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Haryana Assembly Election: वो विधानसभा चुनाव जब देवीलाल के दो बेटों में हुई जंग, बड़े भाई ने छोटे को दी थी शिकस्त - OP Chautala Vs Ranjit Chautala

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 17, 2024, 4:44 PM IST

OP Chautala Vs Ranjit Chautala: छोटे से प्रदेश हरियाणा में एक से बढ़कर एक चुनावी किस्से हैं. एक ही ही परिवार की चुनावी जंग भी बेहद रोचक है. इन्हीं में से एक मुकाबला ऐसा है जब देवीलाल के दो बेटे आपस में एक ही सीट पर भिड़ गये थे.

OP Chautala Vs Ranjit Chautala
वो विधानसभा चुनाव जब देवीलाल के दो बेटों में हुई जंग (Photo- ETV Bharat)

चंडीगढ़: हरियाणा के चुनावी किस्से देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल परिवार के बिना पूरे नहीं होते. प्रदेश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा होने की वजह से सबसे ज्यादा कहानियां देवीलाल यानि चौटाला परिवार की हैं. जैसे-जैसे परिवार बढ़ा, वैसे-वैसे राजनीतिक महत्वाकाक्षाएं भी बढ़ती गईं. जिसका नतीजा ये हुआ कि परिवार के बीच ही चुनावी जंग होने लगी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक मौका ऐसा आया जब देवीलाल के दो बेटे एक ही सीट पर आमने-सामने हो गये. ये चुनाव हरियाणा के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में गिना जाता है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2000

ये किस्सा है हरियाणा विधानसभा चुनाव 2000 का. सिरसा की रोरी विधानसभा सीट. इस चुनाव में इनेलो के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री और देवीलाल के बड़े बेटे ओपी चौटाला चुनाव लड़ रहे थे. वहीं कांग्रेस ने ओपी चौटाला को चुनौती देने के लिए उनके खिलाफ देवीलाल के दूसरे बेटे और ओपी चौटाला के छोटे भाई रणजीत चौटाला को उतार दिया. देवीलाल के दो बेटों की जंग की वजह ये ये चुनाव चर्चा का विषय बन गया. रणजीत चौटाला भी पुराने नेता रहे हैं. देवीलाल के समय से वो विधायक और सरकार में मंत्री रह चुके थे. लेकिन देवीलाल की विरासत और पार्टी ओपी चौटाला को मिलने की वजह से रणजीत चौटाला बागी हो गये और दोनों भाइयों के बीच सियासी तल्खी बढ़ती गई.

ओपी चौटाला ने रणजीत चौटाला की दी शिकस्त

बड़े भाई ओपी चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़कर रणजीत चौटाला ने अपनी बगावत को नया आयाम दे दिया. हलांकि इस चुनाव में ओपी चौटाला ने अपने छोटे भाई रणजीत चौटाला को 22 हजार 606 वोट से हरा दिया. 2000 में इनेलो ने सबसे ज्यादा सीटें जीती और ओपी चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस चुनाव में इनेलो को 47 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को महज 21 सीट. हरियाणा में 2000 से 2005 तक पहली बार पूर्णकालिक इनेलो की सरकार बनी.

2 सीट से विधायक चुने गये थे ओपी चौटाला

ओपी चौटाला 2000 के विधानसभा चुनाव में नरवाना और रोरी दोनों सीट से चुनाव लड़े थे. उन्हें दोनों सीटों पर जीत हासिल हुई. चुनाव नतीजे आने के बाद ओपी चौटाला ने रोरी सीट छोड़ने का फैसला किया और नरवाना से विधायक रहे. नरवाला सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के पिता शमशेर सुरजेवाला चुनाव लड़ा करते थे. इसीलिए उनके बाद नरवाना पर रणदीप सुरजेवाला ने दावेदारी ठोंकी. 2000 के चुनाव में भी ओपी चौटाला के सामने रणदीप सुरजेवाला मैदान में थे हलांकि उन्हें 2194 वोट के मामूली अंतर से हार मिली.

