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चौथे चरण में चुनाव के मैदान में हाई प्रोफाइल दिग्गज, दो केंद्रीय मंत्री और दो बिहार सरकार के मंत्रियों की होगी अग्नि परीक्षा - Lok Sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

बिहार में चौथे चरण के चुनाव में नीतीश और नरेंद्र मोदी के मंत्रियों का इम्तिहान है. एक ओर जहां गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय की साख दांव पर है वहीं समस्तीपुर लोकसभा सीट पर नीतीश के मंत्री अशोक चौधरी और महेश्वर हजारी के बेटे-बेटी चुनाव मैदान में हैं.

चौथे चरण का संग्राम
चौथे चरण का संग्राम (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 6, 2024, 9:20 PM IST

दिग्गजों की अग्नि परीक्षा (Etv Bharat)

पटना : बिहार में होने वाले चौथे चरण के चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. मोदी कैबिनेट के दो कद्दावर मंत्री चुनाव के मैदान में हैं, तो नीतीश कैबिनेट के दो मंत्रियों की अग्नि परीक्षा होनी है. दोनों मंत्रियों ने अपने बेटे-बेटी को चुनाव के मैदान में उतारा है. बिहार में चौथे चरण के चुनाव में पांच लोकसभा क्षेत्र में वोटिंग होनी है.

चौथे चरण का रण : चौथे चरण में उजियारपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर और दरभंगा लोकसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे. कुल मिलाकर 56 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं. चौथे चरण में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, ललन सिंह, शांभवी और गोपाल जी ठाकुर के भाग्य का फैसला होना है, तो महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व मंत्री ललित यादव, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, सन्नी हजारी, अनीता देवी और अवधेश राय दो दो हाथ करते दिखेंगे.

बेगूसराय बेगूसराय लोकसभा सीट : नरेंद्र मोदी के हनुमान और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह दूसरी बार बेगूसराय से चुनावी मैदान में हैं. यहां गिरिराज सिंह का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अवधेश राय से है. बेगूसराय लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 10 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. 2019 के चुनाव में बेगूसराय सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से कन्हैया कुमार और राष्ट्रीय जनता दल की ओर से तनवीर अख्तर मैदान में थे. भाजपा के गिरिराज सिंह 4 लाख 22 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीते थे. आपको बता दें कि बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीट है. बछवारा और बेगूसराय विधानसभा सीट जहां भाजपा के पास है, वहीं मटिहानी विधानसभा सीट जदयू के पास है. तेघरा और बखरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है. तो साहिबपुर कमाल और चेरिया बरियारपुर राष्ट्रीय जनता दल के पास है.

गिरिराज ने बड़े अंतर से कन्हैया को हराया : बेगूसराय लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई चुनाव से कांग्रेस अपनी दमदार उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाई है. पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो 2009 में NDA के बैनर तले जेडीयू के मोनाजिर हसन ने सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को हराकर जीत हासिल की. 2014 में जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इस बार बेगूसराय सीट पर कमल खिला. बीजेपी के उम्मीदवार भोला प्रसाद सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को मात दी. 2019 में बीजेपी ने सफलता की कहानी फिर दोहराई, हालांकि इस बार चेहरे बदले हुए थे. 2019 में बीजेपी के गिरिराज सिंह ने सीपीआई के कन्हैया कुमार को बड़े अंतर से मात दे दी.

बेगूसराय का समीकरण : बेगूसराय में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 21 लाख 41हजार 827 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 28 हजार 863 और महिला मतदताओं की संख्या 10 लाख 12 हजार 896 है. बात जातीय समीकरण की करें तो अनुमानित आंकड़ों के हिसाब से यहां सबसे ज्यादा 4 लाख 75 हजार भूमिहार मतदाता हैं. वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख, कुर्मी-कुशवाहा की संख्या करीब 2 लाख और यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के आसपास है. कुल मिलाकर इस लोकसभा सीट की राजनीति भूमिहार जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. यही कारण है कि 2009 में जेडीयू के मोनाजिर हसन को छोड़कर अभी तक सभी सांसद भूमिहार जाति से ही हुए हैं.

