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मुख्तार की कब्र पर फातिहा पढ़ेगा बेटा अब्बास, सुप्रीम कोर्ट से मिली इजाजत - SC Allows Abbas To Attend Fatiha - SC ALLOWS ABBAS TO ATTEND FATIHA

Interim Bail To Abbas: उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी की पिछले महीने 28 मार्च को बांदा जेल में तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद कार्डियक अरेस्ट से उसकी मौत हो गई थी.

SC allows Abbas Ansari to attend fatiha for deceased father Mukhtar Ansari.
मुख्तार अंसारी की कब्र पर फातिहा पढ़ने के लिए बेटे अब्बास को सुप्रीम कोर्ट से मिली इजाजत.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 9, 2024, 4:59 PM IST

Updated : Apr 9, 2024, 5:18 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जेल में बंद उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को उनके पिता मुख्तार अंसारी की याद में 'फातिहा' में भाग लेने की अनुमति दे दी. समारोह 10 अप्रैल को निर्धारित है. इसके साथ ही, कोर्ट ने अब्बास को 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार से मिलने की इजाजत भी दी है.

उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष अंसारी की याचिका का जोरदार विरोध किया. प्रसाद ने कहा कि वह जघन्य अपराधों के लिए सलाखों के पीछे हैं. राज्य सरकार को 10 अप्रैल को होने वाले किसी अनुष्ठान की कोई जानकारी नहीं है. अब्बास का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को परिवार साथ शोक में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत और अनुमति दी जाए. उसे कुछ दिनों के लिए उनके साथ रहना होगा और फिर वह वापस जेल चला जाएगा. सिब्बल ने कहा कि उनके पिता का निधन अलग परिस्थितियों में हुआ.

प्रसाद ने अब्बास की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कल या अगले 4-5 दिनों तक कोई समारोह नहीं है. उन्होंने कहा कि उसे चित्रकोट जेल से कासगंज जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, क्योंकि उसने चित्रकोट में एक गिरोह बनाया था. वह जेल के भीतर से गिरोह का नेतृत्व कर रहा था. वह एक हिस्ट्रीशीटर है. उसे कोई राहत देने का कोई आधार नहीं है. परिवार के सदस्यों को पोस्टमार्टम में शामिल होने की अनुमति थी, राज्य ने हस्तक्षेप नहीं किया.

सिब्बल ने दबाव डाला कि उनके मुवक्किल को 'फातिहा' में शामिल होने और परिवार के साथ कुछ दिन बिताने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने प्रसाद से कहा, 'आपका कुछ सुरक्षा उपायों की मांग करना उचित हो सकता है. ये राज्य के लिए अवसर हैं, आप जानते हैं, राज्य को आगे आना चाहिए. राज्य यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्रतिबंध लगाए जाएं, न कि यह कहें कि वह इसका हकदार नहीं है'.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका, क्योंकि वह न्यायिक हिरासत में था. हमें याचिकाकर्ता को फातिहा अनुष्ठान में शामिल होने की अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं दिखता, जो कल के लिए तय है. याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत और पर्याप्त सुरक्षा के तहत कासगंज जेल से उसके गृह नगर गाजीपुर ले जाया जाएगा'.

पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में कल अनुष्ठान में भाग लेने की अनुमति दी जाती है. कल अनुष्ठान समाप्त होने के बाद, याचिकाकर्ता को अस्थायी रूप से गाजीपुर जेल में स्थानांतरित किया जाना चाहिए. इस बीच, प्रशासन को यह सत्यापित करना चाहिए कि क्या 11 अप्रैल के बाद अन्य अनुष्ठान होने हैं. याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में रहते हुए ऐसे अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए. यदि कोई अनुष्ठान नहीं है, तो याचिकाकर्ता को 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी जाती है'.

पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को आगंतुकों (आने-जाने वाले) की तलाशी लेने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है. सुनिश्चित किया जाए कि अंसारी के पैतृक निवास या अनुष्ठान स्थल पर कोई भी व्यक्ति कोई हथियार नहीं ले जाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि अंसारी को 13 अप्रैल, 2024 को कासगंज जेल वापस लाया जाना चाहिए.

