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अयोध्या में राजकुमार की तरह जगाए जाते रामलला, खाते माल-पुआ व मक्खन, संगीत-नृत्य का लेते आनंद

अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान रामलला की सेवा राजकुमार की तरह हो रही है. सुबह मंगला आरती से उनकी दिनचर्या शुरू होती है रात को शयन आरती तक चलती है. चलिए जानते हैं रामलला की सेवा से जुड़ी खास बातें.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 29, 2024, 10:05 AM IST

अयोध्याः अयोध्या के राम मंदिर में कौशल्या नंदन राघव की सेवा किसी राजकुमार की तरह ही हो रही है. महल जैसे भव्य मंदिर में उन्हें माता कौशल्या जैसे भोर में रामलला को जगाती थी ठीक वैसे ही रामलला को जगाया जा रहा है. यही नहीं उनका सेवा सत्कार भी बेहद भव्य है. भोर की मंगला आरती से रात की शयन आरती तक उनकी सेवा राजकुमार जैसी होती है.

  • ऐसा कहते हैं सब लोग,
    कि जादू भरी है पद रज तुम्हारी ।।
    इस पद रज का स्पर्श हुआ तो,
    मौन शिला बनी सुंदर नारी ।।

    जय श्री राम 🚩🚩🙏🙏🚩🚩 pic.twitter.com/t0EclOucxW

    — 🇮🇳 Indrani 🇮🇳 (@Anti_Congressi) January 29, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भोर 4.30 बजे राजकुमार राघव को अर्चक जगाते
भोर 4.30 बजे रामलला को अर्चक विधि विधान से जगाते हैं. यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है जैसे रामलला को माता कौशल्या जगाती थी. इसके बाद अर्चक उनसे आज्ञा लेकर गर्भग्रह परिसर में प्रवेश करते हैं. रामलला को कई तरह से स्नान कराकर स्वर्ण जड़ित आभूषण और मुकुट धारण कराया जाता है. चूंकि राघव अयोध्या के राजकुमार है इसलिए बिना मुकुट के वह दर्शन नहीं दे सकते हैं. इसका विशेष ध्यान रखा जाता है. राघव की सेवा एक सुकोमल राजकुमार की तरह ही होती है. इस बात का अर्चक विशेष ध्यान रखते हैं.

शृंगार के बाद रामलला को उनकी पसंद का भोग अर्पित किया जाता है. इसमें फल, रबड़ी, खीर, मालपुआ, मक्खन आदि शामिल है. इसके बाद घंटे और घड़ियाल के साथ रामलला की भव्य आरती होती है. पूजन के अंत में रामलला राजकुमार की तरह दान पुण्य भी करते हैं. यह बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे किसी राजा का बेटा दान करता है. इसके बाद उन्हें बाल भोग अर्पित किया जाता है. इसके बाद भक्तों के दर्शन और पूजन का सिलसिला शुरू होता है.

गीत और संगीत का आनंद लेते राजकुमार
रामलला की 12 बजे राजभोग आरती होती है. इसमें पद सुनाए जाते हैं. इसके अलावा संगीत भी प्रस्तुत किए जाता है. यहीं नहीं शाम 6.30 बजे संध्या आरती और रात 10 बजे की शयन आरती में भी प्रभु को संगीत सुनाया जाता है.

  • श्रीराम जन्मभूमि पर संचालित रागोत्सव में आज प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना व केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत श्रीमति सुजाता महापात्र ने भावुकतापूर्ण मनमोहक नृत्य कला से श्रीराम लला के प्रति भक्ति, श्रद्धा व स्नेह समर्पित किया।

    In today's celebration of the Raagotsav at Shri… pic.twitter.com/AHI2qSvmay

    — Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 28, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

देशभर के बड़े कलाकार श्री राम राग सेवा में जुटे
रामलला की सेवा के लिए देशभर के जाने माने नृत्यकार, गीतकार, संगीतकार और गायक राम मंदिर में जुट रहे हैं. इस कार्यक्रम का नाम दिया गया है श्री राम राग सेवा. 28 जनवरी को ओडिसी नृत्यांगना सुजाता महापात्र ने रामलला के समक्ष नृत्य पेश कर राम राग सेवा की. इससे पहले 26 जनवरी को लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने भी कार्यक्रम पेश किया. यह कार्यक्रम 45 दिनों तक चलेगा. कलाकार रोज यह कार्यक्रम दोपहर तीन से पांच बजे के बीच पेश कर रहे हैं. श्रीरामलला तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से इस कार्यक्रम की झलकियां सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है.

