नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम तथा उनके परिवार के सात सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को बहाल किया गया था. इस संबंध में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने पनीरसेल्वम द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया.
बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को एक निचवी अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें पनीरसेल्वम और उनके परिवार के सात सदस्यों के खिलाफ मामले में अभियोजन वापस लेने की अनुमति देने के साथ उन्हें आरोपियों को बरी कर दिया गया था. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति रॉय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने अभियोजन वापसी के आदेश में हस्तक्षेप किया था, जिसकी वजह से आरोपी को आरोपमुक्त कर दिया गया था तथा हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने विशेष मामलों को संबंधित विशेष अदालत की फाइल में बहाल करने का आदेश दिया था.
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने विशेष अदालत को आरोप तय करने का निर्देश इस टिप्पणी के साथ दिया था कि प्रथम दृष्टया सामग्री उपलब्ध है. पीठ ने कहा कि इन आदेशों के बाद आरोपियों को विशेष अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने सीआरपीसी के तहत प्रदत्त शक्तियों का हनन किया है और निर्णय लिया है कि विशेष न्यायाधीश को आरोप तय करने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए अपने आदेश में कहा, "नोटिस जारी करें. इस बीच, विवादित निर्णय पर रोक रहेगी."
इस वर्ष अक्टूबर में, हाईकोर्ट ने निचली अदालत के 2012 के आदेश को खारिज कर दिया, जिसने सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) को पूर्व मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के खिलाफ दर्ज 2006 के आय से अधिक संपत्ति के मामले को वापस लेने की अनुमति दी थी. मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने 29 अक्टूबर, 2024 को इस आदेश को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, सिद्धार्थ लूथरा, मुकुल रोहतगी और एस नागामुथु आरोपियों की ओर से पेश हुए.
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