पटनाः पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि पत्नी के प्रजनन अंग न होने के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता है. जस्टिस पीबी बजंथ्री की खंडपीठ ने इस आधार पर जमुई फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के निर्णय को रद्द कर दिया. यह निर्णय महिलाओं के सम्मान और अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.
क्या है मामला: जमुई फैमिली कोर्ट में एक व्यक्ति ने तलाक के लिए याचिका दायर की थी. जिसमें तर्क दिया गया था कि उसकी पत्नी के प्रजनन अंग नहीं हैं, जिससे वो संतान सुख से वंचित रहेगा. पति ने इसे अपनी वैवाहिक जीवन में 'असहनीय क्रूरता' बताते हुए तलाक की मांग की थी. फैमिली कोर्ट ने इस तर्क को मानते हुए तलाक का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट का निर्णय: इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने पटना हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने जमुई फैमिली कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि पत्नी के प्रजनन अंग न होने को तलाक का आधार नहीं माना जा सकता. न्यायमूर्ति पीबी बजंथ्री की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि किसी महिला के प्रजनन अंग न होने को वैवाहिक जीवन में असहनीय क्रूरता नहीं माना जा सकता.
फैसले का महत्व: हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि संतान प्राप्ति का अधिकार सिर्फ एक महिला के प्रजनन अंग पर निर्भर नहीं है, और दंपति के बीच प्रेम और सहयोग से ही वैवाहिक जीवन को सफल बनाया जा सकता है. इस फैसले ने महिलाओं के अधिकारों और वैवाहिक जीवन में समानता के सिद्धांत को सुदृढ़ किया है. हाईकोर्ट का यह फैसला महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा.
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