नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यह दुखद है कि मणिपुर सेंट्रल जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल नहीं ले जाया गया, क्योंकि वह कुकी समुदाय से था. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस बात पर दुख जताया कि कुकी समुदाय से संबंध रखने वाले याचिकाकर्ता को अस्पताल नहीं ले जाया गया. साथ ही सरकार के वकील से कहा कि अदालत को राज्य पर भरोसा नहीं है. कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि वह आरोपी को असम के गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाने और वहां उसकी जांच कराने के लिए तुरंत आवश्यक व्यवस्था करे.
पीठ ने कहा कि आरोपी को अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वह कुकी समुदाय से है? जो बहुत दुखद है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की जांच की जानी चाहिए और अगर मेडिकल रिपोर्ट में कोई गंभीर बात सामने आती है तो वह राज्य सरकार पर कार्रवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार और अन्य के खिलाफ लुनखोंगम हाओकिप की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं. सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि मुकदमा शुरू नहीं हुआ है और याचिकाकर्ता बवासीर और टीबी से पीड़ित है, तथा उसने अत्यधिक पीठ दर्द की भी शिकायत की है, जिसके बारे में जेल अधिकारियों को बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधीक्षक के साथ-साथ मणिपुर सरकार के जिम्मेदार प्राधिकारी को याचिकाकर्ता को मेडिकल जांच के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की बवासीर, टीबी, पेट दर्द के साथ-साथ कमर के निचले हिस्से में रीढ़ की समस्याओं की भी जांच की जानी चाहिए.
साथ ही पीठ ने अधिकारियों को 15 जुलाई तक या उससे पहले विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. बता दें कि पिछले वर्ष नवंबर में जेल के चिकित्सा अधिकारी ने निचली रीढ़ की हड्डी में दिक्कत पाई थी और याचिकाकर्ता को एक्स-रे कराने की सिफारिश की थी, जो जेल में उपलब्ध नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता आरोपी को जेल से बाहर नहीं निकाला जा सकता, क्योंकि वह कुकी समुदाय से है और कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण ऐसा करना खतरनाक होगा.