Samajwadi Party MP On Sengol In Parliament: समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा से 'सेंगोल' को हटाने की मांग की है. इस पर भाजपा नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. सपा सांसद चौधरी ने इसे 'राजा का डंडा' या लोकतंत्र में राजशाही का एक पुराना प्रतीक बताते हुए कहा कि संसद में सेंगोल की जगह संविधान की एक बड़ी प्रतिकृति होनी चाहिए.
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)
नई दिल्ली: लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित 'सेंगोल' इस संसद सत्र का नया मुद्दा बन गया है. विपक्षी सांसदों ने लोकतंत्र में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए हैं और भाजपा ने उन पर भारतीय संस्कृति का अनादर करने का आरोप लगाया है.
समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे गए पत्र के बाद 'सेंगोल' पर बहस शुरू हो गई है. मोहनलालगंज के सांसद ने कहा है कि 'सेंगोल' की जगह संविधान की प्रति रखनी चाहिए.
उन्होंने लिखा कि संविधान को अपनाने से देश में लोकतंत्र की शुरुआत हुई और संविधान इसका प्रतीक है. बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में स्पीकर की कुर्सी के बगल में 'सेंगोल' स्थापित किया. सेंगोल एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ राजदंड होता है. राजदंड का अर्थ राजा की छड़ी भी होता है. राजाओं के युग के बाद हम स्वतंत्र हो गए हैं.
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि अब, हर पुरुष और महिला जो एक योग्य मतदाता है, इस देश को चलाने के लिए सरकार चुनता है. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या देश संविधान से चलेगा या राजा की छड़ी से? उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ने मांग की कि 'लोकतंत्र को बचाने' के लिए 'सेंगोल' को संविधान की एक प्रति से बदला जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर अखिलेश यादव के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन करने के बाद समाजवादी पार्टी इस लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद बी मणिकम टैगोर ने 'सेंगोल' विवाद पर समाजवादी पार्टी के सांसद की बात दोहराई.
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम बहुत स्पष्ट हैं कि 'सेंगोल' राजशाही का प्रतीक है और राज-युग समाप्त हो गया है. हमें लोगों के लोकतंत्र और संविधान का जश्न मनाना चाहिए. चौधरी की मांग का समर्थन राजद सांसद और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने भी किया. उन्होंने कहा कि जिसने भी यह मांग की है, मैं उसका स्वागत करती हूं.
इस बीच, भाजपा ने विपक्ष पर 'संगोल' हमले को लेकर पलटवार किया है. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने संसद में सेंगोल का विरोध किया है. उनका कहना है कि यह 'राजा का डंडा' है, अगर यह 'राजा का डंडा' होता तो जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को क्यों स्वीकार किया? यह समाजवादी पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है. पहले उन्होंने रामचरितमानस पर हमला किया और उसे गाली दी, अब सेंगोल को, जो भारतीय और तमिल संस्कृति का हिस्सा है.
क्या डीएमके सेंगोल के इस तरह के अपमान का समर्थन करती है, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए. सवाल यह है कि दशकों से सेंगोल को लाठी बनाने की मानसिकता एक बार फिर समाजवादी पार्टी के रूप में सामने आई है. वे भारतीय संस्कृति का सम्मान नहीं करते, वे तमिल संस्कृति का सम्मान नहीं करते और इसलिए वे फिर से सेंगोल का अपमान कर रहे हैं. डीएमके को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
भाजपा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि उन्हें सेंगोल का मूल्य और राजनीतिक निहितार्थ नहीं पता है. यह इस देश के शासन में नैतिक मूल्यों की स्थापना का प्रतीक है. सेंगोल इसलिए है ताकि कोई पीएम अराजकता, तानाशाही और आपातकालीन व्यवस्था स्थापित न कर सके.
नई दिल्ली: लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित 'सेंगोल' इस संसद सत्र का नया मुद्दा बन गया है. विपक्षी सांसदों ने लोकतंत्र में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए हैं और भाजपा ने उन पर भारतीय संस्कृति का अनादर करने का आरोप लगाया है.
समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे गए पत्र के बाद 'सेंगोल' पर बहस शुरू हो गई है. मोहनलालगंज के सांसद ने कहा है कि 'सेंगोल' की जगह संविधान की प्रति रखनी चाहिए.
उन्होंने लिखा कि संविधान को अपनाने से देश में लोकतंत्र की शुरुआत हुई और संविधान इसका प्रतीक है. बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में स्पीकर की कुर्सी के बगल में 'सेंगोल' स्थापित किया. सेंगोल एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ राजदंड होता है. राजदंड का अर्थ राजा की छड़ी भी होता है. राजाओं के युग के बाद हम स्वतंत्र हो गए हैं.
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि अब, हर पुरुष और महिला जो एक योग्य मतदाता है, इस देश को चलाने के लिए सरकार चुनता है. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या देश संविधान से चलेगा या राजा की छड़ी से? उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ने मांग की कि 'लोकतंत्र को बचाने' के लिए 'सेंगोल' को संविधान की एक प्रति से बदला जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर अखिलेश यादव के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन करने के बाद समाजवादी पार्टी इस लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद बी मणिकम टैगोर ने 'सेंगोल' विवाद पर समाजवादी पार्टी के सांसद की बात दोहराई.
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम बहुत स्पष्ट हैं कि 'सेंगोल' राजशाही का प्रतीक है और राज-युग समाप्त हो गया है. हमें लोगों के लोकतंत्र और संविधान का जश्न मनाना चाहिए. चौधरी की मांग का समर्थन राजद सांसद और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने भी किया. उन्होंने कहा कि जिसने भी यह मांग की है, मैं उसका स्वागत करती हूं.
इस बीच, भाजपा ने विपक्ष पर 'संगोल' हमले को लेकर पलटवार किया है. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने संसद में सेंगोल का विरोध किया है. उनका कहना है कि यह 'राजा का डंडा' है, अगर यह 'राजा का डंडा' होता तो जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को क्यों स्वीकार किया? यह समाजवादी पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है. पहले उन्होंने रामचरितमानस पर हमला किया और उसे गाली दी, अब सेंगोल को, जो भारतीय और तमिल संस्कृति का हिस्सा है.
क्या डीएमके सेंगोल के इस तरह के अपमान का समर्थन करती है, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए. सवाल यह है कि दशकों से सेंगोल को लाठी बनाने की मानसिकता एक बार फिर समाजवादी पार्टी के रूप में सामने आई है. वे भारतीय संस्कृति का सम्मान नहीं करते, वे तमिल संस्कृति का सम्मान नहीं करते और इसलिए वे फिर से सेंगोल का अपमान कर रहे हैं. डीएमके को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
भाजपा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि उन्हें सेंगोल का मूल्य और राजनीतिक निहितार्थ नहीं पता है. यह इस देश के शासन में नैतिक मूल्यों की स्थापना का प्रतीक है. सेंगोल इसलिए है ताकि कोई पीएम अराजकता, तानाशाही और आपातकालीन व्यवस्था स्थापित न कर सके.