उजियारपुर लोकसभा सीट : इस हाई प्रोफाइल सीट पर कुल मिलाकर तेरह उम्मीदवार मैदान में है. उजियारपुर लोकसभा सीट पर गृह मंत्री अमित शाह के हनुमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मैदान में हैं. उनका मुकाबला राजद नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता से है. आलोक मेहता का नाम तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं में शुमार हैं. उजियारपुर लोकसभा सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं.

उजियारपुर लोकसभा का इतिहास : 2019 के लोकसभा चुनाव में उजियारपुर सीट महागठबंधन के पास थी और उपेंद्र कुशवाहा उम्मीदवार थे. नित्यानंद राय ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 277000 वोटों से हराया था. उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आते हैं. जिसमें कि पातेपुर और मोहिउद्दीन नगर पर भाजपा का कब्जा है तो उजियारपुर और मोरवा पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. सराय रंजन सीट जदयू के पास है तो विभूतिपुर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

जीत का समीकरण : उजियारपुर लोकसभा सीट परिसीमन आयोग के सिफारिश के आधार पर 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार अश्वमेघ देवी ने राष्ट्रीय जनता दल के आलोक मेहता को शिकस्त दी थी. परिसीमन से पहले 2004 में आलोक मेहता राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर समस्तीपुर से सांसद बने थे. लेकिन परिसीमन के बाद राष्ट्रीय जनता दल एक बार भी उजियारपुर सीट नहीं जीत पाई.

उजियारपुर का जातिगत समीकरण : उजियारपुर लोकसभा सीट पर सबसे अधिक आबादी यादव समुदाय के वोटर की है. इनकी संख्या लगभग 15.29% है, जबकि मुस्लिम वोटर 9.26% हैं. सवर्ण वोटर की अगर बात कर लें तो इनकी आबादी भी अच्छी खासी है. ब्राह्मण 6.78 प्रतिशत, राजपूत 4.41% और भूमिहार 3.06% हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कोईरी की आबादी 8.09 प्रतिशत है और कुर्मी 4.46% हैं. मल्लाह मतदाताओं की संख्या भी 4.46 के आसपास है. पासवान मतदाता यहां पर 9.05% हैं. रविदास समुदाय की आबादी भी 5.78 प्रतिशत के इर्द गिर्द है. बनिया 2.28% और मुसहर जाति की आबादी 2.01% के आसपास है.

समस्तीपुर लोकसभा सीट: यह लोकसभा क्षेत्र भी बेहद दिलचस्प है. बिहार सरकार के दो मंत्री की साख यहां दाव पर है. बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जहां अपनी बेटी शांभवी चौधरी को लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा है, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी ने अपने पुत्र सन्नी हजारी को महागठबंधन की ओर से मैदान में उतारा है. दोनों नेताओं ने अपने पुत्र और पुत्री को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है.

समस्तीपुर लोकसभा का इतिहास : आपको बता दें कि 2009 में परिसीमन के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट को सुरक्षित सीट घोषित कर दिया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के महेश्वर हजारी यहां से चुनाव जीते और 2014 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान चुनाव जीते. 2019 के चुनाव में भी रामचंद्र पासवान को जीत हासिल हुई. रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उपचुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज चुनाव जीते थे.

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समस्तीपुर लोकसभा का समीकरण : अगर जातिगत समीकरण की बात कर लें तो समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी कुशवाहा वोटर की है. इनकी तादाद लगभग 3 लाख 90000 के आसपास है. दूसरे नंबर पर पासवान जाति के वोटर हैं. इनकी आबादी लगभग ढाई लाख के आसपास है, तीसरे स्थान पर यादव जाति की आबादी है, इनकी तादाद भी लगभग सवा दो लाख है. आपको बता दें कि समस्तीपुर लोकसभा सीट पर 12 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. मुख्य मुकाबला शांभवी चौधरी और सन्नी हजारी के बीच है.

