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प.बंगाल: पद्मश्री से सम्मानित दुखु माझी आज भी टूटे घर में रहते - Padma Shri awardee - PADMA SHRI AWARDEE

Padma Shri awardee lives is a broken house: पश्चिम बंगाल के रहने वाले दुखु माझी पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं लेकिन वह एक टूटे हुए घर में रहते हैं. सोशल मीडिया पर ऐसा दावा किया गया. पर्यावरण संरक्षण को लेकर उन्होंने बड़े काम किए हैं.

Padma Shri awardee Dukhu Majhi
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित दुखु माझी (ETV Bharat w. Bengal Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2024, 8:04 AM IST

बाघमुंडी : पद्मश्री दुखु माझी श्मशान में शव जलाने के बाद बची हुई लकड़ियों से बाड़ बनाते थे. इसके बाद उन्होंने पुरुलिया जिले में अनगिनत पेड़ लगाए और उन्हें बाड़ से घेर दिया. तब से दुखु माझी का नाम बदलकर 'गछ बाबा' (पेड़ बाबा) कर दिया गया. बाद में उन्हें अपने काम के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला लेकिन पद्मश्री दुखु अपनी जिंदगी को बेहतर नहीं बना पाए.

पद्मश्री दुखु माझी आज भी टाइल और क्लैपबोर्ड से ढके एक घर में रहते हैं. दुखु माझी पुरुलिया के बाघमुंडी के सिंदरी के रहने वाले हैं. पेड़ लगाने जैसे महान कार्य के लिए भले ही उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया हो, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति कभी नहीं सुधरी. वर्तमान में दुखु माझी को पुरुलिया शहर सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक और निजी समारोहों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है.

हाल ही में वन विभाग के अधिकारियों ने दुखु माझी से जिले में वृक्षारोपण अभियान में सलाहकार बनने का प्रस्ताव रखा. हाल ही में दुखु माझी की कहानी की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई. उसके बाद एक समूह ने मांग की है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें घर दिया जाए. दुखु माझी ने खुद ही यह दावा किया है. उन्होंने अपने पास आए वन विभाग के अधिकारियों से भी गुहार लगाई.

'गाछ बाबा' दुखु माझी ने कहा, 'आप सब तो जानते ही हैं. मेरा घर बन जाए तो अच्छा है. नहीं तो मैं कहां रहूंगा? और नहीं तो मुझे कुछ नहीं कहना है. मैंने पेड़ लगाए हैं, आगे भी लगाऊंगा. वो पेड़ ही मेरा घर हैं. वो सबका घर हैं.' सरकारी दस्तावेज कुछ और ही कहते हैं. बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था तो सवाल यह है कि जब उन्हें घर मिला तो वे कहां बनाए गए? नाम न बताने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि दुखु माझी के उपलब्ध आवास योजना के मकान में उनका बेटा निर्मल माझी रहता है.

जिस जमीन पर वे घर बनाकर रहते हैं, वह उनकी नहीं है. जमीन के मूल मालिक ने उनके पूर्वजों को उस जमीन पर रहने की इजाजत दी थी. वे सुरक्षित घर को छोड़कर आवास योजना के घर में नहीं गए. सवाल यह है कि ऐसा क्यों? स्थानीय ग्राम पंचायत के तृणमूल सदस्य अफरोज अंसारी कहते हैं, 'दुखू माझी को वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था.

हालांकि, उस घर में उनके बड़े बेटे और उनका परिवार रहता है. जिस झोपड़ी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वह 200 मीटर दूर है. वह घर तो है, लेकिन वे वहां नहीं रहते हैं.' इस मामले में सवाल यह है कि क्या दुखू माझी के बेटे के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं? पंचायत सदस्य ने दावा किया, 'ऐसा कुछ नहीं है.

पिता-पुत्र के बीच संबंध अच्छे हैं. दुखू माझी उस घर में रहते हैं.' बाघमुंडी पंचायत समिति के तृणमूल उपाध्यक्ष मानस मेहता ने कहा, 'दुखू माझी हमारे इलाके का गौरव हैं. उन्हें पहले आवास योजना के तहत एक घर मिला था. सरकारी दस्तावेजों में यह जानकारी है. जिन लोगों ने इसकी (दुखू माझी के टूटे हुए घर की) सूचना दी है, उन्होंने गलत जानकारी शेयर की है.'