गौरतलब है, गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को उत्तर प्रदेश के बांदा के एक अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी. 30 मार्च को, मुख्तार अंसारी को सुरक्षा के बीच गाजीपुर में दफनाया गया. मुख्तार अंसारी को खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले थे. अब्बास अंसारी एक आपराधिक मामले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं. उसने अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

पढ़ें: 'माफिया' डॉन: मुख्तार, शहाबुद्दीन, अतीक और अशरफ... अपराध की दुनिया के बड़े नाम

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जेल में बंद उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को उनके पिता मुख्तार अंसारी की याद में 'फातिहा' में भाग लेने की अनुमति दे दी. समारोह 10 अप्रैल को निर्धारित है. इसके साथ ही, कोर्ट ने अब्बास को 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार से मिलने की इजाजत भी दी है.

उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष अंसारी की याचिका का जोरदार विरोध किया. प्रसाद ने कहा कि वह जघन्य अपराधों के लिए सलाखों के पीछे हैं. राज्य सरकार को 10 अप्रैल को होने वाले किसी अनुष्ठान की कोई जानकारी नहीं है. अब्बास का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को परिवार साथ शोक में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत और अनुमति दी जाए. उसे कुछ दिनों के लिए उनके साथ रहना होगा और फिर वह वापस जेल चला जाएगा. सिब्बल ने कहा कि उनके पिता का निधन अलग परिस्थितियों में हुआ.

प्रसाद ने अब्बास की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कल या अगले 4-5 दिनों तक कोई समारोह नहीं है. उन्होंने कहा कि उसे चित्रकोट जेल से कासगंज जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, क्योंकि उसने चित्रकोट में एक गिरोह बनाया था. वह जेल के भीतर से गिरोह का नेतृत्व कर रहा था. वह एक हिस्ट्रीशीटर है. उसे कोई राहत देने का कोई आधार नहीं है. परिवार के सदस्यों को पोस्टमार्टम में शामिल होने की अनुमति थी, राज्य ने हस्तक्षेप नहीं किया.

सिब्बल ने दबाव डाला कि उनके मुवक्किल को 'फातिहा' में शामिल होने और परिवार के साथ कुछ दिन बिताने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने प्रसाद से कहा, 'आपका कुछ सुरक्षा उपायों की मांग करना उचित हो सकता है. ये राज्य के लिए अवसर हैं, आप जानते हैं, राज्य को आगे आना चाहिए. राज्य यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्रतिबंध लगाए जाएं, न कि यह कहें कि वह इसका हकदार नहीं है'.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका, क्योंकि वह न्यायिक हिरासत में था. हमें याचिकाकर्ता को फातिहा अनुष्ठान में शामिल होने की अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं दिखता, जो कल के लिए तय है. याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत और पर्याप्त सुरक्षा के तहत कासगंज जेल से उसके गृह नगर गाजीपुर ले जाया जाएगा'.

पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में कल अनुष्ठान में भाग लेने की अनुमति दी जाती है. कल अनुष्ठान समाप्त होने के बाद, याचिकाकर्ता को अस्थायी रूप से गाजीपुर जेल में स्थानांतरित किया जाना चाहिए. इस बीच, प्रशासन को यह सत्यापित करना चाहिए कि क्या 11 अप्रैल के बाद अन्य अनुष्ठान होने हैं. याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में रहते हुए ऐसे अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए. यदि कोई अनुष्ठान नहीं है, तो याचिकाकर्ता को 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी जाती है'.

पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को आगंतुकों (आने-जाने वाले) की तलाशी लेने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है. सुनिश्चित किया जाए कि अंसारी के पैतृक निवास या अनुष्ठान स्थल पर कोई भी व्यक्ति कोई हथियार नहीं ले जाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि अंसारी को 13 अप्रैल, 2024 को कासगंज जेल वापस लाया जाना चाहिए.

गौरतलब है, गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को उत्तर प्रदेश के बांदा के एक अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी. 30 मार्च को, मुख्तार अंसारी को सुरक्षा के बीच गाजीपुर में दफनाया गया. मुख्तार अंसारी को खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले थे. अब्बास अंसारी एक आपराधिक मामले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं. उसने अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

पढ़ें: 'माफिया' डॉन: मुख्तार, शहाबुद्दीन, अतीक और अशरफ... अपराध की दुनिया के बड़े नाम

Last Updated : Apr 9, 2024, 5:18 PM IST
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