नई दिल्ली : संसद ने सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक तथा फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ तीन साल से 10 साल तक की जेल और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने के प्रावधान वाले 'लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024' को शुक्रवार को मंजूरी दे दी.
राज्यसभा ने इस विधेयक पर हुई चर्चा का कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह द्वारा जवाब देने के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.
मंत्री सिंह ने कहा कि संसद में यह अपनी तरह का पहला विधेयक है. उन्होंने कहा कि ऐसा इस कारण है कि हमारे पूर्ववर्तियों ने कभी सोचा नहीं होगा कि देश में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
उन्होंने कहा कि कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले दस वर्ष में जो कहा है, उसे पूरा किया है विशेषकर युवाओं के क्षेत्र में. उन्होंने कहा कि रोजगार प्रदान करने के मामले में सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए काम किया.
उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए कई पहल कर रही है और इसमें आधुनिक प्रौद्योगिकी की भरपूर मदद ली जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार सुविधा प्रदाता की भूमिका निभा रही है.
सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयासों के कारण आज युवा बड़ी संख्या में स्टार्ट अप्स खोलने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं. उन्होंने कहा कि आज भारतीय प्रतिमा को अमेरिका सहित विश्व के प्रमुख देश स्वीकार कर रहे हैं और उनका सम्मान कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि चंद्रमा के अभियान में अमेरिका भारत से पहले प्रयास कर रहा था किंतु भारत उससे पहले चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंच गया. सिंह ने विधेयक के जरिये राज्यों के अधिकारों में अतिक्रमण करने के कुछ सदस्यों के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र किसी पर यह थोप नहीं रहा है किंतु यदि कोई राज्य इसे अपनाना चाहता है तो केंद्र उसको सुविधा प्रदान करेगा.
उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश के युवाओं को परेशान करने के लिए नहीं लाया गया है और अधिकृत उम्मीदवार इसके दायरे से बाहर रहेंगे. विधेयक में कहा गया है, 'प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना', 'सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना' और 'कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना' किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या संस्थानों द्वारा किए गए अपराध हैं.
विधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी.
इसमें नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक के कारावास और इस तरह के संगठित अपराध में शामिल लोगों को पांच से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. प्रस्तावित कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
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