रांची: केंद्रीय कैबिनेट के द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन पर मुहर लगाए जाने के बाद एक बार फिर इस पर झारखंड में सियासत शुरू हो गई है. इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच छिड़ी बहस के बीच सभी दल अपने अपने हिसाब से नफा नुकसान की बात कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि केंद्र में एनडीए की बहुमत वाली सरकार है कुछ भी निर्णय ले सकते हैं मगर इसका क्या प्रतिफल निकलेगा वो समय बताएगा. आजादी के समय में भी देश में एक साथ चुनाव होते थे, भारतीय जनता पार्टी अपने एजेंडा के तहत काम करने में जुटी है, हम लोग अपने तरह से काम कर रहे हैं.
बीजेपी नेताओं ने फैसले का किया स्वागत
वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी मुखर है. पार्टी नेताओं के द्वारा केंद्रीय कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया जा रहा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जहां इसका स्वागत करते हुए चुनाव के दौरान अनावश्यक खर्च में कमी आने की बात कही है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने इसका स्वागत करते हुए कहा है कि यह देश के लिए आवश्यक है इससे लोकतंत्र की और मजबूत होगा.
भाजपा विधायक और पूर्व स्पीकर सीपी सिंह कहते हैं कि मैं इसका स्वागत करता हूं यह देश के लिए लाभदायी है. चूंकि एक बार इलेक्शन होगा तो पैसा बचेगा जो देश के विकास में खर्च होगा.
शीतकालीन सत्र में बिल आने की संभावना
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल जाने के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि शीतकालीन सत्र के दौरान ही केंद्र सरकार के द्वारा संसद में वन नेशन वन इलेक्शन संबंधी बिल लाया जाएगा. बता दें कि देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनी विशेष कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सुझाव केंद्र सरकार को दिया था. इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिली है.
देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में हुए थे. पहला आम चुनाव अक्टूबर 1951 और मई 1952 के बीच आयोजित किया गया था. जिसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, केंद्र और राज्यों में निचले सदनों और उच्च सदनों के सदस्यों का चुनाव तीन-स्तरीय प्रक्रिया के तहत किया गया था जबकि दूसरा आम चुनाव मार्च 1957 में संपन्न हुआ.
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