ये भी पढ़ेंः रामलला के प्रति भक्तों की दीवानगी, 6 दिन में ही 18 लाख से अधिक लोगों ने किए दर्शन

ये भी पढ़ेंः यूपी पुलिस भर्ती 2023 की परीक्षा तिथि घोषित, जानिए कैसे मिलेगा एडमिट कार्ड

अयोध्याः अयोध्या के राम मंदिर में कौशल्या नंदन राघव की सेवा किसी राजकुमार की तरह ही हो रही है. महल जैसे भव्य मंदिर में उन्हें माता कौशल्या जैसे भोर में रामलला को जगाती थी ठीक वैसे ही रामलला को जगाया जा रहा है. यही नहीं उनका सेवा सत्कार भी बेहद भव्य है. भोर की मंगला आरती से रात की शयन आरती तक उनकी सेवा राजकुमार जैसी होती है.

  • ऐसा कहते हैं सब लोग,
    कि जादू भरी है पद रज तुम्हारी ।।
    इस पद रज का स्पर्श हुआ तो,
    मौन शिला बनी सुंदर नारी ।।

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भोर 4.30 बजे राजकुमार राघव को अर्चक जगाते
भोर 4.30 बजे रामलला को अर्चक विधि विधान से जगाते हैं. यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है जैसे रामलला को माता कौशल्या जगाती थी. इसके बाद अर्चक उनसे आज्ञा लेकर गर्भग्रह परिसर में प्रवेश करते हैं. रामलला को कई तरह से स्नान कराकर स्वर्ण जड़ित आभूषण और मुकुट धारण कराया जाता है. चूंकि राघव अयोध्या के राजकुमार है इसलिए बिना मुकुट के वह दर्शन नहीं दे सकते हैं. इसका विशेष ध्यान रखा जाता है. राघव की सेवा एक सुकोमल राजकुमार की तरह ही होती है. इस बात का अर्चक विशेष ध्यान रखते हैं.

शृंगार के बाद रामलला को उनकी पसंद का भोग अर्पित किया जाता है. इसमें फल, रबड़ी, खीर, मालपुआ, मक्खन आदि शामिल है. इसके बाद घंटे और घड़ियाल के साथ रामलला की भव्य आरती होती है. पूजन के अंत में रामलला राजकुमार की तरह दान पुण्य भी करते हैं. यह बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे किसी राजा का बेटा दान करता है. इसके बाद उन्हें बाल भोग अर्पित किया जाता है. इसके बाद भक्तों के दर्शन और पूजन का सिलसिला शुरू होता है.

गीत और संगीत का आनंद लेते राजकुमार
रामलला की 12 बजे राजभोग आरती होती है. इसमें पद सुनाए जाते हैं. इसके अलावा संगीत भी प्रस्तुत किए जाता है. यहीं नहीं शाम 6.30 बजे संध्या आरती और रात 10 बजे की शयन आरती में भी प्रभु को संगीत सुनाया जाता है.

  • श्रीराम जन्मभूमि पर संचालित रागोत्सव में आज प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना व केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत श्रीमति सुजाता महापात्र ने भावुकतापूर्ण मनमोहक नृत्य कला से श्रीराम लला के प्रति भक्ति, श्रद्धा व स्नेह समर्पित किया।

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    — Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 28, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

देशभर के बड़े कलाकार श्री राम राग सेवा में जुटे
रामलला की सेवा के लिए देशभर के जाने माने नृत्यकार, गीतकार, संगीतकार और गायक राम मंदिर में जुट रहे हैं. इस कार्यक्रम का नाम दिया गया है श्री राम राग सेवा. 28 जनवरी को ओडिसी नृत्यांगना सुजाता महापात्र ने रामलला के समक्ष नृत्य पेश कर राम राग सेवा की. इससे पहले 26 जनवरी को लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने भी कार्यक्रम पेश किया. यह कार्यक्रम 45 दिनों तक चलेगा. कलाकार रोज यह कार्यक्रम दोपहर तीन से पांच बजे के बीच पेश कर रहे हैं. श्रीरामलला तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से इस कार्यक्रम की झलकियां सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है.

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