उपचुनाव में अभय चौटाला बने विधायक

ओपी चौटाला के रोरी सीट से इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में रोरी से ओपी चोटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने. अभय चौटाला ने भारी बहुमत से विजय हासिल की.

ये भी पढ़ें- हरियाणा का वो विधानसभा चुनाव जब दिग्गज बंसीलाल और भजनलाल के खिलाफ लड़ गये देवीलाल, जानिए क्या हुआ

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चंडीगढ़: हरियाणा के चुनावी किस्से देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल परिवार के बिना पूरे नहीं होते. प्रदेश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा होने की वजह से सबसे ज्यादा कहानियां देवीलाल यानि चौटाला परिवार की हैं. जैसे-जैसे परिवार बढ़ा, वैसे-वैसे राजनीतिक महत्वाकाक्षाएं भी बढ़ती गईं. जिसका नतीजा ये हुआ कि परिवार के बीच ही चुनावी जंग होने लगी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक मौका ऐसा आया जब देवीलाल के दो बेटे एक ही सीट पर आमने-सामने हो गये. ये चुनाव हरियाणा के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में गिना जाता है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2000

ये किस्सा है हरियाणा विधानसभा चुनाव 2000 का. सिरसा की रोरी विधानसभा सीट. इस चुनाव में इनेलो के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री और देवीलाल के बड़े बेटे ओपी चौटाला चुनाव लड़ रहे थे. वहीं कांग्रेस ने ओपी चौटाला को चुनौती देने के लिए उनके खिलाफ देवीलाल के दूसरे बेटे और ओपी चौटाला के छोटे भाई रणजीत चौटाला को उतार दिया. देवीलाल के दो बेटों की जंग की वजह ये ये चुनाव चर्चा का विषय बन गया. रणजीत चौटाला भी पुराने नेता रहे हैं. देवीलाल के समय से वो विधायक और सरकार में मंत्री रह चुके थे. लेकिन देवीलाल की विरासत और पार्टी ओपी चौटाला को मिलने की वजह से रणजीत चौटाला बागी हो गये और दोनों भाइयों के बीच सियासी तल्खी बढ़ती गई.

ओपी चौटाला ने रणजीत चौटाला की दी शिकस्त

बड़े भाई ओपी चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़कर रणजीत चौटाला ने अपनी बगावत को नया आयाम दे दिया. हलांकि इस चुनाव में ओपी चौटाला ने अपने छोटे भाई रणजीत चौटाला को 22 हजार 606 वोट से हरा दिया. 2000 में इनेलो ने सबसे ज्यादा सीटें जीती और ओपी चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस चुनाव में इनेलो को 47 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को महज 21 सीट. हरियाणा में 2000 से 2005 तक पहली बार पूर्णकालिक इनेलो की सरकार बनी.

2 सीट से विधायक चुने गये थे ओपी चौटाला

ओपी चौटाला 2000 के विधानसभा चुनाव में नरवाना और रोरी दोनों सीट से चुनाव लड़े थे. उन्हें दोनों सीटों पर जीत हासिल हुई. चुनाव नतीजे आने के बाद ओपी चौटाला ने रोरी सीट छोड़ने का फैसला किया और नरवाना से विधायक रहे. नरवाला सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के पिता शमशेर सुरजेवाला चुनाव लड़ा करते थे. इसीलिए उनके बाद नरवाना पर रणदीप सुरजेवाला ने दावेदारी ठोंकी. 2000 के चुनाव में भी ओपी चौटाला के सामने रणदीप सुरजेवाला मैदान में थे हलांकि उन्हें 2194 वोट के मामूली अंतर से हार मिली.

उपचुनाव में अभय चौटाला बने विधायक

ओपी चौटाला के रोरी सीट से इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में रोरी से ओपी चोटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने. अभय चौटाला ने भारी बहुमत से विजय हासिल की.

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