खिलाफ काफी ज्यादा नाराज़गी देखी गई.

3) चेहरे बदलने का दांव रहा फेल : हरियाणा में बीजेपी को ग्राउंड रिएलिटी का एहसास चुनाव के पहले हो गया था जिसके बाद उसने राज्य में सीएम का चेहरा बदल डाला और मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाते हुए नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंप दी. वहीं बीजेपी ने अंडर करंट को देखते हुए कई मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतारा लेकिन लेकिन जनता ने इन नए चेहरों को खारिज कर दिया.

4) एंटी इनकंबेंसी : हरियाणा में बीजेपी पिछले 10 सालों से सत्ता पर काबिज़ है, ऐसे में सरकार के खिलाफ राज्य में एंटी इनकंबेंसी थी, लेकिन बीजेपी के नेताओं ने इसे अनदेखा किया जिसके चलते बीजेपी को राज्य में टफ फाइट का सामना करना पड़ा और 5 सीटें तक गंवानी पड़ी.

5) "अग्निवीर" स्कीम से नाराज़गी : अग्निवीर का मुद्दा हरियाणा राज्य के लिए एक बड़ा मुद्दा है. हरियाणा से हर साल बड़ी संख्या में युवा सेना का रुख करते हैं. रोहतक, रेवाड़ी, भिवानी, झज्जर समेत बाकी जगहों में सेना को लेकर युवाओं में दीवानगी है और बड़ी तादाद में युवा सेना में भर्ती होते हैं. केंद्र सरकार ने जब अग्निवीर स्कीम युवाओं के लिए लॉन्च की, उससे सेना में जाने के इच्छुक हरियाणा के युवाओं और उनके परिवारों में सरकार के खिलाफ नाराज़गी का भाव था. यहां तक कि मोदी सरकार में मंत्री रहे गुड़गांव से सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने खुलेआम कहा था कि वे अग्निवीर स्कीम में बदलाव चाहते हैं और सरकार आने पर केंद्र में अपनी बात जरूर रखेंगे. उनका ये बयान बताने के लिए काफी है कि अग्निवीर स्कीम का हरियाणा में क्या असर है. आपको याद होगा कि युवाओं के मूड को भांपते हुए चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस सरकार आते ही वे 4 जून को अग्निवीर स्कीम को कूड़ेदान में फेंक देंगे. उनके इस बयान का भी कांग्रेस पार्टी को फायदा मिला.

6) बेरोज़गारी : लोकसभा चुनाव के दौरान बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा रहा. पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा में बेरोज़गारी दर काफी ज्यादा हाई रही. हालांकि सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कई कदम उठाए लेकिन वे इतने ज्यादा काफी नहीं थे. वहीं रोजगार के लिए हरियाणा सरकार ने युवाओं को वॉर ज़ोन इजराइल तक भेजने का फैसला लिया जिसे कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया था.

7) परेशानियों का पोर्टल : हरियाणा में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए. सरकारी योजनाओं के लिए पोर्टल बनाए गए. खराब फसलों के मुआवजे के लिए पोर्टल पर अप्लाई करना जरूरी कर दिया गया. सरकार के इन कदमों से करप्शन पर काफी हद तक लगाम लगी, लेकिन इंटरनेट और कंप्यूटर का सही नॉलेज ना होने के चलते काफी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. हरियाणा में कांग्रेस ने इसे भी मुद्दा बनाया और यहां तक कह दिया कि हरियाणा में पोर्टल राज चल रहा है.

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चंडीगढ़ : 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में बीजेपी का प्रदर्शन साल 2019 के मुकाबले काफी ज्यादा खराब रहा. यहां तक कि ये राज्य में 2009 के बाद बीजेपी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, जबकि साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अपनी परफॉर्मेंस सुधारते हुए 7 सीटें जीत ली थी. वहीं साल 2019 के चुनाव में तो राज्य में बीजेपी का बोल-बाला रहा और बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर कब्जा कर लिया था.

हरियाणा में आखिर क्यों मुरझाया "कमल" ? : ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार हरियाणा में आसमान की बुलंदियां छू रहा "कमल" क्यों मुरझा रहा है. क्या इस हार के लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार है या राज्य सरकार की नीतियां. आखिरकार बीजेपी से कहां पर गलती हुई जिसके चलते उसे हरियाणा में इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा. साथ ही इस हार ने बीजेपी को क्या सीख दी है, क्योंकि राज्य में लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे हरियाणा में बीजेपी के लिए किसी ख़तरे की घंटी से कम नहीं है. चलिए जानते हैं कि हरियाणा में बीजेपी के इस ख़राब प्रदर्शन के पीछे वो कौन सी 7 वजह रही.

