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संसद सत्र 2024: प्रोटेम स्पीकर के चुनाव से नाराज कांग्रेस, सांसदों के शपथ ग्रहण में नहीं करेगी सहयोग - Parliament Session 18th Loksabha

Congress On Pro Tem Speaker Election: कोडिक्कुन्निल सुरेश की जगह भ्रातृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने पर कांग्रेस नाराज है. पार्टी का कहना है कि एनडीए सरकार संसद की परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन कर रही है.

Congress
प्रोटेम स्पीकर के चुनाव से नाराज कांग्रेस (ANI)
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By ANI

Published : Jun 24, 2024, 9:51 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस नेता कोडिक्कुन्निल सुरेश की जगह भ्रातृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. इसको लेकर इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए स्पीकर की कुर्सी पर नहीं बैठने का फैसला किया है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है.

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की पार्टियां इस बात से नाराज हैं कि आठ बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश की जगह मेहताब को प्रोटेम स्पीकर बनाकर परंपरा को तोड़ा गया है. कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ दलित सांसद कोडिक्कुन्निल सुरेश की जगह मेहताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बीजेपी द्वारा की गई नियुक्ति वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करने की पारंपरिक प्रथा से अलग है.

'रीति-रिवाजों का उल्लंघन'
मामले में के सुरेश ने कहा, "हम दावा कर रहे हैं कि आठ बार के सांसद को प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए. उन्होंने (बीजेपी) गलत किया है और अब पूरा देश सरकार के फैसले की आलोचना कर रहा है. वहीं, कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने कहा कि एनडीए सरकार ने सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया है. भारत की संसद से जुड़ी कुछ रीति-रिवाज हैं और हमेशा सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर बनने का मौका दिया जाता है, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो.

'दलित सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनने नहीं दिया'

ईडन ने कहा, 'दुर्भाग्य से केरल से आठ बार सांसद रहे दलित सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनने नहीं दिया गया. यह एनडीए सरकार के दलित और देश के शोषित समुदाय के प्रति रवैये को दर्शाता है. उन्होंने सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया है. भले ही यह सत्र मुश्किल से आठ दिनों का है, लेकिन विपक्ष के साथ इस पर आम सहमति होनी चाहिए थी क्योंकि हम देश की करीब 45 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.'

18वीं लोकसभा के पहला सत्र
उल्लेखनीय है कि 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह होगा. पहला सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है क्योंकि विपक्ष 26 जून को अध्यक्ष के चुनाव, NEET-UG और UGC-NET में पेपर लीक के आरोपों पर चर्चा और प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर विवाद के मुद्दे पर बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को घेर सकता है.

यह भी पढ़ें- आज से शुरू होगा 18 वीं लोकसभा का पहला सत्र, पीएम मोदी के साथ शपथ लेंगे नव निर्वाचित सदस्य - First session of 18th Lok Sabha

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस नेता कोडिक्कुन्निल सुरेश की जगह भ्रातृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. इसको लेकर इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए स्पीकर की कुर्सी पर नहीं बैठने का फैसला किया है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है.

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की पार्टियां इस बात से नाराज हैं कि आठ बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश की जगह मेहताब को प्रोटेम स्पीकर बनाकर परंपरा को तोड़ा गया है. कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ दलित सांसद कोडिक्कुन्निल सुरेश की जगह मेहताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बीजेपी द्वारा की गई नियुक्ति वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करने की पारंपरिक प्रथा से अलग है.

'रीति-रिवाजों का उल्लंघन'
मामले में के सुरेश ने कहा, "हम दावा कर रहे हैं कि आठ बार के सांसद को प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए. उन्होंने (बीजेपी) गलत किया है और अब पूरा देश सरकार के फैसले की आलोचना कर रहा है. वहीं, कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने कहा कि एनडीए सरकार ने सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया है. भारत की संसद से जुड़ी कुछ रीति-रिवाज हैं और हमेशा सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर बनने का मौका दिया जाता है, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो.

'दलित सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनने नहीं दिया'

ईडन ने कहा, 'दुर्भाग्य से केरल से आठ बार सांसद रहे दलित सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनने नहीं दिया गया. यह एनडीए सरकार के दलित और देश के शोषित समुदाय के प्रति रवैये को दर्शाता है. उन्होंने सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया है. भले ही यह सत्र मुश्किल से आठ दिनों का है, लेकिन विपक्ष के साथ इस पर आम सहमति होनी चाहिए थी क्योंकि हम देश की करीब 45 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.'

18वीं लोकसभा के पहला सत्र
उल्लेखनीय है कि 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह होगा. पहला सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है क्योंकि विपक्ष 26 जून को अध्यक्ष के चुनाव, NEET-UG और UGC-NET में पेपर लीक के आरोपों पर चर्चा और प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर विवाद के मुद्दे पर बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को घेर सकता है.

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