नई दिल्ली: तिहाड़ जेल एशिया की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक में गिनी जाती है. लेकिन पिछले कुछ समय से यहां की अलग-अलग जेल में कैदियों के ऊपर हमले व हत्या की घटनाएं सामने आई हैं. शनिवार को दो कैदियों के ऊपर हुए हमले की घटना ने एक बार फिर जेल में बंद वीवीआईपी कैदियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया है.
जेल में ये वीवीआईपी: दरअसल इस वक्त तिहाड़ जेल नंबर दो में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और बीआरएस नेता के. कविता बंद हैं. हालांकि उनकी सुरक्षा में चार जीआरटी टीम के अलावा तमिलनाडु पुलिस और तिहाड़ जेल के सुरक्षाकर्मी हर वक्त मौजूद रहते हैं. लेकिन हमले और हत्या की घटनाओं से तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर फिर सवाल उठाए जा रहे हैं.
ये गैंगस्टर तिहाड़ में: मिली जानकारी के अनुसार, इस वक्त तिहाड़ जेल में कुल कैदियों में से 32 फीसदी कैदी, दिल्ली के बाहर के हैं. इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के कैदी हैं. इसके अलावा कुछ कैदी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, नेपाल, इटली, यूके और बांग्लादेश मूल के भी हैं. तिहाड़ की जेलों में वर्तमान में लगभग 20 से अधिक गैंगस्टर बंद है, जिसमें लॉरेंस बिश्नोई, हासिम बाबा, संपत नेहरा, नीरज बवानिया, नासिर, अनिल भाटी, रवि गंगवार, रोहित चौधरी और रशीद केबल वाला बदमाश शामिल हैं. इतना ही नहीं हाल ही में दिल्ली पुलिस ने शातिर बदमाश दीपक बॉक्सर को मेक्सिको से गिरफ्तार किया था. वह भी तिहाड़ जेल में ही बंद है.
यह भी पढ़ें- तिहाड़ जेल में फिर खूनी संघर्ष! भाई की मौत का बदला लेने के लिए चाकू से हमला, दो कैदियों की हालत गंभीर
पूर्व अधिकारी ने कही ये बात: जेल के भीतर इन कैदियों के पास से समय-समय पर मोबाइल फोन, नुकीले हथियार आदि भी मिल चुके हैं. इतना ही नहीं, कई बार इनके पास से मादक पदार्थ भी मिल चुके हैं, जो यहां की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है. 2023 में जब गैंगस्टर टिल्ली ताजपुरिया की नृशंस हत्या हुई थी, तब घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद नौ जेलकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था. इस मामले में तिहाड़ जेल में पूर्व अधिकारी सुनील गुप्ता ने कहा कि जेल में ज्यादातर दानिक्स कैडर के अधिकारी तैनात हैं. इनके पास जेल के मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त अनुभव व क्षमता नहीं है. साथ ही अधिकारियों के बीच समन्वय की भी कमी दिखाई देती है. जेल कर्मचारियों की कैदियों से मिलीभगत की भनक लगते ही तुरंत उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
यह भी पढ़ें- तिहाड़ जेल में एक बार फिर गैंगवार, गोगी गैंग के बदमाश पर कैदियों ने किया हमला