पन्ना : यहां मजदूर राजू गोंड को बेशकीमती 19 कैरेट 22 सेंट का भारी भरकम हीरा मिला है. 250 रु में परमिशन लेकर खुदाई कर रहे राजू गोंड की खुशी का ठिकाना नहीं है. राजू ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, '' आप ने खदान पर आकर खबर बनाई थी और आज मुझे हीरा मिल गया है. मैं बहुत खुश हूं और अब जो पैसे मिलेंगे उससे बाल बच्चों की परवरिश करूंगा और जमीन भी खरीदूंगा.''
ईटीवी भारत ने चलाई थी 250 रु में करोड़पति बनने की खबर
बता दें कि 18 जुलाई को ईटीवी भारत ने 250 रु में करोड़पति बनने की खबर लगाई थी. इस खबर में ग्राउंड जीरो पर जाकर बताया गया था कि कैसे मजदूर राजू गोंड और राजू आदिवासी पन्ना की उथली खदानों से परमिशन लेकर हीरा खोज रहे हैं. इस खबर में यह भी बताया गया था कि भारत का कोई भी नागरिक महज 250 रु खर्च कर यहां हीरा खदान में हीरा खोज सकता है. राजू गोंड ने बताया था कि कभी-कभी यहां सालों हीरा नहीं मिलता है और कभी किस्मत चमकी तो एक-दो दिन में हीरा मिल जाता है.
हीरा कार्यालय में होगी नीलामी
हीरा मिलने के बाद राजू ने नियम मुताबिक हीरे को कार्यालय पन्ना में जमा करवाया है. जहां पर कुछ दिनों बाद ही इस हीरे की नीलामी होगी. सबसे ऊंची बोली लगाने वाले व्यापारी को हीरा मिल जाएगा, इसके बाद राजू गोंड को इसका पैसा उसके खाते में डाल दिया जाएगा.
पन्ना कलेक्टर ने मजदूर से की मुलाकात
वर्ष 2024 में अबतक हीरा कार्यालय पन्ना में कुल आठ नग हीरे जमा हुए हैं, जो कुल 59 कैरेट 65 सेंट के हैं. इसमें 19 कैरेट 22 सेंट का एक बड़ा हीरा आज जमा किया गया है. हीरा मिलने पर पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार ने मजदूर राजू गोंड व उसके परिवार से मुलाकात की और हीरा भी देखा. उन्होंने हीरा देखने के बाद राजू को शुभकामनाएं और शाबाशी देते हुए हीरा कार्यालय से सर्टिफिकेट जारी किया.
इतनी है हीरे की अनुमानित कीमत
पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार ने राजू को सर्टिफिकेट जारी करते हुए कहा, '' एक पट्टेदार हैं चुनूं वादा गोंड (राजू के पिता) को 19 कैरेट 22 सेंट का हीरा मिला है, जो कार्यालय में जमा कराया गया है. इसकी अनुमानित कीमत 80 लाख रु है जो नीलामी में 1 करोड़ से ऊपर जा सकती है. पन्ना हीरों की नगरी है और यहां हीरे निकलते रहते हैं. आशा है कि लोगों को और भी हीरे मिलें.''
मजदूर की पारिवारिक स्थिति
बता दें की हीरा मिलने वाले मजदूर की पारिवारिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. वह पन्ना जिले के ग्राम पंचायत अहीरगुआ के ग्राम अहीरगुआ कैंप में रहता है. उसने अपने पिता चुनूं वादा गोंड के नाम हीरा कार्यालय पन्ना में पट्टा बनवाया था. इस हीरे में राजू गोंड, उसके भाई राकेश और मां सावित्री का हिस्सा है. राजू गोंड ने बताया कि कर्ज लेकर वह हीरे की खदान खोदता रहा है और आज उसकी किस्मत चमक गई. उसकी 6 बेटियां हैं और मजदूरी करके वह अपना परिवार चलाता था. हालांकि, अब उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी.
ईटीवी भारत ने 18 जुलाई को चलाई थी ये स्पेशल रिपोर्ट- |
हीरे की उथली खदानों से कैसे निकलता है हीरा?
18 जुलाई को हीरे की खोज में खुदाई कर रहे मजदूर राजू आदिवासी ने बताया था कि पहले हीरे की खुदाई के लिए हीरा कार्यालय से शासकीय पट्टा बनवाना पड़ता है. इसके बाद हीरा कार्यालय द्वारा जमीन चिन्हित कर दी जाती है. इसके बाद वहां पर गड्ढा खोदना शुरू किया जाता है. कई फीट मिट्टी हटाने के बाद हीरे का चाल मिलता है. इस चाल को दूसरे गड्ढे में डालकर पानी से धोने की प्रक्रिया शुरू की जाती है और उसकी मिट्टी हटाई जाती है. सिर्फ कंकड़-कंकड़ बच जाते हैं और इन्हीं कंकड़ों और चाल में हीरे मिलते हैं. भारत का कोई भी नागरिक यहां 250 रु में पट्टा बनवाकर हीरा खोज सकता है. इसके लिए 6 महीने तक का वक्त दिया जाता है. इसके बाद हीरा मिले पर इसे हीरा कार्यालय पन्ना में जमा करना होता है, जहां सरकारी नियमों व हीरे की कीमत के हिसाब से भुगतान कर दिया जाता है.