नई दिल्ली: झारखंड के आदिवासी समुदाय की 27 वर्षीय रितिका तिर्की टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस की लोको-पायलट के रूप में सुर्खियां बटोर रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस का वर्चुअल उद्घाटन किया था.
BIT मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद रितिका ने भारतीय रेलवे में अपना करियर बनाया. उन्होंने 2019 में दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) के चक्रधरपुर डिवीजन में शंटर के रूप में अपनी रेलवे यात्रा शुरू की और बाद में मालगाड़ी और यात्री ट्रेनें चलाईं.उनका कैरियर वरिष्ठ सहायक लोको पायलट के पद पर पदोन्नति के बाद उन्हें प्रतिष्ठित वंदे भारत एक्सप्रेस के ओपरेटिंग में असिस्ट करने का अवसर मिला. इस बीच सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें उन्हें ट्रेन चलाते देखा जा सकता है.
Dear @RahulGandhi,
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) September 19, 2024
She's Ritika Tirkey(27)from #Jharkhand
She's 1st TRIBAL Asst Loco Pilot.
She's operating #Modi Sarkar started Vande Bharat Express.
I've told you her CASTE!
Now can you pls tell us yours so that #Modi Sarkar can find you some decent job fit for 54 yrs old? pic.twitter.com/9US3QTDpxX
ऐसे समय में जब रेलवे जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी विकसित हो रहा है, रितिका की उपलब्धि एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. वह सामाजिक बाधाओं को तोड़ रही हैं और पूरे देश में युवा लड़कियों को भी प्रेरित कर रही हैं.उन्होंने लोको पायलट एस एस मुंडा के साथ 15 सितंबर 2024 को टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन रन का नेतृत्व किया.
साधारण बैकग्राउंड से आती हैं रितिका
झारखंड में एक साधारण बैकग्राउंड से आने वाली रितिका तिर्की ने लोको-पायलट के रूप में योग्यता प्राप्त करने के लिए कठोर ट्रेनिंग ली और आगे बढ़ीं. एक छोटे से आदिवासी गांव से भारत की सबसे प्रतिष्ठित ट्रेनों में से एक के संचालक तक का उनका सफर उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण को बयान करता है.
भारत के बढ़ते बुनियादी ढांचे के प्रतीक वंदे भारत एक्सप्रेस के पायलट के रूप में, रितिका न केवल अपने स्किल का प्रदर्शन कर रही हैं, बल्कि तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व कर रही हैं. आदिवासी समुदाय से आने वाली लोको-पायलट रितिका की भूमिका सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक बाधाओं को तोड़ती है, जो भारत के कार्यबल में समावेशिता और विविधता के बढ़ते महत्व को दर्शाती है.
लड़कियों को प्रोत्साहन
रितिका तिर्की की उपलब्धि लड़कियों को खास तौर पर हाशिए पर पड़े समुदायों से बड़े सपने देखने और पारंपरिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के महत्व को उजागर करती है. वंदे भारत एक्सप्रेस के लोको-पायलट के रूप में उनकी भूमिका परिवर्तन और प्रगति को एक शक्तिशाली सिंबल के रूप में पेश करती है.
भारत वंदे भारत जैसी उन्नत ट्रेनों के साथ अपने रेलवे नेटवर्क का आधुनिकीकरण जारी रखता है, रितिका की कहानी लड़कियों की एक नई पीढ़ी को STEM क्षेत्रों में आने के लिए प्रेरित करती है, यह दर्शाती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता के साथ कोई भी सपना बड़ा नहीं होता है.