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जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान, बोले- आपातकाल के समय न्यायपालिका इंदिरा गांधी के तानाशाही के आगे झुक गई - Vice President on Emergency - VICE PRESIDENT ON EMERGENCY

Rajasthan High Court Completed 75 Years, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को जोधपुर में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत की सशक्त और स्वतंत्र न्यायपालिका पर हमें गर्व है, लेकिन आपातकाल के समय न्यायपालिका इंदिरा गांधी के सामने झुक गई थी. यह एक दर्दनाक अपवाद है.

Jagdeep Dhankhar
जोधपुर में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 10, 2024, 5:35 PM IST

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित अमेजिंग इंडिया में न्यायपालिका की भूमिका के विषय पर बोल रहे थे. इस दौरान धनखड़ ने कहा कि भारत में सशक्त स्वतंत्र न्यायपालिका है, जो लोकतंत्र की रक्षा करती है. हमें इस पर गर्व है, लेकिन इसके साथ ही एक दर्दनाक अपवाद भी है, जिसे हमें नहीं भूलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया. यह हमारी स्वतंत्रता के बाद का सबसे काला दौर था. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम न्यायपालिका की एक बहुत ही उच्च संस्था का हिस्सा हैं, लेकिन उस समय नागरिकों के मूल अधिकारों के दुर्जेय गढ़ न्यायपालिका तत्कालीन प्रधानमंत्री की बेशर्म तानाशाही के आगे झुक गई थी. हम कल्पना करें कि अगर उच्चतम न्यायालय ने घुटने नहीं टेके होते तो आपातकाल नहीं लगता. हमारा देश बहुत पहले ही तरक्की कर चुका होता.

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उपराष्ट्रपति शनिवार को जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित अमेजिंग इंडिया में न्यायपालिका की भूमिका विषय पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के झुकने से लाखों को लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया. उनको अपमान सहना पड़ा. आज उनमें से कई प्रधानमंत्री, मंत्री और राज्यपाल हैं. देश आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं, लेकिन उस काले दौर को भूलना उचित नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि तब उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जब तक आपातकाल जारी है, तब तक कोई व्यक्ति अपने अधिकारों को लेकर न्यायालय में नहीं जा सकता. सरकार जब तक चाहे आपातकाल जारी रख सकती है. उस समय देश के 9 हाईकोर्ट ने लोगों के अधिकारों पर संज्ञान लिया था. उसमें राजस्थान हाईकोर्ट भी था, लेकिन उच्च्तम न्यायालय ने उनके फैसलों को पलट दिया था. आज मुझे इसका हिस्सा होने का गर्व है. राजस्थान उच्च न्यायालय ने साबित कर दिया था कि आपातकाल लागू होने के बाद लोगों की गिरफ्तारी कानून नियमों के अनुरूप नहीं थी. आज के युवाओं को इसका पता नहीं है, उनको जानना चाहिए.

पढ़ें : राजस्थान के मंत्री ने कांग्रेस के इस नेता पर किया पलटवार, बोले- देश में कभी भी बांग्लादेश जैसी स्थिति नहीं होगी - Minister bharatpur visit

इससे पहले उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की उभरती ताकत है. हमारे नवाचार पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है. हम सबका लक्ष्य होना चाहिए कि किसी भी काम से पहले राष्ट्रप्रथम रहे. समारोह को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एजी मसीह, न्यायाधीश संदीप मेहता, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव, भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने भी संबोधित किया.

कैसे बोल सकते हैं कि जो पड़ोस में हो रहा है भारत में होगा ? : उपराष्ट्रपति ने पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का नाम लिए बगैर कहा कि
कहा कि हाल ही में हमारे पड़ोस के देश में जो कुछ हुआ है, उसको लेकर एक व्यक्ति ने संसद में रहते हुए कहा कि जो पड़ोस में हो रहा है वह भारत में भी हो सकता है. यह बात कोई नागरिक कैसे कह सकता ? जबकि वह मंत्री रहा हो, विदेश सेवा का अधिकारी रहा हो. ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित अमेजिंग इंडिया में न्यायपालिका की भूमिका के विषय पर बोल रहे थे. इस दौरान धनखड़ ने कहा कि भारत में सशक्त स्वतंत्र न्यायपालिका है, जो लोकतंत्र की रक्षा करती है. हमें इस पर गर्व है, लेकिन इसके साथ ही एक दर्दनाक अपवाद भी है, जिसे हमें नहीं भूलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया. यह हमारी स्वतंत्रता के बाद का सबसे काला दौर था. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम न्यायपालिका की एक बहुत ही उच्च संस्था का हिस्सा हैं, लेकिन उस समय नागरिकों के मूल अधिकारों के दुर्जेय गढ़ न्यायपालिका तत्कालीन प्रधानमंत्री की बेशर्म तानाशाही के आगे झुक गई थी. हम कल्पना करें कि अगर उच्चतम न्यायालय ने घुटने नहीं टेके होते तो आपातकाल नहीं लगता. हमारा देश बहुत पहले ही तरक्की कर चुका होता.

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उन्होंने कहा कि तब उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जब तक आपातकाल जारी है, तब तक कोई व्यक्ति अपने अधिकारों को लेकर न्यायालय में नहीं जा सकता. सरकार जब तक चाहे आपातकाल जारी रख सकती है. उस समय देश के 9 हाईकोर्ट ने लोगों के अधिकारों पर संज्ञान लिया था. उसमें राजस्थान हाईकोर्ट भी था, लेकिन उच्च्तम न्यायालय ने उनके फैसलों को पलट दिया था. आज मुझे इसका हिस्सा होने का गर्व है. राजस्थान उच्च न्यायालय ने साबित कर दिया था कि आपातकाल लागू होने के बाद लोगों की गिरफ्तारी कानून नियमों के अनुरूप नहीं थी. आज के युवाओं को इसका पता नहीं है, उनको जानना चाहिए.

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कहा कि हाल ही में हमारे पड़ोस के देश में जो कुछ हुआ है, उसको लेकर एक व्यक्ति ने संसद में रहते हुए कहा कि जो पड़ोस में हो रहा है वह भारत में भी हो सकता है. यह बात कोई नागरिक कैसे कह सकता ? जबकि वह मंत्री रहा हो, विदेश सेवा का अधिकारी रहा हो. ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा.

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