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'बिना अनुमति के दूसरी शादी की तो पति के पेंशन पर नहीं होगा दूसरी पत्नी का हक', पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला - PATNA HIGH COURT - PATNA HIGH COURT

PATNA HIGH COURT BIG DECISION:पटना हाई कोर्ट ने पति की पेंशन पर दूसरी पत्नी के दावे को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश से ये स्पष्ट किया है कि यदि सरकारी कर्मचारी ने बगैर अनुमति लिए दूसरी शादी की है तो उसकी दूसरी पत्नी पेंशन और दूसरे लाभों की अधिकारी नहीं होगी, पढ़िये पूरी खबर,

पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला
पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 13, 2024, 4:11 PM IST

पटनाः पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी और फिर दूसरी पत्नी के पेंशन पर हक को लेकर पटना हाई कोर्ट ने अहम आदेश दिया है. पटना हाई कोर्ट के जस्टिस हरीश कुमार ने एक मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में ये स्पष्ट किया कि यदि सरकारी कर्मचारी बिना अनुमति के दूसरी शादी करता है तो उसकी दूसरी पत्नी का पेंशन और दूसरे लाभों का हक नहीं मिलेगा.

बेबी देवी की याचिका खारिजः मामला बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर से जुड़ा है. जानकारी के मुताबिक मासिक श्रमिक के रूप में कार्यरत नागेंद्र सिंह की मृत्यु 2020 में हुई थी. जिसके बाद स्व. नागेंद्र सिंह की दूसरी पत्नी बेबी देवी ने पेंशन को लेकर याचिका दायर की थी.याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने वित्त विभाग के एक प्रस्ताव के आलोक में कहा कि यदि किसी अधिकारी की एक से अधिक विधवाएं जीवित हों, तो पेंशन का भुगतान बराबर हिस्से में किया जाएगा. लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

2023 में कोर्ट ने दिया था जांच का आदेशः स्व. नागेंद्र सिंह की दूसरी पत्नी की याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता आरके शुक्ला एवं प्रत्युष प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि पेंशन एवं अन्य लाभ के भुगतान को लेकर पहली पत्नी समुंदर देवी ने भी पूर्व में हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी. जिस पर 2023 में जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय को आदेश दिया था कि वो ये सुनिश्चित करे कि कर्मचारी ने दूसरी शादी करने से पहले विश्वविद्यालय से अनुमति ली थी या नहीं.यदि ये पाया जाता है कि दूसरी शादी की अनुमति नहीं ली गई है,तो पहली पत्नी पेंशन एवं अन्य लाभ की अधिकारी होगी.

विश्वविद्यालय ने पहली पत्नी के पक्ष में दिया था फैसलाः कोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने पूरे मामले की जांच करवाई और विश्वविद्यालय ने जून 2024 में साक्ष्य के आधार पर पहली पत्नी के पक्ष में निर्णय देते हुए उसे सभी लाभ का अधिकारी माना.इस बीच दूसरी पत्नी ने कोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर विश्वविद्यालय के फैसले को चुनौती दी. सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि दिनांक 06.09.1996 द्वारा लिए गया संकल्प स्पष्ट रूप से दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन देने पर रोक लगाता है.

दूसरी पत्नी के बच्चे लाभ के हकदारः इस मामले में कोर्ट ने ये भी माना कि दूसरी पत्नी के बच्चे आनुपातिक लाभ के हकदार हैं, लेकिन इस मामले में नागेंद्र सिंह की दूसरी पत्नी से हुईं दोनों बेटियों की शादियां हो चुकी हैं. ऐसे में पटना हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों को देखते हुए पेंशन को लेकर दूसरी पत्नी बेबी देवी की याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ेंःपटना हाई कोर्ट का आदेश: सारण जिला परिषद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सात दिन में नई बैठक - Patna High Court

पटना हाई कोर्ट ने BPSC से किया जवाब-तलब, जानें क्या है मामला - Patna High Court

पटनाः पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी और फिर दूसरी पत्नी के पेंशन पर हक को लेकर पटना हाई कोर्ट ने अहम आदेश दिया है. पटना हाई कोर्ट के जस्टिस हरीश कुमार ने एक मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में ये स्पष्ट किया कि यदि सरकारी कर्मचारी बिना अनुमति के दूसरी शादी करता है तो उसकी दूसरी पत्नी का पेंशन और दूसरे लाभों का हक नहीं मिलेगा.

बेबी देवी की याचिका खारिजः मामला बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर से जुड़ा है. जानकारी के मुताबिक मासिक श्रमिक के रूप में कार्यरत नागेंद्र सिंह की मृत्यु 2020 में हुई थी. जिसके बाद स्व. नागेंद्र सिंह की दूसरी पत्नी बेबी देवी ने पेंशन को लेकर याचिका दायर की थी.याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने वित्त विभाग के एक प्रस्ताव के आलोक में कहा कि यदि किसी अधिकारी की एक से अधिक विधवाएं जीवित हों, तो पेंशन का भुगतान बराबर हिस्से में किया जाएगा. लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

2023 में कोर्ट ने दिया था जांच का आदेशः स्व. नागेंद्र सिंह की दूसरी पत्नी की याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता आरके शुक्ला एवं प्रत्युष प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि पेंशन एवं अन्य लाभ के भुगतान को लेकर पहली पत्नी समुंदर देवी ने भी पूर्व में हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी. जिस पर 2023 में जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय को आदेश दिया था कि वो ये सुनिश्चित करे कि कर्मचारी ने दूसरी शादी करने से पहले विश्वविद्यालय से अनुमति ली थी या नहीं.यदि ये पाया जाता है कि दूसरी शादी की अनुमति नहीं ली गई है,तो पहली पत्नी पेंशन एवं अन्य लाभ की अधिकारी होगी.

विश्वविद्यालय ने पहली पत्नी के पक्ष में दिया था फैसलाः कोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने पूरे मामले की जांच करवाई और विश्वविद्यालय ने जून 2024 में साक्ष्य के आधार पर पहली पत्नी के पक्ष में निर्णय देते हुए उसे सभी लाभ का अधिकारी माना.इस बीच दूसरी पत्नी ने कोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर विश्वविद्यालय के फैसले को चुनौती दी. सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि दिनांक 06.09.1996 द्वारा लिए गया संकल्प स्पष्ट रूप से दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन देने पर रोक लगाता है.

दूसरी पत्नी के बच्चे लाभ के हकदारः इस मामले में कोर्ट ने ये भी माना कि दूसरी पत्नी के बच्चे आनुपातिक लाभ के हकदार हैं, लेकिन इस मामले में नागेंद्र सिंह की दूसरी पत्नी से हुईं दोनों बेटियों की शादियां हो चुकी हैं. ऐसे में पटना हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों को देखते हुए पेंशन को लेकर दूसरी पत्नी बेबी देवी की याचिका खारिज कर दी.

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