विधानसभाओं में किसका पलड़ा भारी : समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा हैं, जिसमें की हायाघाट और रोकना पर भाजपा का कब्जा है. तो कुशेश्वरस्थान, कल्याणपुर और बारिश नगर पर जदयू का कब्जा है. विधानसभा सीट के लिए हाथ से महागठबंधन के पास सिर्फ एक विधानसभा सीट समस्तीपुर है. इस हिसाब से पलड़ा एनडीए का भारी दिखाई देता है.

प्रधानमंत्री ने की है शांभवी की तारीफ : समस्तीपुर सीट पर नीतीश कुमार ने ऐलान कर दिया है की गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई होगी. उनका साफ इशारा महेश्वर हजारी की ओर है. किशोर कुणाल भी अपनी बहू के लिए प्रचार में लगे हैं. किशोर कुणाल की छवि का लाभ भी अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को मिल सकता है. प्रधानमंत्री की तारीफ से भी शांभवी को फायदा मिलता दिख रहा है.

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मुंगेर लोकसभा सीट : जदयू के बड़े नेता और नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह तीसरी बार यहां से चुनाव के मैदान में है. इस बार उनका मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी से है. 2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह ने महागठबंधन उम्मीदवार नीलम देवी को 167000 मतों से हराया था. मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट हैं. जिसमें मुंगेर, बाढ़ और लखीसराय पर भाजपा का कब्जा है तो सूर्यगढ़ा और मोकामा राष्ट्रीय जनता दल के पास है. जमालपुर सीट कांग्रेस के खाते में है.

मुंगेर का इतिहास और जाति समीकरण : 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू नेता ललन सिंह चुनाव जीते थे. लेकिन 2014 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी उम्मीदवार वीणा देवी ने ललन सिंह को हरा दिया और 2019 के चुनाव में एक बार फिर ललन सिंह एनडीए के टिकट पर चुनाव जीते. मुंगेर लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण की अगर बात कर ले तो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी भूमिहार जाति की है. लगभग 3.50 लाख वोटर भूमिहार जाति से हैं. धानुक 1.40 लाख, कुर्मी 1.49 लाख, यादव 2.93 लाख हैं.

दरभंगा लोकसभा सीट : भाजपा के टिकट पर गोपाल जी ठाकुर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. गोपाल जी ठाकुर का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल नेता और पूर्व मंत्री ललित यादव से है. 2019 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट पर राजद और भाजपा के बीच मुकाबला था. गोपाल जी ठाकुर ने राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को 267000 मतों के अंतर से हराया था. इस बार राष्ट्रीय जनता दल ने योद्धा बदला है और ललित यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. ललित यादव दरभंगा ग्रामीण विधानसभा सीट से लगातार 6 बार से विधायक हैं.

दरभंगा लोकसभा का इतिहास : 2024 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट पर कुल आठ उम्मीदवार मैदान में है. भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट है. जिसमें की गौरा बौराम, अलीपुर और दरभंगा पर भाजपा का कब्जा है, तो बेनीपुर और बहादुरपुर पर जदयू का कब्जा है. राष्ट्रीय जनता दल के पास सिर्फ एक सीट दरभंगा ग्रामीण है. इसलिहाज से भी एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है.

दरभंगा लोकसभा की विधानसभाओं का हाल : एनडीए के पांच विधायक दरभंगा लोकसभा सीट पर जीते हुए हैं. दरभंगा लोकसभा सीट पर बीजेपी के टिकट पर 1999, 2009 और 2014 में कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 में कीर्ती आजाद का टिकट कट गया और गोपाल जी ठाकुर सांसद बने. अगर जातिगत समीकरण की बात कर लें तो दरभंगा लोकसभा सीट को ब्राह्मणों का गढ़ कहा जाता है. यहां सबसे अधिक साढ़े 4 लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. जबकि दूसरे नंबर पर साढ़े 3 लाख वोट के साथ मुस्लिम दूसरे नंबर पर हैं. इसके अलावा मल्लाह जाति के मतदाता करीब 2 लाख जबकि एससी-एसटी के ढाई लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. वहीं यादव मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 60 हजार है. ऐसे में MY समीकरण को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 5 लाख 10 हजार पर पहुंच जाता है.