दूसरी ओर, पुरुलिया जिला परिषद के भाजपा सदस्य राकेश महत ने फिर दावा किया, 'दुखू माझी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था लेकिन, यह पूरा नहीं हुआ है. उनका बेटा वहां रहता है. दुखू माझी मिट्टी के घर में रहते हैं. अगर राज्य सरकार चाहती तो उनके लिए कोई बंदोबस्त कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें- प.बंगाल: बच्ची की अद्‌भुत याददाश्त, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मिली जगह

बाघमुंडी : पद्मश्री दुखु माझी श्मशान में शव जलाने के बाद बची हुई लकड़ियों से बाड़ बनाते थे. इसके बाद उन्होंने पुरुलिया जिले में अनगिनत पेड़ लगाए और उन्हें बाड़ से घेर दिया. तब से दुखु माझी का नाम बदलकर 'गछ बाबा' (पेड़ बाबा) कर दिया गया. बाद में उन्हें अपने काम के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला लेकिन पद्मश्री दुखु अपनी जिंदगी को बेहतर नहीं बना पाए.

पद्मश्री दुखु माझी आज भी टाइल और क्लैपबोर्ड से ढके एक घर में रहते हैं. दुखु माझी पुरुलिया के बाघमुंडी के सिंदरी के रहने वाले हैं. पेड़ लगाने जैसे महान कार्य के लिए भले ही उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया हो, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति कभी नहीं सुधरी. वर्तमान में दुखु माझी को पुरुलिया शहर सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक और निजी समारोहों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है.

हाल ही में वन विभाग के अधिकारियों ने दुखु माझी से जिले में वृक्षारोपण अभियान में सलाहकार बनने का प्रस्ताव रखा. हाल ही में दुखु माझी की कहानी की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई. उसके बाद एक समूह ने मांग की है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें घर दिया जाए. दुखु माझी ने खुद ही यह दावा किया है. उन्होंने अपने पास आए वन विभाग के अधिकारियों से भी गुहार लगाई.

'गाछ बाबा' दुखु माझी ने कहा, 'आप सब तो जानते ही हैं. मेरा घर बन जाए तो अच्छा है. नहीं तो मैं कहां रहूंगा? और नहीं तो मुझे कुछ नहीं कहना है. मैंने पेड़ लगाए हैं, आगे भी लगाऊंगा. वो पेड़ ही मेरा घर हैं. वो सबका घर हैं.' सरकारी दस्तावेज कुछ और ही कहते हैं. बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था तो सवाल यह है कि जब उन्हें घर मिला तो वे कहां बनाए गए? नाम न बताने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि दुखु माझी के उपलब्ध आवास योजना के मकान में उनका बेटा निर्मल माझी रहता है.

जिस जमीन पर वे घर बनाकर रहते हैं, वह उनकी नहीं है. जमीन के मूल मालिक ने उनके पूर्वजों को उस जमीन पर रहने की इजाजत दी थी. वे सुरक्षित घर को छोड़कर आवास योजना के घर में नहीं गए. सवाल यह है कि ऐसा क्यों? स्थानीय ग्राम पंचायत के तृणमूल सदस्य अफरोज अंसारी कहते हैं, 'दुखू माझी को वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था.

हालांकि, उस घर में उनके बड़े बेटे और उनका परिवार रहता है. जिस झोपड़ी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वह 200 मीटर दूर है. वह घर तो है, लेकिन वे वहां नहीं रहते हैं.' इस मामले में सवाल यह है कि क्या दुखू माझी के बेटे के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं? पंचायत सदस्य ने दावा किया, 'ऐसा कुछ नहीं है.

पिता-पुत्र के बीच संबंध अच्छे हैं. दुखू माझी उस घर में रहते हैं.' बाघमुंडी पंचायत समिति के तृणमूल उपाध्यक्ष मानस मेहता ने कहा, 'दुखू माझी हमारे इलाके का गौरव हैं. उन्हें पहले आवास योजना के तहत एक घर मिला था. सरकारी दस्तावेजों में यह जानकारी है. जिन लोगों ने इसकी (दुखू माझी के टूटे हुए घर की) सूचना दी है, उन्होंने गलत जानकारी शेयर की है.'

दूसरी ओर, पुरुलिया जिला परिषद के भाजपा सदस्य राकेश महत ने फिर दावा किया, 'दुखू माझी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला था लेकिन, यह पूरा नहीं हुआ है. उनका बेटा वहां रहता है. दुखू माझी मिट्टी के घर में रहते हैं. अगर राज्य सरकार चाहती तो उनके लिए कोई बंदोबस्त कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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