रांचीः जेएमएम नेता दुर्गा सोरेन के निधन की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर झारखंड में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है. शिबू सोरेन की बड़ी बहू और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी चाहती हैं कि उनके पति की मौत की उच्चस्तरीय जांच हो. इसको लेकर एक तरफ भाजपा ने सीबीआई जांच की मांग कर दी है. दूसरी ओर इस मांग पर झामुमो मौन है तो कांग्रेस भाजपा मुखर नजर आ रही है.
झारखंड की राजनीति में इन दिनों शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दिवंगत दुर्गा सोरेन के निधन का मामला सुर्खियों में है. झामुमो से नाता तोड़कर भाजपा में शामिल हुईं दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन ने जब सार्वजनिक रूप से अपने पति दुर्गा सोरेन की असामयिक मौत की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की. जिसके बाद से प्रदेश में फिर एक बार यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया है. बता दें कि मई 2009 में बोकारो स्थित आवास पर दुर्गा सोरेन का निधन हो गया था, निधन का कारण मस्तिष्क से रक्तस्त्राव को बताया गया था.
मौत से किसको फायदा हुआ- प्रदेश भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जब एक पत्नी चाहती है कि उनके पति की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई तो इस जांच में क्या आपत्ति है. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि उस महिला के दर्द समझिए जिन्होंने बेहद कम उम्र में अपने जीवन साथी को हमेशा के लिए खो दिया. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि दुर्गा सोरेन की मौत से किसे राजनीतिक फायदा हुआ, कौन जांच कराने से भाग रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए.
सीता सोरेन की मांग पर झामुमो मौन-कांग्रेस मुखर
सोरेन परिवार के अंदर की बात होने की वजह से झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और अन्य नेता जहां चुप रहना की उचित समझते हैं, वहीं कांग्रेस इस मामले पर भाजपा पर मुखर है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा कहते हैं कि भाजपा द्वारा लिखी हुई स्क्रिप्ट को सीता सोरेन किसी दवाब में पढ़ रही हैं. भाजपा के नेताओं और सीता सोरेन को यह बताना चाहिए कि 2009 से सीता सोरेन खुद विधायक रहीं और 2014-2019 तक प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, उस समय दुर्गा सोरेन के मौत मामले की जांच क्यों नहीं कराई गयी.
जानिए, दुर्गा सोरेन को
1970 में शिबू सोरेन और रूपी सोरेन को दुर्गा सोरेन के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई. शिबू सोरेन के तीन पुत्र और एक पुत्री में दुर्गा सोरेन सबसे बड़े हैं. इसके अलावा परिवार में हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन और पुत्री अंजलि सोरेन शामिल हैं. दुर्गा सोरेन अपने पीछे पत्नी सीता सोरेन और तीन पुत्रियां (जयश्री सोरेन, राजश्री सोरेन और विजयश्री सोरेन) छोड़ गये हैं. 2022 में दुर्गा सोरेन और सीता सोरेन की पुत्री जयश्री सोरेन ने दुर्गा सोरेन सेना की केंद्रीय कमेटी का गठन कर संगठन का विस्तार किया.
दुर्गा सोरेन युवा अवस्था में ही सक्रिय राजनीति में शामिल हो गये थे. दुर्गा सोरेन 1995 में संयुक्त बिहार में पहली बार जामा विधानसभा सीट से जीत हासिल कर विधायक बने. इसके बाद 2000 में एक बार फिर से उन्होंने जामा से जीत हासिल की. लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में दुर्गा सोरेन भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन से चुनाव हार गये. इसके बाद दुर्गा सोरेन ने लोकसभा चुनाव में भी हाथ आजमाए लेकिन यहां भी उन्हें बीजेपी उम्मीदवार निशिकांत दुबे के हाथों शिकस्त मिली.
21 मई 2009 को बोकारो स्थित आवास में 40 वर्ष की आयु में दुर्गा सोरेन का निधन हो गया. दुर्गा सोरेन की असामयिक निधन की वजह तब मस्तिष्क में स्राव बतायी गयी थी. तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी मौत को लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए गये. इतना ही नहीं पत्नी सीता सोरेन ने भी अपने पति की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच करती रहीं. इस बाबत सीता सोरेन खुद भी कहती हैं कि 2009 से लगातार वह अपने परिवार के अंदर जांच की मांग करती रहीं हैं लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.
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