नई दिल्ली : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस नेता जयराम रमेश सैटेलाइट कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान के 2जी मामले से जोड़ने पर भिड़ गए हैं. सैटेलाइट कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया को मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी है. सिंधिया ने कहा कि देश ‘2जी घोटाले’ को नहीं भूल सकता, जो देश के इतिहास पर एक धब्बा है.
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘यह एक ऐसा घोटाला था, जिससे न केवल सरकारी खजाने को 1,76,645 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ, बल्कि सरकार-कॉरपोरेट गठजोड़ को उसका सबसे बुरा नाम भी मिला, जिसे साठगांठ वाला पूंजीवाद कहा जाता है.'' दूरसंचार मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में स्पेक्ट्रम आवंटन पहले आओ, पहले पाओ की पारदर्शिता-रहित नीति से किया गया, जिसके चलते घोटाले हुए और राजस्व का नुकसान हुआ.
Well done @Jairam_Ramesh for coherently chronicling the abominable 2G scam, and spelling out how the Congress ended up digging its own grave then.
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) December 17, 2024
The country cannot forget this blot on India’s history; a scam that not just led to a colossal loss of Rs. 1,76,645 Crore to the… https://t.co/47fdngxNBA pic.twitter.com/68HNJpBBDU
सिंधिया ‘एक्स’ पर रमेश की पोस्ट का जवाब दे रहे थे, जिसमें मौजूदा सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी की प्रक्रिया को संप्रग शासन के दौरान प्रशासनिक स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया से जोड़ा गया था. रमेश ने कहा कि सरकार ने रिकॉर्ड पर कहा है कि प्रशासनिक रूप से आवंटित स्पेक्ट्रम भी शुल्क युक्त हैं और यह राजस्व में योगदान देता है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति प्रधानमंत्री द्वारा कई वर्षों से जोर-शोर से की जा रही घोषणा के विपरीत है.
उल्लेखनीय है कि रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियां सैटकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम के प्रशासनित आवंटन का विरोध कर रही हैं. वहीं एलन मस्क की अगुवाई वाली स्टारलिंक भारत में इस तरह की सेवाएं शुरू करने की दौड़ में है.
सिंधिया कह चुके हैं कि तकनीकी और परिचालन संबंधी मुद्दों की वजह से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं हो सकती है. मंत्री ने कई मौकों पर कहा है कि इस स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन भी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा सुझाए गए मूल्य पर किया जाएगा.
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