सरगुजा: "कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों". सुनने में ये बात भले ही छोटी लगती है पर इसका अर्थ बड़ा गहरा है. लुंड्रा विकासखंड के दोरना गांव के रहने वाले राजनाथ यादव ने इन पंक्तियों को अपने जीवन में उतार लिया है. 34 साल की उम्र में राजनाथ अपने स्टार्टअप के जरिए आज लखपति बन गए हैं. उनकी मेहनत और उनके दिखाए रास्ते पर आज लुंड्रा के कई युवा अमीर बनने की राह पर निकल पड़े हैं.
मिल्क मैन राजनाथ: साल 2014 में राजनाथ ने अपने पिता के पुश्तैनी धंधे में कदम रखा. परिवार के लोग पहले पहले जंगली गाय भैंसों का पालन करते थे. इन गाय भैंसों के पालन से घर परिवार की जरुरत पूरी हो जाती थी. थोड़ी बहुत आय भी होती थी. राजनाथ ने जब पिता के साथ कारोबार में हाथ बंटाया तो उन्होने धंधे को और आगे बढ़ाने की सोची. पिता की सहमति मिलते ही राजनाथ ने बेहतर नस्ल की गाय और भैंसों का पालन शुरु किया. लोगों से जुटाई जानकारी और राजनाथ की कड़ी मेहनत रंग लाई. चंद सालों में ही राजनाथ इलाके के मिल्क मैन के रुप में पहचाने जाने लगे. आज राजनाथ के बाड़े में 50 गायों का बड़ा बेड़ा मोजूद है. कभी हजारों में होने वाली आमदनी आज लाखों में पहुंच गई है.
साल 2016 में मैंने गाय और भैंस पालन का बड़े पैमाने पर धंधा शुरु किया. आज मेरे पास जो गाय और भैंस हैं वो 15 से लेकर 20 लीटर तक दूध देती हैं. मेरे पास अभी 50 गाय हैं. गर्मी में दूध का उत्पादन कम हो जाता है और बारिश में बढ़ जाता है. रोजाना 300 लीटर दूध अभी निकलता है. दूध डेयरी फॉर्म और होटलों में जाता है. मैं अपने काम से पूरी तरह से संतुष्ट हूं. अपनी मेहनत करता हूं और बढ़िया कमाई उससे हो जाती है. जो लोग बेरोजगारी का रोना रोते हैं वो अगर लगन से कोई भी काम करें वो भी मेरी तरह आगे बढ़ सकते हैं. - राजनाथ यादव, स्टार्टअप शुरु करने वाला युवा
स्टार्टअप ने बनाया अमीर: राजनाथ कहते हैं कि हर दिन करीब 300 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है. दूध की बाजार में खपत भी अच्छी खासी है. होटलों में दूध की हर दिन सप्लाई होती है. गर्मी के मौसम में जरूर थोड़ा उत्पादन कम हो जाता है. राजनाथ आगे कहते हैं कि मैनें कभी नौकरी के बारे में नहीं सोचा. जब मैं बड़ा हुआ तो पिता को ये कारोबार करते देखा. घर में ही ये कारोबारा था लिहाजा करीब से जानने और समझने का पूरा मौका मिला. नफा और नुकसान को भी समझा. जब में बड़ा हुआ तो पिता के साथ इस धंधे में उतर गया. मैनें ये ठान लिया था कि मुझे इस काम में सफलता हर कीमत पर चाहिए. मैनें कड़ी मेहनत की. पिता का अनुभव और मेरी जुटाई जानकारी काम आई. 2016 में जो स्टार्टअप हमने शुरु किया वो आज अपने मुकाम पर पहुंच गया है. आज पीछे मुड़कर देखने तक की फुर्सत नहीं है. चार भैंसों से शुरु हुआ ये स्टार्टअप आज 50 मवेशियों तक पहुंच गया है. राजनाथ कहते हैं कि वो 40 रुपए लीटर की दर से दूध डेयरी फॉर्म वालों को बेचते हैं. हर दिन करीब 12000 और महीने के 3 लाख 40 हजार का दूध वो बेच रहे हैं.
''पहले हम लोग जंगली गाय भैंस पालते थे. अब हम लोग अच्छी नस्ल की गाय और भैंस पालते हैं. बेटा पढ़ लिखकर नौकरी करता तो घर से दूर हो जाता. बेटे ने घर के कारोबार को बढ़ाया है. आज मैं भी बहुत खुश हूं. अपना कारोबार भी ठीक से चल रहा है और बेटा भी घर में है. बेटे के घर में होने से हमे भी सहारा है. इस धंधे से कमाई बढ़िया हो जाती है. किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. गांव के कई लोग हमें देखकर अब अपना कारोबार शुरु कर चुके हैं''. - राजनाथ के पिता, दोरना गांव
पीछे मुड़कर देखने की नहीं पड़ी जरुरत: राजनाथ की मेहनत और लगन का नतीजा ये है कि उनकी हर गाय और भैंस करीब 15 से लेकर 20 लीटर दूध देती है. कारोबार आज इतना फैल गया है कि वो दूध की सप्लाई के लिए अपनी गाड़ी से अब निकलते हैं. परिवार जो पहले आर्थिक तौर पर कमजोर था अब बेहतर जिंदगी जी रहा है. गांव के कई युवा और सरगुजा के लोग राजनाथ को एक मिसाल के तौर पर देखते हैं. कई युवा राजनाथ से प्रेरणा लेकर अपना कारोबार शुरु कर चुके हैं.