पटना: पीएम मोदी के खिलाफ देशभर के बीजेपी विरोधी दलों को एकजुट करने वाले और इंडिया गठबंधन के सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मन एक बार फिर से एनडीए की तरफ झुकता दिख रहा है. नीतीश पर प्रेशर पॉलिटिक्स के आरोप लगते रहे हैं. इस बार नीतीश की पॉलिटिक्स एक लेवल और पार कर गई है.
बिहार में होगा बड़ा खेला?: प्रेशर पॉलिटिक्स से नीतीश अपनी बात मनवाने में माहिर हैं. फिलहाल बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल से ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री जो बात मनवाना चाहते थे वो पूरी हो चुकी है. ऐसे में महागठबंधन के दोनों प्रमुख दल आरजेडी और जेडीयू की तू-तू मैं-मैं भी सामने आने लगी है. मनोज झा ने तो नीतीश से स्थिति स्पष्ट करने की मांग तक कर डाली है.
इस दिन से बदली सियासी फिजा: वहीं कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती में नीतीश ने परिवारवाद का मुद्दा उठाया. उसके बाद से एनडीए के तमाम नेताओं ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाना शुरू कर दिया है. बीजेपी लगातार परिवारवाद को लेकर लालू और कांग्रेस के साथ ही सपा को आड़े हाथों ले रही है. वहीं 2020 विधानसभा चुनाव के बाद जो परिणाम आए थे वह वैसा ही नहीं रहा बल्कि बदल गया है.
बिहार विधानसभा की वर्तमान स्थिति: 2020 में विधानसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिली थी, लेकिन बहुमत का फैसला बहुत ज्यादा नहीं था. इसीलिए 2022 में 7 अगस्त को नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर राजद कांग्रेस और वामदलों के साथ सरकार बना ली. महागठबंधन को 160 विधायकों का समर्थन मिल गया इसलिए कहीं कोई परेशानी नहीं हुई. नीतीश कुमार इस बार फिर से पाला बदलकर एनडीए के साथ सरकार बनाते हैं तो फिर बहुमत आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं रह पाएगा.
2020 विधानसभा चुनाव के बाद बदला गणित: बिहार में राजद के पास 79 विधायक हैं. वहीं जदयू के पास 45 विधायक, कांग्रेस के पास 19 विधायक और वाम दलों के पास 16 विधायक हैं. एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी जदयू को मिला हुआ है. यानी कुल 160 विधायक अभी महागठबंधन के साथ हैं. एआईएमआईएम के एक विधायक भी विपक्ष में हैं. ऐसे तो पांच विधायक एआईएमआईएम के जीत के आए थे जिसमें से चार आरजेडी में शामिल हो गए और इसलिए अब एक विधायक एआईएमआईएम के पास बच गए हैं.
नीतीश के पाला बदलने के बाद का गणित: दूसरी तरफ एनडीए की बात करें तो बीजेपी के पास 78 विधायक हैं. जीतन मांझी की पार्टी हम के पास चार विधायक यानी कुल 82 विधायकों का ही समर्थन अभी एनडीए के पास है. लेकिन पाला बदलते ही नीतीश कुमार के 45 और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन मिलने से यह संख्या 128 हो जाएगी. बहुमत का आंकड़ा 122 से 6 अधिक हो जाएगा.
लालू हुए एक्टिव: ऐसे बहुमत का यहां आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है और इसलिए बिहार की सियासत में कई तरह की चर्चा शुरू है. लालू प्रसाद यादव भी सक्रिय हो गए हैं. क्योंकि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है और अपनी तरफ से उसकी कोशिश भी शुरू हो गई है. चर्चा है कि जीतन राम मांझी से भी लालू प्रसाद यादव बात कर सकते हैं और उन्हें मनाने की कोशिश कर सकते हैं. जदयू के नाराज विधायकों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में मुश्किल बढ़ सकती है.
नीतीश उठा सकते हैं ये कदम : मुख्यमंत्री आरजेडी मंत्रियों को बर्खास्त कर सकते हैं और बीजेपी के साथ हम का समर्थन लेकर सरकार चला सकते हैं. मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री इस्तीफा देंगे तो आरजेडी के तरफ से सरकार बनाने का दावा किया जा सकता है क्योंकि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए नीतीश कुमार रिस्क नहीं लेंगे.
क्या विधानसभा भंग कर सकते हैं नीतीश?: दूसरा विधानसभा को भंग भी कर सकते हैं लेकिन इसके लिए बीजेपी तैयार नहीं दिख रही है. ऐसे में पहला वाला ऑप्शन ही तय माना जा रहा है. क्योंकि कहा जा रहा है कि बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की डील तय हो गई है. इसलिए अब बिहार में सरकार बदलना तय है. 27 जनवरी को बड़ा खेल हो सकता है. नीतीश कुमार अपने विधायकों को बुलाकर कल बैठक भी कर सकते हैं. ऐसी भी चर्चा है और फिर एनडीए की भी एक बैठक हो सकती है.
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