जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को जोधपुर के ही निजी केन्द्र में उपचार करवाने का समय बढ़ाते हुए आवश्यक निर्देश के साथ आवेदन को निस्तारित कर दिया. जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ में आसाराम के आवेदन पर सुनवाई हुई. आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर बाजवा, निशांत बोडा, ललित किशोर सैन और यशपाल सिंह राजपुरोहित ने पैरवी की.
आवेदन में ये कहा : उन्होंने कोर्ट को बताया कि 21 मार्च को कोर्ट की अनुमति के बाद आसाराम को सेंट्रल जेल से जोधपुर आरोग्यधाम आयुर्वेद सेंटर में 25 मार्च भेजा गया. वहां उपचार शुरू हुआ, जिसका लाभ मिला और 2 अप्रैल को वापस सेंट्रल जेल भेज दिया गया. माधव बाग अस्पताल के चिकित्सकों की देखरेख में उपचार हुआ, लेकिन वहां पर आसाराम के कमरे के बाहर चार पांच पुलिस कर्मी मौजूद थे, जो उपचार के दौरान भी कमरे में मौजूद रहते. ऐसे में आसाराम की गोपनियता एवं उपचार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था.
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जरूरी होने पर उपचार अवधि बढ़ाई जाए : कोर्ट ने पूर्व के आदेश को आगे बढ़ाते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी को कहा कि वे वहां कि व्यवस्थाओं का अवलोकन करें. एएजी जोशी ने कोर्ट को बताया कि आसाराम के कमरे के बाहर पुलिस कर्मी तैनात थे जो कि सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक भी हैं. पुलिस की मौजूदगी से गोपनियता के साथ स्वास्थ्य सुधार में भी बाधा हो सकती है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने सभी को सुनने के बाद निर्देश दिए कि आसाराम को 7 से 10 दिन की अवधि के लिए निजी आयुर्वेद केन्द्र भेजा जाएगा. उसके बाद पुन: सेंट्रल जेल में भेजा जाएगा. उसके उपचार की समीक्षा करने और आवश्यकता होने पर उसके उपचार की अवधि को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
कोर्ट ने कहा कि यदि चिकित्सक सलाह देंगे तो पुन: 7 से 10 उपचार को आगे बढ़ाया जा सकेगा. कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वे आवेदन की पसंद के दो व्यक्तियों को कमरे में मौजूद रहने की अनुमति देंगे. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधिकारी आवेदक की गोपनीयता बरकरार रखेंगे और उपचार में बाधा नहीं होनी चाहिए. कमरे में सूर्य के प्रकाश के सम्पर्क की आवश्यकता है, क्योंकि विटामिन डी उपचार के लिए आवश्यक है. कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए उपचार की अनुमति प्रदान करते हुए आवेदन को निस्तारित कर दिया.