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि ''चौथे चरण में एनडीए के लिए चुनौती सीट बचाने की है. जबकि महागठबंधन को खाता खोलना है. इस फेज में भाजपा, जदयू और लोजपा तीनों के उम्मीदवार मैदान में हैं. रिश्तों में कितनी ईमानदारी है कि नहीं इसका भी लिटमस टेस्ट होगा. समस्तीपुर में नीतीश कुमार की साख दाव पर है. समस्तीपुर का रिजल्ट जो भी हो लेकिन महेश्वर हजारी के कुर्सी पर खतरा उत्पन्न हो गया है. उजियारपुर और दरभंगा में आमने-सामने की लड़ाई है. मुंगेर में अगड़ी और पिछड़े की लड़ाई हो गई है. आनंद सिंह के बाहर आने के बाद दो बाहुबलियों की लड़ाई देखने को मिलेगी.''

वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी का मानना है कि ''चौथे चरण में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के भाग्य का फैसला होना है, उनका पलड़ा भारी दिख रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के लगातार दौरे से स्थितियां उनके पक्ष में दिखाई दे रही हैं. जितनी तैयारी और प्रचार एनडीए नेताओं ने किया है, उस अनुपात में विपक्ष वोटरों तक पहुंचने में नाकामयाब साबित हुआ है. उनका प्रचार अभियान ढीला ढाला रहा है. वह लोगों को अपनी बात ठीक से नहीं समझ पाए. उन्होंने कहा संविधान खतरे में है, लेकिन जिन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है उनके गले यह सब बातें नहीं उतरी.''

4 जून को आएंगे नतीजे : फिलहाल चौथे चरण का चुनाव 13 मई को होगा. कुल 56 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. सभी की किस्मत का फैसला 13 मई को ही मतदाता करेंगे. देखना ये है कि पब्लिक इस बार किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधती है? क्या फिर से वही नेता रिपीट करेंगे या फिर कोई बदलाव होगा? महागठबंधन तस्वीर बदलने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. नतीजे 4 जून को घोषित होंगे. गौरतलब है कि बिहार में सभी चरणों में चुनाव हैं.

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दिग्गजों की अग्नि परीक्षा (Etv Bharat)

पटना : बिहार में होने वाले चौथे चरण के चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. मोदी कैबिनेट के दो कद्दावर मंत्री चुनाव के मैदान में हैं, तो नीतीश कैबिनेट के दो मंत्रियों की अग्नि परीक्षा होनी है. दोनों मंत्रियों ने अपने बेटे-बेटी को चुनाव के मैदान में उतारा है. बिहार में चौथे चरण के चुनाव में पांच लोकसभा क्षेत्र में वोटिंग होनी है.

चौथे चरण का रण : चौथे चरण में उजियारपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर और दरभंगा लोकसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे. कुल मिलाकर 56 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं. चौथे चरण में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, ललन सिंह, शांभवी और गोपाल जी ठाकुर के भाग्य का फैसला होना है, तो महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व मंत्री ललित यादव, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, सन्नी हजारी, अनीता देवी और अवधेश राय दो दो हाथ करते दिखेंगे.

बेगूसराय बेगूसराय लोकसभा सीट : नरेंद्र मोदी के हनुमान और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह दूसरी बार बेगूसराय से चुनावी मैदान में हैं. यहां गिरिराज सिंह का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अवधेश राय से है. बेगूसराय लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 10 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. 2019 के चुनाव में बेगूसराय सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से कन्हैया कुमार और राष्ट्रीय जनता दल की ओर से तनवीर अख्तर मैदान में थे. भाजपा के गिरिराज सिंह 4 लाख 22 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीते थे. आपको बता दें कि बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीट है. बछवारा और बेगूसराय विधानसभा सीट जहां भाजपा के पास है, वहीं मटिहानी विधानसभा सीट जदयू के पास है. तेघरा और बखरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है. तो साहिबपुर कमाल और चेरिया बरियारपुर राष्ट्रीय जनता दल के पास है.

