तिरुवरुर: तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में सफाई कमर्चारी के रूप में काम करने वाले शेखर की बेटी दुर्गा ने अपने परिवार और इलाके का नाम रोशन कर दिया है. उन्होंने टीएनपीएससी ग्रुप-2 की परीक्षा पास कर नगर आयुक्त के तौर पर नियुक्त की गई हैं. शेखर मन्नारगुडी सत्यमूर्ति मेट्टू स्ट्रीट इलाके के निवासी हैं. उनकी पत्नी का नाम सेल्वी हैं. इन दोनों की उनकी एकमात्र बेटी है, जिसका नाम दुर्गा है. शेखर की छह महीने पहले मन्नारगुडी नगर निगम कार्यालय में सफाईकर्मी के रूप में काम करते हुए मृत्यु हो गई थी.
शेखर ने अपनी बेटी दुर्गा को बारहवीं कक्षा तक सरकारी स्कूल में भेजा था, लेकिन बाद में उन्होंने उसे मन्नारगुडी के राजा गोपालस्वामी सरकारी कला महाविद्यालय में भौतिकी में स्नातक की डिग्री दिलवाई. पारिवारिक परिस्थितियों के कारण दुर्गा की शादी 2015 में 21 वर्ष की आयु में मदुरन्थकम के निर्मल कुमार से कर दी गई. निर्मल कुमार वहीं तहसीलदार कार्यालय में अस्थायी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं. निर्मल कुमार और दुर्गा की दो बेटियां हैं.
दुर्गा अपने पति निर्मल कुमार की मदद से सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा की तैयारी करने लगी. इसमें निर्मल कुमार का बहुत सहयोग रहा है. दुर्गा 2016 में टीएनपीएससी ग्रुप 2 परीक्षा में असफल रहीं. इससे निराश होकर उन्होंने 2020 में टीएनपीएससी ग्रुप-1 परीक्षा दी और प्रथम स्तर की परीक्षा में सफल रहीं. इसके बाद की प्राथमिक परीक्षा में वह असफल रहीं. हालांकि, कट-ऑफ की कमी के कारण वह अगली दो ग्रुप 4 परीक्षाएं पास नहीं कर पाईं. इसके बाद, 2022 में फिर से उन्होंने टीएनपीएससी ग्रुप-2 परीक्षा दी और प्रारंभिक परीक्षा पास की. उन्होंने वर्ष 2023 में आयोजित प्राथमिक परीक्षा में सफलता प्राप्त की. बचपन से ही नगर आयुक्त बनने की चाहत रखने वाली दुर्गा ने नगर आयुक्त की नौकरी चुनी. इसके लिए नियुक्ति आदेश उन्हें 3 जून 2024 को दिया गया.
मृत पिता को किया याद
इस संबंध में जब दुर्गा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, मेरे पिता सफाई कर्मचारी के रूप में काम करते थे. उन्होंने कई कठिनाइयों के बीच मुझे पढ़ाई कराई. इसी तरह मेरी मां भी घर पर काम करने जाती थीं, वो मुझे पढ़ाई कराती थीं. मेरे पिता जो नगर निगम कार्यालय में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करते थे, मुझे नगर निगम आयुक्त बनते देखना चाहते थे. अब मेरे पिता जीवित नहीं हैं. छह महीने पहले एक छोटी सी दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनका नाम हमेशा अमर रहेगा.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए दुर्गा ने कहा कि, जिस तरह मैं बिना किसी पारिवारिक पृष्ठभूमि के जमीनी स्तर से उठकर अपनी शिक्षा के बल पर आज अधिकारी बनी हूं, उसी तरह हर कोई अगर प्रशिक्षण और प्रयास करे तो निश्चित रूप से सरकारी अधिकारी बन सकता है. मेरे दादा और पिता सभी सफाई कर्मचारी के रूप में काम करते थे. मैं उस पहचान को बदलना चाहती थी.
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