राज्यसभा में गुरुवार को विपक्ष ने उड़ान योजना को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि सरकार हवाई चप्पल पहनने वाले लोगों को हवाई यात्रा कराने की बात कर रही थी लेकिन देश का आम आदमी आज महंगाई से परेशान है.
भारतीय वायुयान विधेयक 2024 पर उच्च सदन में चर्चा के दौरान बीजू जनता दल (बीजद) सदस्य सुलता देव ने 'उड़े देश का आम आदमी' (उड़ान) योजना को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह योजना नाकाम रही है क्योंकि लोग खाद्य पदाथों सहित विभिन्न चीजों की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं, ऐसे में वे हवाई यात्रा करने की बात सिर्फ सोच ही सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हवाई किराया भी इतना अधिक है कि लोग उससे परेशान हैं. उन्होंने हवाई किराए पर नियंत्रण की मांग करते हुए दावा किया कि इस संबंध में विमानन कंपनियां मनमानी करती हैं.
बीजद सदस्य ने कहा कि यात्रियों को थोड़ी देर होने पर भी बोर्डिंग पास नहीं दिया जाता जबकि विमानन कंपनियों की उड़ानों में अक्सर देर होती रहती है और इसके लिए यात्रियों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता.
चर्चा में भाग लेते हुए सपा सदस्य रामजी लाल सुमन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित जेवर हवाई अड्डा के लिए किसानों से उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था. उन्हें पहले चरण का मुआवजा दे दिया गया है. सुमन ने कहा कि किसानों को दूसरे एवं तीसरे चरण का मुआवजा नहीं मिला है जो चिंता का विषय है. उन्होंने बंद की गयी उड़ानों की समीक्षा करने और नयी उड़ानें शुरू करने की मांग भी की.
चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) नेता एच डी देवेगौड़ा ने कर्नाटक के हासन में प्रस्तावित हवाई अड्डा चालू करने की मांग की. वाईएसआरसीपी सदस्य एस निरंजन रेड्डी ने विधेयक के नाम को लेकर सवाल किया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लंघन है. उन्होंने सुझाव दिया कि विधेयक का नाम अंग्रेजी में भी होना चाहिए.
भाजपा के बृजलाल ने कहा कि मौजूद कानून 90 साल पुराना है और इसमें 21 बार संशोधन हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के इस कानून में इतने पैबंद लग गए हैं कि मूल कानून ही नहीं बचा है.
उन्होंने कहा कि देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयासरत है और यह विधेयक उसी दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के शेष हिस्से से अलग-थलग नहीं रह सकता है और शिकागो संधि का हिस्सा होने के कारण भी यह विधेयक जरूरी है.
भाजपा सदस्य ने कहा कि सरकार विमानन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रयासरत है और इसका असर भी दिख रहा है. उन्होंने कहा कि एक समय देश में हवाई अड्डों की कुल संख्या सिर्फ 74 थी जो अब बढ़कर 149 हो गयी है. उन्होंने कहा कि देश में अब 1500 विमानों का बेड़ा है.
राकांपा-एसपी सदस्य फौजिया खान ने कहा कि इस विधेयक में ड्रोन आदि को शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कार्बन उत्सर्जन, प्रदूषण पर काबू या पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का भी जिक्र नहीं किया गया है. उन्होंने अकेली हवाई यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए विशेष सीट और सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की.
भाकपा के संतोष कुमार पी ने भी विधेयक के नाम पर आपत्ति जतायी और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 348 के अनुरूप नहीं है. भाजपा के भीम सिंह ने कहा कि सरकार पुराने कानूनों को बदल रही है और यह विधेयक उसी दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य व्यापक है और इसमें डिजाइन को भी शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि 90 साल पुराने मूल कानून में पतंग और गुब्बारों को भी वायुयान कहा गया था.