गिरिराज ने बड़े अंतर से कन्हैया को हराया : बेगूसराय लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई चुनाव से कांग्रेस अपनी दमदार उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाई है. पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो 2009 में NDA के बैनर तले जेडीयू के मोनाजिर हसन ने सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को हराकर जीत हासिल की. 2014 में जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इस बार बेगूसराय सीट पर कमल खिला. बीजेपी के उम्मीदवार भोला प्रसाद सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को मात दी. 2019 में बीजेपी ने सफलता की कहानी फिर दोहराई, हालांकि इस बार चेहरे बदले हुए थे. 2019 में बीजेपी के गिरिराज सिंह ने सीपीआई के कन्हैया कुमार को बड़े अंतर से मात दे दी.

बेगूसराय का समीकरण : बेगूसराय में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 21 लाख 41हजार 827 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 28 हजार 863 और महिला मतदताओं की संख्या 10 लाख 12 हजार 896 है. बात जातीय समीकरण की करें तो अनुमानित आंकड़ों के हिसाब से यहां सबसे ज्यादा 4 लाख 75 हजार भूमिहार मतदाता हैं. वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख, कुर्मी-कुशवाहा की संख्या करीब 2 लाख और यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के आसपास है. कुल मिलाकर इस लोकसभा सीट की राजनीति भूमिहार जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. यही कारण है कि 2009 में जेडीयू के मोनाजिर हसन को छोड़कर अभी तक सभी सांसद भूमिहार जाति से ही हुए हैं.

उजियारपुर लोकसभा सीट : इस हाई प्रोफाइल सीट पर कुल मिलाकर तेरह उम्मीदवार मैदान में है. उजियारपुर लोकसभा सीट पर गृह मंत्री अमित शाह के हनुमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मैदान में हैं. उनका मुकाबला राजद नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता से है. आलोक मेहता का नाम तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं में शुमार हैं. उजियारपुर लोकसभा सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं.

उजियारपुर लोकसभा का इतिहास : 2019 के लोकसभा चुनाव में उजियारपुर सीट महागठबंधन के पास थी और उपेंद्र कुशवाहा उम्मीदवार थे. नित्यानंद राय ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 277000 वोटों से हराया था. उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आते हैं. जिसमें कि पातेपुर और मोहिउद्दीन नगर पर भाजपा का कब्जा है तो उजियारपुर और मोरवा पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. सराय रंजन सीट जदयू के पास है तो विभूतिपुर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है.

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जीत का समीकरण : उजियारपुर लोकसभा सीट परिसीमन आयोग के सिफारिश के आधार पर 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार अश्वमेघ देवी ने राष्ट्रीय जनता दल के आलोक मेहता को शिकस्त दी थी. परिसीमन से पहले 2004 में आलोक मेहता राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर समस्तीपुर से सांसद बने थे. लेकिन परिसीमन के बाद राष्ट्रीय जनता दल एक बार भी उजियारपुर सीट नहीं जीत पाई.

उजियारपुर का जातिगत समीकरण : उजियारपुर लोकसभा सीट पर सबसे अधिक आबादी यादव समुदाय के वोटर की है. इनकी संख्या लगभग 15.29% है, जबकि मुस्लिम वोटर 9.26% हैं. सवर्ण वोटर की अगर बात कर लें तो इनकी आबादी भी अच्छी खासी है. ब्राह्मण 6.78 प्रतिशत, राजपूत 4.41% और भूमिहार 3.06% हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कोईरी की आबादी 8.09 प्रतिशत है और कुर्मी 4.46% हैं. मल्लाह मतदाताओं की संख्या भी 4.46 के आसपास है. पासवान मतदाता यहां पर 9.05% हैं. रविदास समुदाय की आबादी भी 5.78 प्रतिशत के इर्द गिर्द है. बनिया 2.28% और मुसहर जाति की आबादी 2.01% के आसपास है.

