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पैर कट गए लेकिन हौसला रहा कायम, पलामू के इस खिलाड़ी ने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में देश को दिलाया गोल्ड, जानिए सफलता की कहानी - DISABLED PLAYER

पलामू में जुझारू युवाओं की कमी नहीं है. जानिए कहानी एक ऐसे युवा की जो अपना पैर गंवाने के बावजूद प्रेरणा दे रहे हैं.

Rajesh Kumar Mehta
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 10, 2024, 5:09 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 5:24 PM IST

पलामूः कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी परेशानी आपकी सफलता के आड़े नहीं आ सकती है. ऐसा ही कमाल कर दिखाया है पलामू के राजेश कुमार मेहता ने. राजेश ने वर्ष 2004 में मात्र आठ वर्ष की उम्र में अपना एक पैर गंवा दिया था. लेकिन उन्होंने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में सफलता का परचम लहराया है. पलामू के पाटन प्रखंड के कांके कला गांव निवासी राजेश कुमार मेहता वर्ष 2024 में भारतीय पारा थ्रो बॉल टीम के उपकप्तान बने और टीम को गोल्ड मेडल जिताया. साथ ही 2024 में भारत के बेस्ट थ्रो बॉल प्लेयर भी बने.

बता दें कि कंबोडिया में इंटरनेशनल पारा थ्रो बॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम विजेता बनी थी, जबकि कंबोडिया की टीम उपविजेता बनी. उक्त टूर्नामेंट में भारतीय टीम का नेतृत्व उपकप्तान के रूप में राजेश कुमार मेहता ने किया था. टूर्नामेंट का फाइनल मैच कंबोडिया में तीन दिसंबर को खेला गया था. टूर्नामेंट में भारत, कंबोडिया, जॉर्डन, मलेशिया, ताइवान, ब्रूनोई, थाईलैंड आदि देशों की टीम ने भाग लिया था.

पारा थ्रो बॉल खिलाड़ी राजेश कुमार मेहता से बात करती ईटीवी भारत संवाददाता नीरज कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

सड़क हादसे में गंवाना पड़ा था पैर

राजेश कुमार मेहता ने आठ वर्ष की उम्र में सड़क हादसे में अपना एक पैर गंवा दिया था. काफी संघर्ष के बाद उन्होंने पलामू के जिला स्कूल एडमिशन लिया. जिला स्कूल में स्पोर्ट्स कोच से उन्होंने खेलने की इच्छा जाहिर की, लेकिन स्पोर्ट्स कोच ने राजेश कुमार मेहता से कहा कि वह खेल नहीं सकते हैं.

स्पोर्ट्स कोच के मना करने के बावजूद राजेश ने हौसला नहीं हारा. इसके कुछ दिनों बाद राजेश रांची में पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए गए थे, जहां उनकी थ्रो बॉल के कोच से मुलाकात हुई. इसके बाद कोच कंचन कुमार के नेतृत्व में उन्होंने ट्रेनिंग ली.

लगातार दो वर्षों तक असफल रहने के बाद उन्होंने थ्रो बॉल में झारखंड के टीम का प्रतिनिधित्व किया और राजस्थान में आयोजित टूर्नामेंट में झारखंड की टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. झारखंड के विजेता बनने के बाद राजेश कुमार मेहता को भारत में बेस्ट पारा थ्रो बॉल प्लेयर का खिताब मिला. बाद में उन्हें भारतीय टीम का उपकप्तान बनाया गया और कंबोडिया में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला.

'वर्ष 2004 में सड़क हादसे में एक पैर गंवाना पड़ा था. लेकिन हिम्मत नहीं हारा और आगे बढ़ता गया. फिलहाल एशिया कप की तैयारी कर रहा हूं. भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए काफी खुशी हो रही है.''-राजेश कुमार मेहता

खेती पर निर्भर है राजेश का परिवार

राजेश कुमार मेहता का परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर है. राजेश कुमार के दोनों भाई किसान हैं, लेकिन राजेश को खेलने का हौसला देते हैं. राजेश कुमार मेहता फिलहाल एशिया कप की तैयारी कर रहे हैं. इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पलामू एसपी रीष्मा रमेशन, नगर आयुक्त जावेद हुसैन, डीएसडब्ल्यूओ नीता चौहान, एबीसीआईएल ने मदद की थी. राजेश की मां बताती हैं कि जब राजेश के साथ घटना हुई थी तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. लेकिन आज अच्छा लग रहा है कि बेटा नाम रोशन कर रहा है. उन्होंने सरकार से मदद की उम्मीद जताई है.

