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झारखंड में 2005 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला में एक कंपनी और उसके दो डायरेक्टर दोषी करार - JHARKHAND COAL SCAM

-मनोज कुमार जायसवाल और रमेश कुमार जायसवाल को ठहराया दोषी. -स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने दिया आदेश.

राऊज एवेन्यू कोर्ट
राऊज एवेन्यू कोर्ट (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 9, 2024, 8:53 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2005 में झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला के मामले में एक कंपनी और उसके दो डायरेक्टर को दोषी करार दिया है. स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने दोषी करार देने का आदेश दिया. कोर्ट ने झारखंड के बृंदा, सिसई और मेराल में 2005 में अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्टर को कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में कंपनी अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर, इसके मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार जायसवाल और पूर्व डायरेक्टर रमेश कुमार जायसवाल को दोषी ठहराया है.

सीबीआई के मुताबिक, अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने लोकसेवकों के साथ साजिश रचकर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया. कंपनी पर अपने वित्तीय स्थिति को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का आरोप है. अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने भूमि अधिग्रण, मशीनरी की खरीद और प्लांट चलाने के लिए वित्तीय सहयोग संबंधी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया. कंपनी ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए हजारीबाग में भूमि खरीदने का फर्जी दस्तावेज पेश किया था. इन्हीं दस्तावेजों के जरिए कंपनी ने स्टील मंत्रालय से अपने पक्ष में सिफारिश हासिल की, जिसके बाद उसे कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल हुआ.

2016 में दर्ज हुई एफआईआर: कोर्ट ने पाया कि फर्जी तरीके से कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने से सार्वजनिक धन का नुकसान हुआ. इस मामले में सीबीआई ने 2016 में एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई ने चार्जशीट में कंपनी और दोनों आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया था. इस मामले में 34 गवाहों और 74 दस्तावेजों के परीक्षण किए गए थे.

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सीबीआई के मुताबिक, अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने लोकसेवकों के साथ साजिश रचकर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया. कंपनी पर अपने वित्तीय स्थिति को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का आरोप है. अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने भूमि अधिग्रण, मशीनरी की खरीद और प्लांट चलाने के लिए वित्तीय सहयोग संबंधी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया. कंपनी ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए हजारीबाग में भूमि खरीदने का फर्जी दस्तावेज पेश किया था. इन्हीं दस्तावेजों के जरिए कंपनी ने स्टील मंत्रालय से अपने पक्ष में सिफारिश हासिल की, जिसके बाद उसे कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल हुआ.

2016 में दर्ज हुई एफआईआर: कोर्ट ने पाया कि फर्जी तरीके से कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने से सार्वजनिक धन का नुकसान हुआ. इस मामले में सीबीआई ने 2016 में एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई ने चार्जशीट में कंपनी और दोनों आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया था. इस मामले में 34 गवाहों और 74 दस्तावेजों के परीक्षण किए गए थे.

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