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AMU प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले कुरान और हदीस के सवाल हटाए गए - Aligarh Muslim University - ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY

AMU प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले शरिया के सवाल हटा दिये गए हैं. इन सवालों की जगह मुगल काल से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (फोटो क्रेडिट: Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 4, 2024, 10:40 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले शरिया के सवाल हटाए गए हैं. दरअसल, कक्षा 11 की प्रवेश परीक्षा में इंडो इस्लामिक विषय पर सवाल पूछे जाते हैं. बता दें कि 11 मई को विश्वविद्यालय की कक्षा 11 की प्रवेश परीक्षा होनी है. इसमें 100 अंक की प्रवेश परीक्षा में 10 अंक के सवाल इंडो इस्लामिक भाग से पूछे जाते हैं. इसमें तीन सवाल अकिदा, इबादत, रसूल का व्यक्तित्व, कुरान हदीस से संबंधित आते थे, जो कि इस बार नहीं होंगे.

इन सवालों की जगह मुगल काल से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे. हालांकि, 11वीं कक्षा की प्रवेश परीक्षा में सिलेबस में बदलाव को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्टीकरण दिया है.

वहीं, कुछ लोगों ने AMU प्रशासन पर सिलेबस में शामिल इंडो इस्लामिक क्षेत्र से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. एएमयू प्रबंधन पर जानबूझकर किसी विशेष भाग को हटाने के आरोप है. वहीं, विश्वविद्यालय की नई कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि इस तरह की बातें आधारहीन और मनगढ़ंत हैं.

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि कक्षा ग्यारह और बीए की प्रवेश परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन विश्वविद्यालय की प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है, जिसके तहत विभिन्न परीक्षाओं के पाठ्यक्रम को समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है और ये संशोधन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुसार भी हैं. कक्षा 11वीं की प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल 10 अंकों के इंडो-इस्लामिक खंड को संशोधित कर इस खंड के लिए आवंटित अंकों के अनुरूप बनाया गया है. इस बात पर काफी समय से विचार चल रहा है कि जो छात्र 11वीं कक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनसे 10 अंकों के लिए कितने विषय पूछे जा सकते हैं. इसके अलावा, यह सवाल भी विचाराधीन था कि कक्षा 11 की प्रवेश परीक्षा के लिए इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम, बीए प्रवेश परीक्षा के लिए इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम से अधिक कैसे हो सकता है.

इन मुद्दों पर सामंजस्य स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद ने 24 फरवरी 2024 को आयोजित अपनी बैठक में विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति की 3 फरवरी 2024 को आयोजित बैठक में पारित प्रस्तावों को मंजूरी देते हुए प्रस्तावित संशोधन को लागू करने के लिए कुलपति को एक समिति गठित करने के लिए अधिकृत किया. तदनुसार, कुलपति ने एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसने 5 मार्च 2024 और 9 मार्च 2024 को आयोजित अपनी बैठकों में उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के इंडो-इस्लामिक अनुभाग के साथ-साथ अन्य अनुभागों की समीक्षा की, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित करते हुए शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की प्रवेश परीक्षा के लिए नियम में शामिल कर लिया गया.

बता दें कि ये सभी निर्णय विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति के कार्यभार संभालने से पहले लिए गए थे. इन आवश्यक निर्णयों का उद्देश्य प्रवेश परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल विषयों और उनके लिए आवंटित अंकों को तर्कसंगत बनाना है. पहले, 11वीं कक्षा की प्रवेश परीक्षा के इंडो-इस्लामिक खंड के पाठ्यक्रम में पूरी तरह से इस्लामी विषय शामिल थे, जो धर्मशास्त्र (theology)संकाय के तहत पढ़ाए जाते हैं. इसलिए, इन विषयों को हटाकर, विशुद्ध रूप से इंडो-इस्लामिक विषयों को शामिल किया गया. इसके साथ ही, देश और राष्ट्र के निर्माण में उनकी असाधारण सेवाओं को देखते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जीवन और सेवाओं पर आधारित विषयों को जोड़ा गया है.

