रांची: झारखंड में प्रकृति पर्व सरहुल पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. सरहुल जुलूस निकलने से पहले भविष्यवाणी की जाती है कि इस साल कैसी बारिश होगी. प्रकृति पर्व सरहुल की विधि विधान से पूजा करने के बाद पाहन ने इसकी भविष्यवाणी कर दी है. भविष्यवाणी की गई है कि इस वर्ष बेहतरीन मानसून रहेगा और अच्छी बारिश होगी. रांची में जगलाल पाहन ने यह भविष्यवाणी की है.
समय पर फसल लगाएं किसान
गुरुवार को प्रकृति पर्व सरहुल के अवसर पर जगलाल पाहन द्वारा विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गयी. पूजा संपन्न होने के बाद पाहन ने भविष्यवाणी की कि इस वर्ष शानदार मानसून रहेगा. आम लोगों के साथ-साथ किसानों को भी पानी की दिक्कत नहीं होगी. भविष्यवाणी के बाद पाहन ने राज्य के सभी किसानों से समय पर बीज रोपाई की अपील की है, ताकि फसल अच्छी हो.
पाहन को कंधे पर बैठाने की परंपरा
सरहुल में सरना स्थल पर पूजा के बाद पूजा स्थल पर ही पाहन को घड़े के पानी से स्नान कराने और फिर कंधे पर उठाकर मंदिर तक ले जाने की परंपरा है, जिसका पालन गुरुवार को भी किया गया.
विधि-विधान से की गई पूजा
इससे पहले रांची के हात्मा स्थित सरना स्थल पर पूरे विधि-विधान से सूर्य देवता, पहाड़ देवता और जल देवता की पूजा की गई. पूजा के दौरान सरना स्थल पर दो नये घड़ों में पानी रखा गया था, साल पेड़ की टहनियों से पाहन के द्वारा पानी मापा गया, जिसके बाद चार मुर्गों की बलि दी गयी.
जगलाल पाहन ने बताया कि सफेद मुर्गे की बलि भगवान सिंगबोंगा को, रंगवा मुर्गे की बलि जल देवता यानी इकिर बोंगा को, रंगली मुर्गे की बलि पूर्वजों को और काले मुर्गे की बलि अनिष्ट करने वाली आत्माओं की शांति के लिए दी गई. पूजा के बाद घड़े में रखे पानी से पाहन को स्नान कराया गया और फिर थाली में उनके पैर धोए गए, जिसके बाद पाहन ने बारिश की भविष्यवाणी की.
चार दिनों तक चलता है सरहुल पर्व
गौरतलब है कि सरहुल पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. सरहुल के पहले दिन मछली का अभिषेक किया हुआ जल घर में छिड़का जाता है. दूसरे दिन, उपवास रखा जाता है और गांव का पुजारी गांव के हर घर की छत पर साल का फूल रखता है. तीसरे दिन गांव के पाहन सरना स्थल पर सरई के फूलों से पूजा करते हैं. इस दिन पाहन उपवास रखते हैं. साथ ही पाहन द्वारा मुर्गे की बलि भी दी जाती है. पूजा के चौथे दिन सरहुल के फूलों का विसर्जन किया जाता है.
पहले दिन पकड़े गए मछली और केकड़ा
इससे पहले बुधवार को सभी मौजा के युवाओं ने केकड़ा और मछली पकड़ा और जल रखाई की पूजा की. पाहन जगलाल के अनुसार महाप्रलय के समय धर्मेश और सरना मां ने दो लोगों को केकड़े के बिल में छिपा दिया था ताकि सृष्टि फिर से शुरू हो सके, तभी से केकड़े को पकड़ने की परंपरा प्रचलन में है. बुधवार को भी सरहुल को लेकर कई अनुष्ठान पूरे किये गये थे. बुधवार को पाहनों द्वारा दो घड़ों में पानी रखकर जल रखाई पूजा भी की गयी थी, जिसके जरिए बारिश की भविष्यवाणी की जाती है.
शोभा यात्रा में शांति बनाए रखने की अपील
पूजा संपन्न करने के बाद जगलाल पाहन ने बताया कि सरहुल शोभा यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को संयम बरतने की सीख दी गयी है. इस बार जुलूस के दौरान लोगों से डीजे नहीं बजाने की अपील की गई है.
यह भी पढ़ें: प्रकृति पर्व सरहुल की शोभा यात्रा आज, केकड़ा और मछली पकड़ने की विधि हुई पूरी - Sarhul 2024