तिरुनेलवेली (तमिलनाडु): रद्द किए गए टिकटों का धन वापसी जारी नहीं करने पर जिला उभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रेलवे को 25 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. मामला सात साल पहले केटीसी नगर निवासी को रेलवे के द्वारा रद्द किए गए टिकटों के एवज में धन नहीं लौटाने का है. बताया जाता है कि केटीसी टाउन के प्रभु (53) ने एक बच्चे सहित चार लोगों के लिए तिरुनेलेवेली जंक्शन से चेंगलपट्टू और फिर वृद्धाचलम से तिरुनेलवेली तक की ट्रेन टिकटें खरीदी थीं. उन्होंने इन टिकटों के लिए 5815 रुपये किराया चुकाया था.
कुछ निजी वजहों से प्रभु को अपनी यात्रा को रद्द करना पड़ा. वहीं टिकट रद्द करते समय उन्हें नियमों के मुताबिक 4860 रुपये वापस करने का आश्वासन दिया गया था. हालांकि कई बार अनुरोध किए जाने के बाद रेलवे ने प्रभु को रिफंड नहीं दिया.
इस पर प्रभु ने वकील के माध्यम से तिरुनेलवेली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में भारतीय रेलवे के खिलाफ याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष प्लासट ठाकुर और सदस्य कनकसबापथी की उपस्थिति में हुई. इसके साथ ही जांच में इस बता की पुष्टि हुई कि याचिकाकर्ता को रेलवे ने धोखा दिया था.
इसके बाद तिरुनेलवेली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रेलवे को प्रभु को मुआवजे के रूप में 25 हजार रुपये और मुकदमे के खर्च के रूप में 5 हजार रुपये देने का आदेश दिया. आयोग ने यह भी कहा कि यदि एक माह के अंदर राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा.
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