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रूस शासन कला की महान परंपरा वाली एक शक्ति है: एस जयशंकर

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By PTI

Published : Feb 23, 2024, 6:49 PM IST

Foreign Minister S Jaishankar, India-Russia Relation, वर्तमान भू-राजनीतिक विकास और उनके परिणामों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को टिप्पणी की. इस दौरान उन्होंने कहा कि रूस शासन कला की एक विशाल परंपरा वाली शक्ति है. वह राजधानी दिल्ली में रायसीना डायलॉग के एक सत्र में बोल रहे थे. इस दौरान उनसे बीजिंग के साथ मॉस्को की बढ़ती निकटता पर सवाल किया गया था.

Foreign Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रम और उनके परिणाम पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रूस शासन कला की एक महान परंपरा वाली शक्ति है और एशिया या गैर पश्चिमी देशों की तरफ इसका रुख अधिक रहा है. रायसीना डायलॉग के एक सत्र में जयशंकर बीजिंग के साथ मॉस्को की बढ़ती निकटता से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

उन्होंने कहा कि रूस को कई विकल्प देने के मायने हैं और इसे केवल एक विकल्प के अनुरूप ढालकर, इसके लिए आलोचना करना तर्कसंगत नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि रूस को कई विकल्प देने का मतलब है. अगर हम रूस को एक ही विकल्प में ढालते हैं और कहते हैं कि यह वास्तव में बुरा है, क्योंकि यही परिणाम है, तो यह भविष्य की अनिश्चित घटना को पहले ही सही मानकर उसके अनुरूप व्यवहार करने जैसा (सेल्फ फुलफिलिंग प्रोफेसी) होगा.'

जयशंकर ने कहा कि 'आज अन्य देशों, खासकर एशिया के लिए रूस के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा कि 'रूस शासन कला की एक महान परंपरा वाली एक शक्ति है. ऐसी शक्तियां कभी भी खुद को बहुत गहन प्रकृति के एक रिश्ते में नहीं बांधेंगी. यह उनकी सोच के खिलाफ होगा.' विदेश मंत्री से रूस और चीन के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था. साथ ही उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या भारत इससे असहज है?

जयशंकर ने कहा कि 'रूस के साथ आज जो हुआ है वह यह है कि रूस और पश्चिम के लिए बहुत सारे दरवाजे बंद कर दिए गए हैं. हम इसका कारण जानते हैं. रूस एशिया या दुनिया के गैर पश्चिमी देशों की तरफ अधिक रुख कर रहा है.' विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम की नीतियां रूस और चीन को करीब ला रही हैं. उन्होंने कहा कि 'यह अजीब है कि एक तरफ आपके पास ऐसे लोग हैं, जो नीतियां तय करते हैं (और) दोनों को एक साथ लाते हैं और फिर आप कहते हैं कि उनके एक साथ आने से सावधान रहें.'

यह सवाल ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक माइकल फुलिलोव ने पूछा था. जयशंकर की टिप्पणी उनके उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के रूस के साथ स्थिर और बहुत मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं और मॉस्को ने कभी भी नयी दिल्ली के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे.

भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है, भले ही कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बेचैनी बढ़ गई है. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. जयशंकर ने भारत की जी20 अध्यक्षता पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे इसने अफ्रीकी संघ को समूह के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना सुनिश्चित किया.

उन्होंने कहा कि यदि जी20 का विस्तार किया जा सकता है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भी बढ़ाई जा सकती है. विदेश मंत्री ने आतंकवाद से लड़ने और समावेशी वैश्विक कल्याण सुनिश्चित करने के प्रयास सहित भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को भी रेखांकित किया.

उन्होंने कहा कि 'यह मोटा अनाज हो सकता है, यह योग हो सकता है, यह सौर ऊर्जा हो सकता है, यह आतंकवाद का मुकाबला हो सकता है, यह काला धन हो सकता है.' उन्होंने कहा कि 'आज आप एक ऐसे भारत को देखते हैं, जो वास्तव में खुद को और अपने विचारों को वैश्विक मंच पर लाने के लिए प्रयासरत है.'

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रम और उनके परिणाम पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रूस शासन कला की एक महान परंपरा वाली शक्ति है और एशिया या गैर पश्चिमी देशों की तरफ इसका रुख अधिक रहा है. रायसीना डायलॉग के एक सत्र में जयशंकर बीजिंग के साथ मॉस्को की बढ़ती निकटता से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

उन्होंने कहा कि रूस को कई विकल्प देने के मायने हैं और इसे केवल एक विकल्प के अनुरूप ढालकर, इसके लिए आलोचना करना तर्कसंगत नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि रूस को कई विकल्प देने का मतलब है. अगर हम रूस को एक ही विकल्प में ढालते हैं और कहते हैं कि यह वास्तव में बुरा है, क्योंकि यही परिणाम है, तो यह भविष्य की अनिश्चित घटना को पहले ही सही मानकर उसके अनुरूप व्यवहार करने जैसा (सेल्फ फुलफिलिंग प्रोफेसी) होगा.'

जयशंकर ने कहा कि 'आज अन्य देशों, खासकर एशिया के लिए रूस के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा कि 'रूस शासन कला की एक महान परंपरा वाली एक शक्ति है. ऐसी शक्तियां कभी भी खुद को बहुत गहन प्रकृति के एक रिश्ते में नहीं बांधेंगी. यह उनकी सोच के खिलाफ होगा.' विदेश मंत्री से रूस और चीन के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था. साथ ही उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या भारत इससे असहज है?

जयशंकर ने कहा कि 'रूस के साथ आज जो हुआ है वह यह है कि रूस और पश्चिम के लिए बहुत सारे दरवाजे बंद कर दिए गए हैं. हम इसका कारण जानते हैं. रूस एशिया या दुनिया के गैर पश्चिमी देशों की तरफ अधिक रुख कर रहा है.' विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम की नीतियां रूस और चीन को करीब ला रही हैं. उन्होंने कहा कि 'यह अजीब है कि एक तरफ आपके पास ऐसे लोग हैं, जो नीतियां तय करते हैं (और) दोनों को एक साथ लाते हैं और फिर आप कहते हैं कि उनके एक साथ आने से सावधान रहें.'

यह सवाल ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक माइकल फुलिलोव ने पूछा था. जयशंकर की टिप्पणी उनके उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के रूस के साथ स्थिर और बहुत मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं और मॉस्को ने कभी भी नयी दिल्ली के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे.

भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है, भले ही कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बेचैनी बढ़ गई है. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. जयशंकर ने भारत की जी20 अध्यक्षता पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे इसने अफ्रीकी संघ को समूह के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना सुनिश्चित किया.

उन्होंने कहा कि यदि जी20 का विस्तार किया जा सकता है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भी बढ़ाई जा सकती है. विदेश मंत्री ने आतंकवाद से लड़ने और समावेशी वैश्विक कल्याण सुनिश्चित करने के प्रयास सहित भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को भी रेखांकित किया.

उन्होंने कहा कि 'यह मोटा अनाज हो सकता है, यह योग हो सकता है, यह सौर ऊर्जा हो सकता है, यह आतंकवाद का मुकाबला हो सकता है, यह काला धन हो सकता है.' उन्होंने कहा कि 'आज आप एक ऐसे भारत को देखते हैं, जो वास्तव में खुद को और अपने विचारों को वैश्विक मंच पर लाने के लिए प्रयासरत है.'

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