नई दिल्ली: दिल्ली के प्रशांत विहार इलाके में रविवार सुबह सीआरपीएफ स्कूल की चारदीवारी के समीप विस्फोट मामले में प्रशांत विहार थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है. हालांकि यह केस स्पेशल सेल या एनआइए में ट्रांसफर किया जा सकता है. विस्फोट के बाद करीब पांच घंटे तक केंद्रीय जांच एजेंसियों ने वहां से सबूत इकठ्ठे किए. घटना के बाद गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगने पर उन्हें प्रारंभिक रिपोर्ट भेज दी गई है.
सभी एजेंसियों के एक्सपर्ट्स ने अपने-अपने स्तर पर प्रथम दृष्टया मौके से उठाए गए केमिकल व अन्य नमूने को पास स्थित खाली जगह पर ले जाकर जांच की. ब्लास्ट में फिलहाल नाइट्रेट व क्लोराइड का इस्तेमाल किए जाने का पता चला है, जिसे उच्च श्रेणी विस्फोटक में नहीं माना जाता है. अभी एजेंसियों को यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि धमाका कैसे कराया गया. क्योंकि मौके से टाइमर, डेटोनेटर, तार, बैट्री, घड़ी आदि नहीं मिले हैं. जिससे यह माना जाए कि धमाके के लिए रिमोट का इस्तेमाल किया गया हो.
स्कूल की दीवार, फुटपाथ व पेड़ों से लेकर दुकानों से उठाए गए नमूने
घटनास्थल पर सुरक्षा एजेंसियों की टीम करीब पांच घंटे तक जांच करती रही. स्कूल की दीवार, फुटपाथ, पेड़ों व सड़क से लेकर दुकानों से नमूने उठाए गए. वहां से सफेद रंग के पाउडर और कुछ तारनुमा चीजें भी बरामद हुई हैं. डॉग स्क्वायड की टीम तीन घंटे तक मौके पर जांच करती रही.
दिल्ली में हुए धमाके की मल्टी एजेंसी जांच चल रही है. मैं जांच की प्रगति पर लगातार नजर रख रहा हूं और आश्वासन देता हूं कि दोषियों को सजा दी जाएगी. मैं सभी से संयम बनाए रखने और भय फैलाने में शामिल नहीं होने की अपील करता हूं.
-वीके सक्सेना, उपराज्यपाल
एनएसजी अपने साथ रोबोटिक मशीन व स्नाइपर डॉग साथ लेकर पहुंची, जिसके सूंघने की क्षमता ज्यादा होती है. विस्फोटक का पता चलने के बाद प्रशांत विहार थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है. जांच के लिए केस को स्पेशल सेल अथवा एनआइए में ट्रांसफर किया जा सकता है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारी का कहना है कि सभी एजेंसियों के एक्सपर्ट नमूने को अपने साथ लेकर गए हैं. जिन्हें वे अपने-अपने लैब में विस्तृत जांच करेंगे, उसके बाद धमाके में इस्तेमाल किए गए केमिकल व विस्फोटक के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी.
जांच एजेंसियों का कहना है धमाके में किया गया काफी केमिकल का इस्तेमाल
जांच एजेंसियों का कहना है धमाके में काफी केमिकल का इस्तेमाल किया गया. यह देशी यानी क्रूड बम जैसा भी नहीं लग रहा है. क्योंकि क्रूड बम में शीशा, कील व छर्रे आदि का इस्तेमाल किया जाता है. एनडीआरएफ को इसलिए मौके पर बुलाया गया था जिससे यह पता लगाया जा सके कि रेडियो एक्टिव जैसी कोई बात तो नहीं थी. लेकिन जांच में रेडियो एक्टिव जैसा कुछ नहीं मिला.
एजेंसियों का मानना है कि हो सकता है कि त्योहारों पर दहशत फैलाने के लिए किसी ने इस तरह की हरकत की हो. धमाके की पूरी वारदात पास में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. फुटेज में साफ दिख रहा है कि सुबह 7.0 2 बजे स्कूल के सामने वाली सड़कों से लोग अपने वाहनों से आवाजाही कर रहे हैं. तभी 7.03 बजे स्कूल की दीवार के साथ पहले चिंगारी उठी और फिर दो से तीन सेकेंड में जोरदार धमाका हुआ. इसके बाद हर तरफ धुआं भर गया.
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