नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे. ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि क्योंकि राज्य सरकार के अधिकारी गंगा में अनट्रीटेड सीवेज को डिसचार्ज होने से नहीं रोक सके, लिहाजा उनके खिलाफ मामला चलाया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार, ने शुक्रवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के इसी आदेश पर रोक लगा दी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी किया है और उन्हें जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई दिसंबर महीने के दूसरे सप्ताह में की जाएगी.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नौ फरवरी को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को "मूक दर्शक" बताया था. एनजीटी ने कहा था कि मूक दर्शक बने रहने और गंगा में अनुपचारित सीवेज के प्रवाह को रोकने के लिए आपके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए.
ट्रिब्यूनल ने अपने 151 पन्नों के आदेश में, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) के जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों और विभागों के प्रमुखों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करके दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा था कि उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने पिछले उल्लंघन के लिए पर्यावरणीय मुआवजा वसूल करेगा और वह आगे के उल्लंघन के लिए इसी तरह के मुआवजे की भी गणना कर जुर्माना लगाएगा. कोर्ट ने उससे दो महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.
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