समस्तीपुर लोकसभा सीट: यह लोकसभा क्षेत्र भी बेहद दिलचस्प है. बिहार सरकार के दो मंत्री की साख यहां दाव पर है. बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जहां अपनी बेटी शांभवी चौधरी को लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा है, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी ने अपने पुत्र सन्नी हजारी को महागठबंधन की ओर से मैदान में उतारा है. दोनों नेताओं ने अपने पुत्र और पुत्री को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है.

समस्तीपुर लोकसभा का इतिहास : आपको बता दें कि 2009 में परिसीमन के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट को सुरक्षित सीट घोषित कर दिया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के महेश्वर हजारी यहां से चुनाव जीते और 2014 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान चुनाव जीते. 2019 के चुनाव में भी रामचंद्र पासवान को जीत हासिल हुई. रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उपचुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज चुनाव जीते थे.

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समस्तीपुर लोकसभा का समीकरण : अगर जातिगत समीकरण की बात कर लें तो समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी कुशवाहा वोटर की है. इनकी तादाद लगभग 3 लाख 90000 के आसपास है. दूसरे नंबर पर पासवान जाति के वोटर हैं. इनकी आबादी लगभग ढाई लाख के आसपास है, तीसरे स्थान पर यादव जाति की आबादी है, इनकी तादाद भी लगभग सवा दो लाख है. आपको बता दें कि समस्तीपुर लोकसभा सीट पर 12 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. मुख्य मुकाबला शांभवी चौधरी और सन्नी हजारी के बीच है.

विधानसभाओं में किसका पलड़ा भारी : समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा हैं, जिसमें की हायाघाट और रोकना पर भाजपा का कब्जा है. तो कुशेश्वरस्थान, कल्याणपुर और बारिश नगर पर जदयू का कब्जा है. विधानसभा सीट के लिए हाथ से महागठबंधन के पास सिर्फ एक विधानसभा सीट समस्तीपुर है. इस हिसाब से पलड़ा एनडीए का भारी दिखाई देता है.

प्रधानमंत्री ने की है शांभवी की तारीफ : समस्तीपुर सीट पर नीतीश कुमार ने ऐलान कर दिया है की गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई होगी. उनका साफ इशारा महेश्वर हजारी की ओर है. किशोर कुणाल भी अपनी बहू के लिए प्रचार में लगे हैं. किशोर कुणाल की छवि का लाभ भी अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को मिल सकता है. प्रधानमंत्री की तारीफ से भी शांभवी को फायदा मिलता दिख रहा है.

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मुंगेर लोकसभा सीट : जदयू के बड़े नेता और नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह तीसरी बार यहां से चुनाव के मैदान में है. इस बार उनका मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी से है. 2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह ने महागठबंधन उम्मीदवार नीलम देवी को 167000 मतों से हराया था. मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट हैं. जिसमें मुंगेर, बाढ़ और लखीसराय पर भाजपा का कब्जा है तो सूर्यगढ़ा और मोकामा राष्ट्रीय जनता दल के पास है. जमालपुर सीट कांग्रेस के खाते में है.

मुंगेर का इतिहास और जाति समीकरण : 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू नेता ललन सिंह चुनाव जीते थे. लेकिन 2014 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी उम्मीदवार वीणा देवी ने ललन सिंह को हरा दिया और 2019 के चुनाव में एक बार फिर ललन सिंह एनडीए के टिकट पर चुनाव जीते. मुंगेर लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण की अगर बात कर ले तो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी भूमिहार जाति की है. लगभग 3.50 लाख वोटर भूमिहार जाति से हैं. धानुक 1.40 लाख, कुर्मी 1.49 लाख, यादव 2.93 लाख हैं.

