नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के बड़े नेताओं ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर मंगलवार को कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, 'आज उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था.
The mindset which led to the imposition of the Emergency is very much alive among the same Party which imposed it. They hide their disdain for the Constitution through their tokenism but the people of India have seen through their antics and that is why they have rejected them…
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2024
आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है. जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह आज भी उसी पार्टी में मौजूद है जिसने आपातकाल लगाया था. वे संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को अपने दिखावे के माध्यम से छिपाते हैं, लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को समझ चुकी है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार नकार दिया है.'
देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। साल 1975 में आज के ही दिन कांग्रेस के द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2024
अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी… pic.twitter.com/puZbzdGdzp
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विपक्षी पार्टी के देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है. भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने 'एक्स' पर कहा कि आज जो लोग भारतीय लोकतंत्र के रक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
June 25, 1975- this is the day the Congress Party's politically driven decision to impose a state of emergency shook the very pillars of our democracy and tried to trample over the Constitution given by Dr. Ambedkar.
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 25, 2024
During this period, those who today claim to be guardians of…
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल, जिसे उन्होंने 1977 में हटाकर चुनाव की घोषणा कर दी थी, भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है जिसे भुलाया नहीं जा सकता. सिंह ने 'एक्स' पर कहा कि इस अवधि के दौरान तानाशाही और सत्ता का दुरुपयोग खुलेआम प्रदर्शित हुआ. उन्होंने कहा कि इससे कई राजनीतिक दलों की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा होता है.
भाजपा की ओर से कांग्रेस की यह तीखी आलोचना विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को संविधान के खिलाफ काम करने वाला बताने के समन्वित अभियान के बीच आई है. 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने पर सोमवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्य संसद में संविधान की प्रतियां लेकर आए.
आज के ठीक 49 साल पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का वह काला अध्याय है जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता। सत्ता के दुरुपयोग, और तानाशाही का जिस तरह खुला खेल उस दौरान खेला गया, वह कई राजनीतिक दलों की…
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 25, 2024
पीएम मोदी ने सोमवार को कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए आपातकाल का हवाला दिया और लोगों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि ऐसी स्थिति कभी न दोहराई जाए. 'एक्स' पर हिंदी में लिखे अपने पोस्ट में शाह ने कहा कि 'अहंकारी और निरंकुश' कांग्रेस सरकार ने एक परिवार की सत्ता की खातिर 21 महीने तक लोगों के नागरिक अधिकारों को निलंबित कर रखा था.
उन्होंने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई, संविधान में संशोधन किया गया और यहां तक कि न्यायपालिका पर भी अंकुश लगा दिया गया. भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा आपातकाल लगाने के राजनीतिक फैसले ने लोकतंत्र के स्तंभों को हिलाकर रख दिया है, क्योंकि उन्होंने बी आर अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को कुचलने की कोशिश की है.
उन्होंने कहा, 'इस दौरान जो लोग आज भारतीय लोकतंत्र के रक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.' नड्डा ने कहा, 'मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी उस परंपरा से संबंधित है, जिसने आपातकाल का डटकर विरोध किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम किया.'