ETV Bharat / bharat

पेंशन अधिकार है... दान नहीं, लेकिन नियमों के तहत ही दावा किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट - Supreme Court on Pension

author img

By Sumit Saxena

Published : Jul 27, 2024, 11:04 PM IST

Supreme Court on Pension: यूपी रोडवेज के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों के संघ द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेंशन एक संवैधानिक अधिकार है, जिसका कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति पर हकदार होता है.

Supreme Court on Pension
सुप्रीम कोर्ट (Getty Images)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेंशन एक अधिकार है, न कि दान. यह एक संवैधानिक अधिकार है, जिसका कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति पर हकदार होता है. हालांकि, पेंशन का दावा तभी किया जा सकता है, जब यह संबंधित नियमों या योजना के तहत स्कीकृत हो. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यूपी रोडवेज के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों के संघ द्वारा दायर याचिकाओं के पर फैसला सुनाया.

पीठ ने 26 जुलाई को अपने फैसले में कहा कि अगर कोई कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत आता है और पेंशन योग्य पद पर नहीं है, तो वह पेंशन का दावा नहीं कर सकता है, न ही कोर्ट नियोक्ता को ऐसे कर्मचारी को पेंशन देने का निर्देश दे सकता है, जो नियमों के तहत कवर नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ और खंडपीठ ने विशेष अपीलों और रिट याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अपीलकर्ता या याचिकाकर्ता पेंशन योग्य पद पर नहीं हैं और इसलिए वे पेंशन पाने के हकदार नहीं हैं. याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

हाईकोर्ट ने कहा था कि अपीलकर्ताओं को कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत लाभ सहित सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त होने के बाद भी इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती कि उन्हें पेंशन भी दी जानी चाहिए. यूपी परिवहन निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने तर्क दिया कि सभी अपीलकर्ताओं ने पहले ही कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत सेवानिवृत्ति के बाद लाभ लेने का विकल्प चुना है और उसका लाभ उठाया है, इसलिए उनके वर्तमान दावे को हाईकोर्ट द्वारा सही तरीके से खारिज कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें- नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की जारी रहेगी अंतरिम रोक, 5 अगस्त को अगली सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेंशन एक अधिकार है, न कि दान. यह एक संवैधानिक अधिकार है, जिसका कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति पर हकदार होता है. हालांकि, पेंशन का दावा तभी किया जा सकता है, जब यह संबंधित नियमों या योजना के तहत स्कीकृत हो. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यूपी रोडवेज के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों के संघ द्वारा दायर याचिकाओं के पर फैसला सुनाया.

पीठ ने 26 जुलाई को अपने फैसले में कहा कि अगर कोई कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत आता है और पेंशन योग्य पद पर नहीं है, तो वह पेंशन का दावा नहीं कर सकता है, न ही कोर्ट नियोक्ता को ऐसे कर्मचारी को पेंशन देने का निर्देश दे सकता है, जो नियमों के तहत कवर नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ और खंडपीठ ने विशेष अपीलों और रिट याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अपीलकर्ता या याचिकाकर्ता पेंशन योग्य पद पर नहीं हैं और इसलिए वे पेंशन पाने के हकदार नहीं हैं. याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

हाईकोर्ट ने कहा था कि अपीलकर्ताओं को कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत लाभ सहित सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त होने के बाद भी इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती कि उन्हें पेंशन भी दी जानी चाहिए. यूपी परिवहन निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने तर्क दिया कि सभी अपीलकर्ताओं ने पहले ही कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत सेवानिवृत्ति के बाद लाभ लेने का विकल्प चुना है और उसका लाभ उठाया है, इसलिए उनके वर्तमान दावे को हाईकोर्ट द्वारा सही तरीके से खारिज कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें- नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की जारी रहेगी अंतरिम रोक, 5 अगस्त को अगली सुनवाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.