चित्रदुर्ग (कर्नाटक) : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को 'संविधान विरोधी' करार देते हुए जनता से इन्हें खारिज करने का आह्वान किया. उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर जाति के नाम पर समाज को बांटने का आरोप लगाया. वह यहां 'कर्नाटक पिछड़ा वर्ग महासंघ' एवं 'उत्पीड़ित समुदाय महासंघ' द्वारा आयोजित एक राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
सिद्धारमैया ने कहा, 'पिछड़े, दलित और शोषित जातियों और समुदायों के लोगों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि उनका दुश्मन कौन है. दुश्मनों को स्पष्ट रूप से पहचाना जाना चाहिए और उन्हें पूरी तरह से खारिज कर देना चाहिए.' कांग्रेस नेता ने दावा किया कि भाजपा और आरएसएस मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध करते रहे हैं और इन्होंने लगातार सामाजिक न्याय तथा समान अवसरों का विरोध किया है.
उन्होंने कहा, 'आंबेडकर ने चेतावनी दी थी कि संविधान और आरक्षण तथा सामाजिक न्याय के विरोधियों के हाथ में सत्ता नहीं जानी चाहिए. हमें इस चेतावनी को नहीं भूलना चाहिए.' यह दावा करते हुए कि के.एस. ईश्वरप्पा, सी.टी. रवि और आर. अशोक जैसे भाजपा नेता बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के बिना विधायक के रूप में विधानसभा में प्रवेश नहीं कर सकते थे, मुख्यमंत्री ने कहा, 'उन्हें किसी और के खेतों में काम करना पड़ता.'
सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि कुछ निहित स्वार्थी लोग इस बात के लिए उनका विरोध कर रहे हैं कि एक चरवाहे का बेटा मुख्यमंत्री बन गया है. उन्होंने दावा किया, 'वे (विपक्षी) सभी जातियों, मध्यम वर्ग और सभी धर्मों के गरीब लोगों के लिए योजनाएं लागू करने के कारण मेरा विरोध कर रहे हैं.'
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