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संसदीय समिति ने आतंकवाद निरोधक मामले में रणनीतिक मुद्दों पर विदेश मंत्रालय की खिंचाई की - PARLIAMENTARY PANEL MEA

शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की समिति ने कहा कि आतंकवाद, साइबर संबंधी मामलों को लेकर विशेषज्ञों का एक पूल बनाना महत्वपूर्ण है.

Parliamentary panel raps MEA
संसद (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने विदेश मंत्रालय की कड़ी आलोचना की है क्योंकि वह आतंकवाद से निपटने के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों, साइबर संबंधी मामलों और वित्तीय प्रौद्योगिकी से निपटने के लिए समर्पित विशेषज्ञों का एक समूह बनाने में विफल रहा है.

विदेश मामलों की समिति ने सरकार द्वारा आतंकवाद रोधी तंत्र को उन्नत करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की. हालांकि, आतंकवाद रोधी क्षेत्र में हवाई आतंकवाद, एन्क्रिप्टेड संदेश सेवाएं, आतंकवाद के वित्तपोषण का डिजिटल तरीका आदि जैसी नई और उभरती चुनौतियों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए ऐसे तंत्रों की निरंतर समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया.

वैश्विक आतंकवादी समूहों की कार्यप्रणाली को देखते हुए समिति ने इच्छा व्यक्त की कि सरकार को एक कदम आगे रहना चाहिए. साथ ही सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के समन्वय से नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, साइबर संबंधी मामलों और वित्तीय प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए समर्पित विशेषज्ञों का एक समूह बनाना चाहिए.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने हाल ही में संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की. थरूर ने रिपोर्ट में कहा, 'समिति ने पाया कि उनकी इच्छा के अनुसार समर्पित विशेषज्ञों का एक समूह बनाने का मंत्रालय द्वारा की गई कार्रवाई में कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इसलिए समिति अपनी सिफारिश के इस पहलू को दोहराती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह इस संबंध में सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के साथ-साथ हितधारकों के परामर्श से कार्रवाई करे.'

समिति ने कहा कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, ड्रोन, आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के दुरुपयोग को देखते हुए भारत का आतंकवाद विरोधी तंत्र कानूनों में संशोधन के साथ अन्य सभी क्षेत्रों को मजबूत किया जा रहा ताकि इसका मुकाबला किया जा सके. विदेश मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि गृह मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियां ​​जैसे आईबी, अमेरिका सहित अन्य देशों के साथ मिलकर अपने कार्मिकों को नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाती है.

मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा, 'संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ बातचीत करके, अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति पर काम कर रहा है. मंत्रालय ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 में साइबर हमले और साइबर आतंकवाद से निपटने के प्रावधान है. अधिनियम, 2000 की धारा 66एफ में साइबर आतंकवाद के लिए विशेष रूप से कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.

मंत्रालय ने कहा, 'इसके अलावा सरकार आपत्तिजनक सामग्री वाली वेबसाइटों और यूआरएल को अवरुद्ध करने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत त्वरित कार्रवाई करती है. इसमें आतंकवाद के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी एन्क्रिप्टेड संदेश सेवाओं के खातों को निलंबित करना शामिल है.

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69ए सरकार को भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, किसी भी संज्ञेय अपराध के लिए उकसावे को रोकने का अधिकार देती है.

ये भी पढ़ें- DGP-IG सम्मेलन: पीएम मोदी ने डिजिटल धोखाधड़ी, साइबर अपराध, AI से उत्पन्न खतरों पर चिंता जताई - PM MODI

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने विदेश मंत्रालय की कड़ी आलोचना की है क्योंकि वह आतंकवाद से निपटने के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों, साइबर संबंधी मामलों और वित्तीय प्रौद्योगिकी से निपटने के लिए समर्पित विशेषज्ञों का एक समूह बनाने में विफल रहा है.

विदेश मामलों की समिति ने सरकार द्वारा आतंकवाद रोधी तंत्र को उन्नत करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की. हालांकि, आतंकवाद रोधी क्षेत्र में हवाई आतंकवाद, एन्क्रिप्टेड संदेश सेवाएं, आतंकवाद के वित्तपोषण का डिजिटल तरीका आदि जैसी नई और उभरती चुनौतियों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए ऐसे तंत्रों की निरंतर समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया.

वैश्विक आतंकवादी समूहों की कार्यप्रणाली को देखते हुए समिति ने इच्छा व्यक्त की कि सरकार को एक कदम आगे रहना चाहिए. साथ ही सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के समन्वय से नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, साइबर संबंधी मामलों और वित्तीय प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए समर्पित विशेषज्ञों का एक समूह बनाना चाहिए.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने हाल ही में संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की. थरूर ने रिपोर्ट में कहा, 'समिति ने पाया कि उनकी इच्छा के अनुसार समर्पित विशेषज्ञों का एक समूह बनाने का मंत्रालय द्वारा की गई कार्रवाई में कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इसलिए समिति अपनी सिफारिश के इस पहलू को दोहराती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह इस संबंध में सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के साथ-साथ हितधारकों के परामर्श से कार्रवाई करे.'

समिति ने कहा कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, ड्रोन, आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के दुरुपयोग को देखते हुए भारत का आतंकवाद विरोधी तंत्र कानूनों में संशोधन के साथ अन्य सभी क्षेत्रों को मजबूत किया जा रहा ताकि इसका मुकाबला किया जा सके. विदेश मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि गृह मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियां ​​जैसे आईबी, अमेरिका सहित अन्य देशों के साथ मिलकर अपने कार्मिकों को नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाती है.

मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा, 'संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ बातचीत करके, अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति पर काम कर रहा है. मंत्रालय ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 में साइबर हमले और साइबर आतंकवाद से निपटने के प्रावधान है. अधिनियम, 2000 की धारा 66एफ में साइबर आतंकवाद के लिए विशेष रूप से कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.

मंत्रालय ने कहा, 'इसके अलावा सरकार आपत्तिजनक सामग्री वाली वेबसाइटों और यूआरएल को अवरुद्ध करने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत त्वरित कार्रवाई करती है. इसमें आतंकवाद के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी एन्क्रिप्टेड संदेश सेवाओं के खातों को निलंबित करना शामिल है.

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69ए सरकार को भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, किसी भी संज्ञेय अपराध के लिए उकसावे को रोकने का अधिकार देती है.

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