1) हरियाणा में किसानों-जाटों की नाराज़गी : हरियाणा के चुनाव में किसानों और जाटों की नाराज़गी बीजेपी की हार के पीछे एक बड़ा फैक्टर है. पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन और जाटों की लगातार चल रही नाराज़गी को पार्टी अनदेखा करती रही. अंबाला में किसानों ने खुलकर सरकार का विरोध किया लेकिन पार्टी ने इसे हरियाणा के किसानों के बजाय पंजाब के किसानों की नाराजगी बताया जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा. किसानों की नाराज़गी का आलम चुनाव प्रचार के दौरान भी देखने को मिला जब अशोक तंवार समेत कई बीजेपी नेताओं को कई जगहों पर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा. वहीं राज्य में बीजेपी ने गैर जाट की राजनीति को बढ़ावा दिया जिससे जाट वोट बैंक बीजेपी के खिलाफ हो गया. जाटों ने इस बार कांग्रेस के लिए वोटिंग की जिससे बीजेपी को नुकसान पहुंचा.

2) किसान आंदोलन, रेल रोको आंदोलन से परेशानियां : हरियाणा में किसान आंदोलन और रेल रोको आंदोलन के दौरान आम लोगों को काफी ज्यादा परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. किसान आंदोलन के दौरान जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई जिससे लोगों को आने-जाने में काफी ज्यादा दिक्कतें हुई. बिजनेस कर रहे व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. जिलों में इंटरनेट बंद करना पड़ा जिससे एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स और उनके परिवारों को परेशानियां झेलनी पड़ी. वहीं हाल ही में हुए किसानों के रेल रोको आंदोलन के दौरान स्टेशन पर पहुंच रहे लोगों को भारी परेशानियां हुई. घंटों उन्हें ट्रेन का इंतज़ार करना पड़ा. साथ ही ट्रेन ना होने पर दूसरी जगहों पर दूसरे साधनों के जरिए जाने के लिए ज्यादा पैसे तक चुकाने पड़े जिससे लोगों में सरकार के खिलाफ काफी ज्यादा नाराज़गी देखी गई.

3) चेहरे बदलने का दांव रहा फेल : हरियाणा में बीजेपी को ग्राउंड रिएलिटी का एहसास चुनाव के पहले हो गया था जिसके बाद उसने राज्य में सीएम का चेहरा बदल डाला और मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाते हुए नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंप दी. वहीं बीजेपी ने अंडर करंट को देखते हुए कई मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतारा लेकिन लेकिन जनता ने इन नए चेहरों को खारिज कर दिया.

4) एंटी इनकंबेंसी : हरियाणा में बीजेपी पिछले 10 सालों से सत्ता पर काबिज़ है, ऐसे में सरकार के खिलाफ राज्य में एंटी इनकंबेंसी थी, लेकिन बीजेपी के नेताओं ने इसे अनदेखा किया जिसके चलते बीजेपी को राज्य में टफ फाइट का सामना करना पड़ा और 5 सीटें तक गंवानी पड़ी.

5) "अग्निवीर" स्कीम से नाराज़गी : अग्निवीर का मुद्दा हरियाणा राज्य के लिए एक बड़ा मुद्दा है. हरियाणा से हर साल बड़ी संख्या में युवा सेना का रुख करते हैं. रोहतक, रेवाड़ी, भिवानी, झज्जर समेत बाकी जगहों में सेना को लेकर युवाओं में दीवानगी है और बड़ी तादाद में युवा सेना में भर्ती होते हैं. केंद्र सरकार ने जब अग्निवीर स्कीम युवाओं के लिए लॉन्च की, उससे सेना में जाने के इच्छुक हरियाणा के युवाओं और उनके परिवारों में सरकार के खिलाफ नाराज़गी का भाव था. यहां तक कि मोदी सरकार में मंत्री रहे गुड़गांव से सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने खुलेआम कहा था कि वे अग्निवीर स्कीम में बदलाव चाहते हैं और सरकार आने पर केंद्र में अपनी बात जरूर रखेंगे. उनका ये बयान बताने के लिए काफी है कि अग्निवीर स्कीम का हरियाणा में क्या असर है. आपको याद होगा कि युवाओं के मूड को भांपते हुए चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस सरकार आते ही वे 4 जून को अग्निवीर स्कीम को कूड़ेदान में फेंक देंगे. उनके इस बयान का भी कांग्रेस पार्टी को फायदा मिला.

6) बेरोज़गारी : लोकसभा चुनाव के दौरान बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा रहा. पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा में बेरोज़गारी दर काफी ज्यादा हाई रही. हालांकि सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कई कदम उठाए लेकिन वे इतने ज्यादा काफी नहीं थे. वहीं रोजगार के लिए हरियाणा सरकार ने युवाओं को वॉर ज़ोन इजराइल तक भेजने का फैसला लिया जिसे कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया था.

7) परेशानियों का पोर्टल : हरियाणा में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए. सरकारी योजनाओं के लिए पोर्टल बनाए गए. खराब फसलों के मुआवजे के लिए पोर्टल पर अप्लाई करना जरूरी कर दिया गया. सरकार के इन कदमों से करप्शन पर काफी हद तक लगाम लगी, लेकिन इंटरनेट और कंप्यूटर का सही नॉलेज ना होने के चलते काफी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. हरियाणा में कांग्रेस ने इसे भी मुद्दा बनाया और यहां तक कह दिया कि हरियाणा में पोर्टल राज चल रहा है.

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