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पलामूः कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी परेशानी आपकी सफलता के आड़े नहीं आ सकती है. ऐसा ही कमाल कर दिखाया है पलामू के राजेश कुमार मेहता ने. राजेश ने वर्ष 2004 में मात्र आठ वर्ष की उम्र में अपना एक पैर गंवा दिया था. लेकिन उन्होंने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में सफलता का परचम लहराया है. पलामू के पाटन प्रखंड के कांके कला गांव निवासी राजेश कुमार मेहता वर्ष 2024 में भारतीय पारा थ्रो बॉल टीम के उपकप्तान बने और टीम को गोल्ड मेडल जिताया. साथ ही 2024 में भारत के बेस्ट थ्रो बॉल प्लेयर भी बने.

बता दें कि कंबोडिया में इंटरनेशनल पारा थ्रो बॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम विजेता बनी थी, जबकि कंबोडिया की टीम उपविजेता बनी. उक्त टूर्नामेंट में भारतीय टीम का नेतृत्व उपकप्तान के रूप में राजेश कुमार मेहता ने किया था. टूर्नामेंट का फाइनल मैच कंबोडिया में तीन दिसंबर को खेला गया था. टूर्नामेंट में भारत, कंबोडिया, जॉर्डन, मलेशिया, ताइवान, ब्रूनोई, थाईलैंड आदि देशों की टीम ने भाग लिया था.

पारा थ्रो बॉल खिलाड़ी राजेश कुमार मेहता से बात करती ईटीवी भारत संवाददाता नीरज कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

सड़क हादसे में गंवाना पड़ा था पैर

राजेश कुमार मेहता ने आठ वर्ष की उम्र में सड़क हादसे में अपना एक पैर गंवा दिया था. काफी संघर्ष के बाद उन्होंने पलामू के जिला स्कूल एडमिशन लिया. जिला स्कूल में स्पोर्ट्स कोच से उन्होंने खेलने की इच्छा जाहिर की, लेकिन स्पोर्ट्स कोच ने राजेश कुमार मेहता से कहा कि वह खेल नहीं सकते हैं.

स्पोर्ट्स कोच के मना करने के बावजूद राजेश ने हौसला नहीं हारा. इसके कुछ दिनों बाद राजेश रांची में पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए गए थे, जहां उनकी थ्रो बॉल के कोच से मुलाकात हुई. इसके बाद कोच कंचन कुमार के नेतृत्व में उन्होंने ट्रेनिंग ली.

लगातार दो वर्षों तक असफल रहने के बाद उन्होंने थ्रो बॉल में झारखंड के टीम का प्रतिनिधित्व किया और राजस्थान में आयोजित टूर्नामेंट में झारखंड की टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. झारखंड के विजेता बनने के बाद राजेश कुमार मेहता को भारत में बेस्ट पारा थ्रो बॉल प्लेयर का खिताब मिला. बाद में उन्हें भारतीय टीम का उपकप्तान बनाया गया और कंबोडिया में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला.

'वर्ष 2004 में सड़क हादसे में एक पैर गंवाना पड़ा था. लेकिन हिम्मत नहीं हारा और आगे बढ़ता गया. फिलहाल एशिया कप की तैयारी कर रहा हूं. भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए काफी खुशी हो रही है.''-राजेश कुमार मेहता

खेती पर निर्भर है राजेश का परिवार

राजेश कुमार मेहता का परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर है. राजेश कुमार के दोनों भाई किसान हैं, लेकिन राजेश को खेलने का हौसला देते हैं. राजेश कुमार मेहता फिलहाल एशिया कप की तैयारी कर रहे हैं. इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पलामू एसपी रीष्मा रमेशन, नगर आयुक्त जावेद हुसैन, डीएसडब्ल्यूओ नीता चौहान, एबीसीआईएल ने मदद की थी. राजेश की मां बताती हैं कि जब राजेश के साथ घटना हुई थी तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. लेकिन आज अच्छा लग रहा है कि बेटा नाम रोशन कर रहा है. उन्होंने सरकार से मदद की उम्मीद जताई है.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 5:24 PM IST
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