दरभंगा लोकसभा सीट : भाजपा के टिकट पर गोपाल जी ठाकुर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. गोपाल जी ठाकुर का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल नेता और पूर्व मंत्री ललित यादव से है. 2019 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट पर राजद और भाजपा के बीच मुकाबला था. गोपाल जी ठाकुर ने राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को 267000 मतों के अंतर से हराया था. इस बार राष्ट्रीय जनता दल ने योद्धा बदला है और ललित यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. ललित यादव दरभंगा ग्रामीण विधानसभा सीट से लगातार 6 बार से विधायक हैं.

दरभंगा लोकसभा का इतिहास : 2024 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट पर कुल आठ उम्मीदवार मैदान में है. भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट है. जिसमें की गौरा बौराम, अलीपुर और दरभंगा पर भाजपा का कब्जा है, तो बेनीपुर और बहादुरपुर पर जदयू का कब्जा है. राष्ट्रीय जनता दल के पास सिर्फ एक सीट दरभंगा ग्रामीण है. इसलिहाज से भी एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है.

दरभंगा लोकसभा की विधानसभाओं का हाल : एनडीए के पांच विधायक दरभंगा लोकसभा सीट पर जीते हुए हैं. दरभंगा लोकसभा सीट पर बीजेपी के टिकट पर 1999, 2009 और 2014 में कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 में कीर्ती आजाद का टिकट कट गया और गोपाल जी ठाकुर सांसद बने. अगर जातिगत समीकरण की बात कर लें तो दरभंगा लोकसभा सीट को ब्राह्मणों का गढ़ कहा जाता है. यहां सबसे अधिक साढ़े 4 लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. जबकि दूसरे नंबर पर साढ़े 3 लाख वोट के साथ मुस्लिम दूसरे नंबर पर हैं. इसके अलावा मल्लाह जाति के मतदाता करीब 2 लाख जबकि एससी-एसटी के ढाई लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. वहीं यादव मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 60 हजार है. ऐसे में MY समीकरण को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 5 लाख 10 हजार पर पहुंच जाता है.

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि ''चौथे चरण में एनडीए के लिए चुनौती सीट बचाने की है. जबकि महागठबंधन को खाता खोलना है. इस फेज में भाजपा, जदयू और लोजपा तीनों के उम्मीदवार मैदान में हैं. रिश्तों में कितनी ईमानदारी है कि नहीं इसका भी लिटमस टेस्ट होगा. समस्तीपुर में नीतीश कुमार की साख दाव पर है. समस्तीपुर का रिजल्ट जो भी हो लेकिन महेश्वर हजारी के कुर्सी पर खतरा उत्पन्न हो गया है. उजियारपुर और दरभंगा में आमने-सामने की लड़ाई है. मुंगेर में अगड़ी और पिछड़े की लड़ाई हो गई है. आनंद सिंह के बाहर आने के बाद दो बाहुबलियों की लड़ाई देखने को मिलेगी.''

वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी का मानना है कि ''चौथे चरण में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के भाग्य का फैसला होना है, उनका पलड़ा भारी दिख रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के लगातार दौरे से स्थितियां उनके पक्ष में दिखाई दे रही हैं. जितनी तैयारी और प्रचार एनडीए नेताओं ने किया है, उस अनुपात में विपक्ष वोटरों तक पहुंचने में नाकामयाब साबित हुआ है. उनका प्रचार अभियान ढीला ढाला रहा है. वह लोगों को अपनी बात ठीक से नहीं समझ पाए. उन्होंने कहा संविधान खतरे में है, लेकिन जिन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है उनके गले यह सब बातें नहीं उतरी.''

4 जून को आएंगे नतीजे : फिलहाल चौथे चरण का चुनाव 13 मई को होगा. कुल 56 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. सभी की किस्मत का फैसला 13 मई को ही मतदाता करेंगे. देखना ये है कि पब्लिक इस बार किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधती है? क्या फिर से वही नेता रिपीट करेंगे या फिर कोई बदलाव होगा? महागठबंधन तस्वीर बदलने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. नतीजे 4 जून को घोषित होंगे. गौरतलब है कि बिहार में सभी चरणों में चुनाव हैं.

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