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'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर सरकार उठा सकती है बड़ा कदम, संसद के इसी सत्र में बिल पेश होने की संभावना - ONE NATION ONE ELECTION BILL

केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान ही 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल संसद में पेश कर सकती है.

One Nation One Election Bill will be introduced
वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक होगा पेश (file photo- IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 9, 2024, 7:37 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान ही 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल संसद में पेश कर सकती है. बताया जाता है कि सरकार ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है.

इससे पहले कैबिनेट ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी प्रदान कर दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है. इसी के साथ व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है.

सरकार यह भी सुझाव दे सकती है कि विधेयक पर विस्तार से चर्चा हो और सभी विधानसभाओं को चर्चा में भाग लने के लिए कहा जाए. हालांकि अभी इस पर फैसला लिया जाना है कि यह एक व्यापक विधेयक होगा या फिर कई विधेयक, जिनमें संवैधानिक संशोधन का सुझाव भी सम्मिलित होगा.

वन नेशन वन इलेक्शन की राह सरल नहीं

गौरतलब है कि केंद्र सरकार शुरू से ही वन नेशन, वन इलेक्शन के पक्षधर रही है. परंतु मौजूदा व्यवस्था को बदलना भी काफी चुनौतीपूर्ण काम है. इसके मद्देनजर आम सहमति अति आवश्यक है. देश में वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा, और इसके लिए करीब 6 विधेयक लाने पड़ेंगे. साथ ही इन सभी विधेयकों को संसद में पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की भी आवश्यकता होगी.

वहीं दोनों ही सदनों में एनडीए के पास सामान्य बहुमत है. इस वजह से लोकसभा या राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत हासिल करना सरकार के लिए कठिन काम होगा. अभी के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्यसभा में एनडीए के पास 112 तो विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं. वहीं विधेयक को पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 164 मतों की जरूरत होगी.

इसी तरह लोकसभा में एनडीए की 292 सीटें हैं. यहा पर दो तिहाई बहुमत के लिए 364 का आंकड़ा चाहिए होगा. लेकिन लोकसभा में बहुमत केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के आधार पर होता है.

ये भी पढ़ें- वन नेशन वन इलेक्शन: संविधान में संशोधन, NDA और विपक्ष का समर्थन जरूरी, जानें कितना मुमकिन है एक साथ चुनाव?

नई दिल्ली : केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान ही 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल संसद में पेश कर सकती है. बताया जाता है कि सरकार ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है.

इससे पहले कैबिनेट ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी प्रदान कर दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है. इसी के साथ व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है.

सरकार यह भी सुझाव दे सकती है कि विधेयक पर विस्तार से चर्चा हो और सभी विधानसभाओं को चर्चा में भाग लने के लिए कहा जाए. हालांकि अभी इस पर फैसला लिया जाना है कि यह एक व्यापक विधेयक होगा या फिर कई विधेयक, जिनमें संवैधानिक संशोधन का सुझाव भी सम्मिलित होगा.

वन नेशन वन इलेक्शन की राह सरल नहीं

गौरतलब है कि केंद्र सरकार शुरू से ही वन नेशन, वन इलेक्शन के पक्षधर रही है. परंतु मौजूदा व्यवस्था को बदलना भी काफी चुनौतीपूर्ण काम है. इसके मद्देनजर आम सहमति अति आवश्यक है. देश में वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा, और इसके लिए करीब 6 विधेयक लाने पड़ेंगे. साथ ही इन सभी विधेयकों को संसद में पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की भी आवश्यकता होगी.

वहीं दोनों ही सदनों में एनडीए के पास सामान्य बहुमत है. इस वजह से लोकसभा या राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत हासिल करना सरकार के लिए कठिन काम होगा. अभी के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्यसभा में एनडीए के पास 112 तो विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं. वहीं विधेयक को पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 164 मतों की जरूरत होगी.

इसी तरह लोकसभा में एनडीए की 292 सीटें हैं. यहा पर दो तिहाई बहुमत के लिए 364 का आंकड़ा चाहिए होगा. लेकिन लोकसभा में बहुमत केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के आधार पर होता है.

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