सागर: डाॅ हरीसिंह गौर यूनिवर्सिटी से एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी निकले हैं और देश और दुनिया में नाम कमाया है. आज एक ऐसे परिवार से आपको परिचित कराने जा रहे हैं जिसने डाॅ सर हरीसिंह गौर की पहल को सार्थक कर दिया. जिस उद्देश्य से उन्होंने बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके में देश की आजादी के पहले यूनिवर्सिटी की स्थापना कर दी थी. यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू पुस्तकालय के डिप्टी लाइब्रेरियन डाॅ संजीव सराफ के परिवार की बात करें, तो उनके परिवार का हर सदस्य पीएचडी है.
सागर की पीएचडी फैमिली
डाॅ संजीव सराफ के दिवंगत पिता, दिवंगत भाई के अलावा, उनकी मां, बहन, जीजाजी सभी ने पीएचडी की थी. खास बात ये है कि खुद संजीव सराफ 2 विषयों में पीएचडी कर चुके हैं और फिलहाल काशी हिंदू विश्वविद्यालय से तीसरी पीएचडी कर रहे हैं. उनका कहना है कि जल्द ही वे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपने परिवार का नाम दर्ज कराने का दावा पेश करेंगे. अपनी उपलब्धि का श्रेय वह सागर यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर को देते हैं. क्योंकि उनका मानना है कि अगर उन्होंने यहां पर यूनिवर्सिटी की स्थापना नहीं की होती तो उनके परिवार के लोग ये रिकार्ड नहीं बना पाते.
पिता के प्रयासों से बना माहौल
डाॅ संजीव सराफ की बात करें, तो उनके दिवंगत पिता स्वर्गीय प्रो. विमल कुमार जैन कॉमर्स के विद्वान थे. उन्होंने सागर यूनिवर्सटी से कॉमर्स के जाने माने विद्वान डाॅ पी के सेठ के मार्गदर्शन में 1977 में पीएचडी की थी. वो सागर यूनिवर्सिटी के कामर्स विभाग के हैड, डीन और यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति रहे और बाद में यूनिवर्सिटी के कार्यपरिषद सदस्य बने. उन्होंने परिवार में पढ़ाई का ऐसा माहौल पैदा किया कि उनके परिवार में हर किसी को पढ़ाई का शौक लग गया. अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद परिवार के हर सदस्य ने पीएचडी भी की है.
शादी के बाद पत्नी को कराई पीएचडी
प्रो. विमल कुमार जैन का निधन हो चुका है. उनकी पत्नी श्रीमती जयंती जैन ने भी पीएचडी की है. वो बताती हैं कि "जब उनकी शादी हुई थी, तो उन्होंने बीए फायनल की परीक्षा दी थी और शादी के बाद रिजल्ट आया था. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि शादी के बाद वो ऐसी पढ़ाई करेंगी कि डिग्रियों के अंबार के साथ उनके नाम के आगे डाॅक्टर भी लगेगा. शादी के बाद जब उनके पति ने पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित किया तब उनके भी मन में इच्छा हुई कि वह पति की तरह पीएचडी करें. इसके अलावा उनके पास ढेर सारी डिग्रियां हैं."
परिवार का हर सदस्य पीएचडी
सराफ परिवार के सदस्यों का पीएचडी करने का सिलसिला यहीं समाप्त नहीं होता है. परिवार के अन्य सदस्यों में डाॅ संजीव सराफ के दिवंगत भाई विवेक सराफ ने सागर यूनिवर्सिटी से 2007 में कामर्स में पीएचडी की थी. उनकी बहन प्रीति जैन ने 2015 में भोज मुक्त विश्वविद्यालय से लाइब्रेरी साइंस में पीएचडी की. बहन की शादी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिप्टी लाइब्रेरियन डाॅ विवेकानंद जैन से हुई है. उन्होंने 2010 में लाइब्रेरी साइंस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की. यहां तक की प्रो. संजीव सराफ की पत्नी रानी जैन ने 2009 में सागर यूनिवर्सटी से एजुकेशन में पीएचडी की.
डाॅ संजीव सराफ की तीसरी पीएचडी
परिवार के वर्तमान मुखिया और सागर यूनिवर्सिटी के डिप्टी लाइब्रेरियन डाॅ संजीव सराफ की बात करें, तो उन्होंने सन 2000 में सागर यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी साइंस में पीएचडी की. इसके बाद 2019 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में पीएचडी की और अब वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ही पाली एवं बौद्ध अध्ययन में पीएचडी कर रहे हैं. अगले साल उनकी तीसरी पीएचडी अवॉर्ड हो जाएगी. डॉ संजीव सराफ कहते हैं कि "उनके परिवार को यह उपलब्धि हासिल हुई है तो सिर्फ डॉ. हरीसिंह गौर के महादान के कारण हुई है. जिसके जरिए उन्होंने सागर में विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. अगर वह सागर में विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं करते, तो हमारा परिवार कभी अनोखा रिकॉर्ड नहीं बना पाता."
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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में पेश करेंगे दावा
डाॅ संजीव सराफ का कहना है कि "उनका परिवार और वो खुद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल कर पाए हैं. उसकी वजह सागर यूनिवर्सिटी के संस्थापक डाॅ सर हरीसिंह गौर हैं. उनके परिवार के हर सदस्य ने पीएचडी की है और जब मैंने इसके बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक परिवार के 5 सदस्यों द्वारा पीएचडी किए जाने का रिकॉर्ड दर्ज है. वहीं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में कर्नाटक के एक परिवार के 7 सदस्यों का पीएचडी का रिकॉर्ड दर्ज है. मेरी तीसरी पीएचडी अवार्ड होते ही परिवार की ये 8वीं पीएचडी होगी और मैं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दावा पेश करूंगा."