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दिल्ली की तरफ किसानों का पैदल मार्च, शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने रोका - FARMERS PROTEST ON DELHI BORDERS

प्रदर्शन कर रहे किसानों को शंभू बॉर्डर पर दिल्ली की ओर बढ़ने से रोक दिया गया है. पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की भारी तैनाती है.

शंभू बाॅर्डर पर मोर्चा लगाकर बैठे हैं किसान
शंभू बाॅर्डर पर मोर्चा लगाकर बैठे हैं किसान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 6, 2024, 11:33 AM IST

Updated : Dec 6, 2024, 2:26 PM IST

नई दिल्ली: शम्भू बॉर्डर पर 101 किसानों का एक समूह दिल्ली की ओर मार्च के लिए निकला, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया. ये किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना ही पैदल चल रहे थे. दो बैरिकेड पार कर आगे बढ़ रहे किसानों को पुलिस ने पुल पर रोक लिया. पुलिस और पैरा मिलिट्री बलों की बड़ी संख्या तैनात की गई है, साथ ही पानी की बौछार और आंसू गैस के हथियार भी तैयार हैं.

MSP के लिए कानूनी गारंटी की मांग: यह किसान आंदोलन अब अपने 297वें दिन में प्रवेश कर गया है, जबकि खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी अपने 11वें दिन में है. इस लंबे संघर्ष के बीच, किसान विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार से वार्ता करने के लिए दृढ़ हैं, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी की मांग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

हिरासत में 34 किसान: पुलिस द्वारा किए गए सुरक्षा उपायों के संदर्भ में, गुरुवार को अधिकारियों ने बताया कि नोएडा में बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में 34 किसानों को हिरासत में लिया गया था. ये किसान जीरो पॉइंट से राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल की ओर बढ़ रहे थे. पुलिस ने कहा कि हिरासत में लेने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है.

इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने हालात को नियंत्रित करने और किसानों की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति की अध्यक्षता आईएएस अनिल कुमार सागर करेंगे, जो राज्य में बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के सचिव हैं. इस समिति में और भी विशेषज्ञ सदस्यों को शामिल किया गया है, जो इस मामले को कुशलता से संभालने में मदद करेंगे.

यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन के चलते जाम से सबसे अधिक मुश्किल में मरीज, एंबुलेंस चालकों ने गिनाई ये चुनौतियां

समिति से उम्मीद की जा रही है कि वह एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार को सौंपेगी. हाल ही में, 3 दिसंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लिया था, जो अपने अधिकारों के लिए बेकरार थे. ये घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि किसानों का आंदोलन केवल एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि एक व्यापक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है, जो सरकार और किसानों के बीच संबंधों को फिर से परिभाषित कर रहा है.

यह भी पढ़ें- Farmers Protest को लेकर अलर्ट पर नोएडा पुलिस, हो रही वाहनों की चेकिंग, पुलिस बल तैनात

यह भी पढ़ें- किसानों का दिल्ली कूच बातचीत के लिए थमा, लोगों को जाम से मिली मुक्ति

नई दिल्ली: शम्भू बॉर्डर पर 101 किसानों का एक समूह दिल्ली की ओर मार्च के लिए निकला, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया. ये किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना ही पैदल चल रहे थे. दो बैरिकेड पार कर आगे बढ़ रहे किसानों को पुलिस ने पुल पर रोक लिया. पुलिस और पैरा मिलिट्री बलों की बड़ी संख्या तैनात की गई है, साथ ही पानी की बौछार और आंसू गैस के हथियार भी तैयार हैं.

MSP के लिए कानूनी गारंटी की मांग: यह किसान आंदोलन अब अपने 297वें दिन में प्रवेश कर गया है, जबकि खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी अपने 11वें दिन में है. इस लंबे संघर्ष के बीच, किसान विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार से वार्ता करने के लिए दृढ़ हैं, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी की मांग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

हिरासत में 34 किसान: पुलिस द्वारा किए गए सुरक्षा उपायों के संदर्भ में, गुरुवार को अधिकारियों ने बताया कि नोएडा में बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में 34 किसानों को हिरासत में लिया गया था. ये किसान जीरो पॉइंट से राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल की ओर बढ़ रहे थे. पुलिस ने कहा कि हिरासत में लेने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है.

इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने हालात को नियंत्रित करने और किसानों की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति की अध्यक्षता आईएएस अनिल कुमार सागर करेंगे, जो राज्य में बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के सचिव हैं. इस समिति में और भी विशेषज्ञ सदस्यों को शामिल किया गया है, जो इस मामले को कुशलता से संभालने में मदद करेंगे.

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समिति से उम्मीद की जा रही है कि वह एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार को सौंपेगी. हाल ही में, 3 दिसंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लिया था, जो अपने अधिकारों के लिए बेकरार थे. ये घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि किसानों का आंदोलन केवल एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि एक व्यापक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है, जो सरकार और किसानों के बीच संबंधों को फिर से परिभाषित कर रहा है.

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Last Updated : Dec 6, 2024, 2:26 PM IST
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