हैदराबादः नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद तक की प्रेरक जीवन यात्रा उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले के एक छोटे से शहर वडनगर की गलियों से शुरू हुई. भारत को स्वतंत्रता मिलने के तीन साल बाद उनका जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था. इस तरह वे स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए. नरेंद्र मोदी, दामोदरदास मोदी और हीराबा मोदी की तीसरी संतान हैं. वे एक साधारण परिवार से आते हैं, जिसका मूल और साधन बहुत कम हैं. पूरा परिवार एक छोटे से एक मंजिला घर में रहता था, जो लगभग 40 फीट गुणा 12 फीट का था.
नरेंद्र मोदी जीवन यात्रा का संक्षिप्त परिचय
- 17 सितंबर 1950 को महेसाणा जिले के वडनगर गांव में नरेंद्र मोदी का जन्म गुजरात के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था.
- 1972 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक ज्वाइन करने के बाद और उन्होंने स्वयं सेवक के रूप काम-काज शुरू कर दिया.
- 1978 में उनके काम-काज को देखते हुए संघ की ओर से वडोदरा में विभाग प्रचारक की जिम्मेदारी दी गई.
- 1980 में दक्षिण गुजरात और सूरत संभाग के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने प्रचारक की जिम्मेदारी दी गई.
- 1987 में भाजपा के सदस्य बनने के बाद वे गुजरात ईकाई के महसचिव बनाए गए.
- 1987 में भाजपा नेता एल के आडवाणी की ओर से शुरू किये गये न्याय रथ यात्रा में सक्रिय रूप से शामिल हुए.
- 1987 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से आयोजित लोक शक्ति यात्रा निकाला गया. लगभग 3 माह तक चले यात्रा में नरेंद्र मोदी सक्रिय रहे.
- 1990 में गुजरात में विधान सभा चुनाव हुआ. इसमें 43 सीटों में से 67 सीटों पर भाजपा के झोली में गई. इस चुनाव में उनका कद ऊंचा हुआ.
- 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बने. इस पद वे लगातार 22 मई 2014 रहे.
- गुजरात मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद वे भारत के पीएम बने.
- लगातार 3 बार गुजरात विधान सभा चुनावों में पार्टी की जीत के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर दमदारी के साथ स्थापित किया.
- 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप शपथ ली.
- बड़े बहुमत से जीतने के बाद 30 मई 2019 को लगातार दूसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने.
- वे लगातार तीसरी बार उत्तर प्रदेश के वाराणसी लोक सभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर संसद सदस्य चुने गये.
- 9 मई 2024 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीसरे कार्यकाल के लिए उन्होंने शपथ ली.
नरेंद्र मोदी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नरेंद्र मोदी के प्रारंभिक वर्षों ने उन्हें शुरुआती कठिन सबक सिखाए, क्योंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई, गैर-शैक्षणिक जीवन को संतुलित किया और परिवार के स्वामित्व वाली चाय की दुकान पर काम करने के लिए समय निकाला, क्योंकि परिवार को अपना खर्च चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था. उनके स्कूल के दोस्तों को याद है कि बचपन में भी वे बहुत मेहनती थे और उन्हें वाद-विवाद और किताबें पढ़ने का शौक था. स्कूल के साथी याद करते हैं कि कैसे मोदी स्थानीय पुस्तकालय में कई घंटे पढ़ते थे. बचपन में उन्हें तैराकी का भी शौक था.
एक बच्चे के रूप में मोदी के विचार और सपने उनकी उम्र के अधिकांश बच्चों की सोच से बिल्कुल अलग थे. शायद यह वडनगर का प्रभाव था, जो कई शताब्दियों पहले बौद्ध शिक्षा और आध्यात्मिकता का एक जीवंत केंद्र हुआ करता था. एक बच्चे के रूप में भी उन्हें हमेशा समाज में बदलाव लाने की तीव्र इच्छा महसूस होती थी. वे स्वामी विवेकानंद के कार्यों से बहुत प्रभावित थे, जिसने अध्यात्म की ओर उनकी यात्रा की नींव रखी और जिसने उन्हें भारत को जगत गुरु बनाने के स्वामीजी के सपने को पूरा करने के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया.
नरेंद्र मोदी परिवार वृक्ष
नरेंद्र मोदी के परिवार को अक्सर मोदी ने लाइमलाइट से दूर रखा है. 1968 में उनकी शादी जशोदाबेन से हुई थी, लेकिन दोनों ने आपसी सहमति से अपने जीवन के ज्यादातर समय अलग-अलग रहने का फैसला किया. नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका हैं और एक शांत स्वभाव की हैं. अगर नरेंद्र मोदी और जशोदाबेन के बच्चों की बात करें तो उनके जीवन में कोई संतान नहीं है. अपने परिवार के साथ उनका रिश्ता और पारिवारिक जीवन में शामिल हुए बिना सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित जीवन जीने का उनका फैसला राजनीतिक नेताओं का अध्ययन करने वाले उम्मीदवारों के लिए उनके व्यक्तित्व और जीवन का एक दिलचस्प हिस्सा है.
नरेंद्र मोदी और आरएसएस
17 साल की उम्र में उन्होंने पूरे भारत की यात्रा करने के लिए घर छोड़ दिया. दो साल तक उन्होंने भारत के विशाल परिदृश्य की यात्रा की और विभिन्न संस्कृतियों की खोज की. जब वे घर लौटे तो वे एक बदले हुए व्यक्ति थे और उनके पास जीवन में क्या हासिल करना है, इसका एक स्पष्ट लक्ष्य था. वे अहमदाबाद गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए. आरएसएस एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है जो भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की दिशा में काम कर रहा है. 1972 में आरएसएस के प्रचारक बनने के बाद से अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी के लिए यह एक कठिन दिनचर्या थी. उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता था और देर रात तक चलता था. 1970 के दशक के उत्तरार्ध में युवा नरेंद्र मोदी ने आपातकाल से जूझ रहे भारत में लोकतंत्र को बहाल करने के आंदोलन में भी भाग लिया.