वर्तमान पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति, परम्पराओं, भारत में मुसलमानों के आगमन के बाद अन्य समुदायों के साथ उनके संबंधों से बनी नई संस्कृति, सूफियों और धर्म गुरुओं की शिक्षाएं, वास्तुकला पर मुसलमानों का प्रभाव आदि पर जोर दिया गया है, क्योंकि ये मूल रूप से इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं. विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि एमए उर्दू में प्रवेश के लिए सीटों में कोई कटौती नहीं की गई है.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले शरिया के सवाल हटाए गए हैं. दरअसल, कक्षा 11 की प्रवेश परीक्षा में इंडो इस्लामिक विषय पर सवाल पूछे जाते हैं. बता दें कि 11 मई को विश्वविद्यालय की कक्षा 11 की प्रवेश परीक्षा होनी है. इसमें 100 अंक की प्रवेश परीक्षा में 10 अंक के सवाल इंडो इस्लामिक भाग से पूछे जाते हैं. इसमें तीन सवाल अकिदा, इबादत, रसूल का व्यक्तित्व, कुरान हदीस से संबंधित आते थे, जो कि इस बार नहीं होंगे.

इन सवालों की जगह मुगल काल से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे. हालांकि, 11वीं कक्षा की प्रवेश परीक्षा में सिलेबस में बदलाव को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्टीकरण दिया है.

वहीं, कुछ लोगों ने AMU प्रशासन पर सिलेबस में शामिल इंडो इस्लामिक क्षेत्र से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. एएमयू प्रबंधन पर जानबूझकर किसी विशेष भाग को हटाने के आरोप है. वहीं, विश्वविद्यालय की नई कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि इस तरह की बातें आधारहीन और मनगढ़ंत हैं.

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि कक्षा ग्यारह और बीए की प्रवेश परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन विश्वविद्यालय की प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है, जिसके तहत विभिन्न परीक्षाओं के पाठ्यक्रम को समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है और ये संशोधन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुसार भी हैं. कक्षा 11वीं की प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल 10 अंकों के इंडो-इस्लामिक खंड को संशोधित कर इस खंड के लिए आवंटित अंकों के अनुरूप बनाया गया है. इस बात पर काफी समय से विचार चल रहा है कि जो छात्र 11वीं कक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनसे 10 अंकों के लिए कितने विषय पूछे जा सकते हैं. इसके अलावा, यह सवाल भी विचाराधीन था कि कक्षा 11 की प्रवेश परीक्षा के लिए इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम, बीए प्रवेश परीक्षा के लिए इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम से अधिक कैसे हो सकता है.

इन मुद्दों पर सामंजस्य स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद ने 24 फरवरी 2024 को आयोजित अपनी बैठक में विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति की 3 फरवरी 2024 को आयोजित बैठक में पारित प्रस्तावों को मंजूरी देते हुए प्रस्तावित संशोधन को लागू करने के लिए कुलपति को एक समिति गठित करने के लिए अधिकृत किया. तदनुसार, कुलपति ने एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसने 5 मार्च 2024 और 9 मार्च 2024 को आयोजित अपनी बैठकों में उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के इंडो-इस्लामिक अनुभाग के साथ-साथ अन्य अनुभागों की समीक्षा की, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित करते हुए शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की प्रवेश परीक्षा के लिए नियम में शामिल कर लिया गया.

बता दें कि ये सभी निर्णय विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति के कार्यभार संभालने से पहले लिए गए थे. इन आवश्यक निर्णयों का उद्देश्य प्रवेश परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल विषयों और उनके लिए आवंटित अंकों को तर्कसंगत बनाना है. पहले, 11वीं कक्षा की प्रवेश परीक्षा के इंडो-इस्लामिक खंड के पाठ्यक्रम में पूरी तरह से इस्लामी विषय शामिल थे, जो धर्मशास्त्र (theology)संकाय के तहत पढ़ाए जाते हैं. इसलिए, इन विषयों को हटाकर, विशुद्ध रूप से इंडो-इस्लामिक विषयों को शामिल किया गया. इसके साथ ही, देश और राष्ट्र के निर्माण में उनकी असाधारण सेवाओं को देखते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जीवन और सेवाओं पर आधारित विषयों को जोड़ा गया है.

वर्तमान पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति, परम्पराओं, भारत में मुसलमानों के आगमन के बाद अन्य समुदायों के साथ उनके संबंधों से बनी नई संस्कृति, सूफियों और धर्म गुरुओं की शिक्षाएं, वास्तुकला पर मुसलमानों का प्रभाव आदि पर जोर दिया गया है, क्योंकि ये मूल रूप से इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं. विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि एमए उर्दू में प्रवेश के लिए सीटों में कोई कटौती नहीं की गई है.

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