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ओडिशा की डिप्टी CM ने खेतों मे उगाए ड्रैगन फ्रूट्स, स्थानीय बाजार में नहीं मिली कीमत, अब दुबई एक्सपोर्ट - Odisha Deputy CM KV Singh

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 15, 2024, 4:54 PM IST

Dragon Fruits Export To Dubai: ओडिशा के बलांगीर जिले के पटनागढ़ में उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव के खेतों में जैविक तरीके से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट्स को दुबई निर्यात किया गया है. इन ड्रैगन फ्रूट्स स्थानीय बाजार में सही कीमत नहीं मिल रही थी.

ड्रैगन फ्रूट्स
ड्रैगन फ्रूट्स (ETV Bharat)

भुवनेश्वर: ओडिशा के बलांगीर जिले के पटनागढ़ में उपमुख्यमंत्री के वी सिंह देव के खेतों में जैविक तरीके से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट्स को दुबई निर्यात किया गया है. उनके खेते के चार क्विंटल फल भेजे दुबई भेजे गए हैं, जिसे राज्य से ड्रैगन फ्रूट्स का पहला निर्यात माना जा रहा है.

इन्हें कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और बागवानी निदेशालय ने किसान उत्पादक संगठनों (FPO) की टेक्निकल असिस्टेंट यूनिट पैलेडियम इंडिया के सहयोग से निर्यात किया गया.

के वी सिंह देव के खेतों में जैविक तरीके से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट्स (ETV Bharat)

स्थानीय बाजार में कीमते कम
अपने चमकीले लाल गूदे और बेहतरीन साइज के लिए मशहूर ड्रैगन फ्रूट की निर्यात को जैविक खेती पद्धतियों का इस्तेमाल करके उगाया गया था. जानकारी के मुताबिक अच्छी क्वालिटी के बावजूद, स्थानीय बाजार में इसकी मांग नहीं थी, जिसके कारण इसकी कीमतें 120 रुपये से लेकर 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक कम थीं.

लगभग सात एकड़ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती
सिंह देव ने एपीडा के साथ सहयोग और राज्य के कृषि निर्यात पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव की सराहना की. मंत्री ने 2021 में कोविड महामारी के दौरान बाजार की आवश्यकताओं और जैविक तरीके से इसकी खेती करने की प्रक्रियाओं के बारे में रिसर्च करने के बाद लगभग सात एकड़ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. अब, लगभग तीन साल बाद, पहला स्टॉक दुबई को निर्यात किया गया है.

मंत्री ने कहा, "कोरोना काल में न तो कोई मेरे पास आया और न ही मैं किसी से मिलने जा सका. उस समय मैंने गूगल पर ताड़ के फल की खेती के बारे में खोजा और पढ़ा. तब खेती करने का मन हुआ. बलांगीर में कुछ और किसान इसकी खेती करते थे. मैं वहां गया और खेती के सिस्टम को समझा.

फलों की जैविक खेती
उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन पर औषधीय गुणों वाले ताड़ के फलों की जैविक खेती शुरू की. वह पिछले 3 वर्षों से खेती कर रहे हैं. इस वर्ष जैविक प्रमाण पत्र मिलने के बाद वह निर्यात के लिए आवेदन करूंगे. फिर वह सीधे फल का निर्यात कर सकते हैं. इस वर्ष जो भी फल दुबई गए हैं, उन्हें दूसरे विशेषज्ञ के माध्यम से भेजा गया है, जिनके पास लाइसेंस है

मंत्री ने आग कहा, "जैविक तरीके से उगाए गए फलों और सब्जियों की भारी मांग है. जैविक ड्रैगन फलों ने कैंसर रोगियों के लिए जबरदस्त लाभ दिखाया है और बल्ड प्रेशर को कम करने और शुगर लेवल को कंट्रोल करने में प्रभावी रहे हैं." उन्होंने उम्मीद जताई कि ये ताजा और जैविक प्रोडक्ट हर घर तक पहुंचेंगे और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों में योगदान देंगे.

यह भी पढ़ें- कौन हैं मुश्ताक बुखारी? जिनकी BJP ने महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला से की तुलना, जानें

भुवनेश्वर: ओडिशा के बलांगीर जिले के पटनागढ़ में उपमुख्यमंत्री के वी सिंह देव के खेतों में जैविक तरीके से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट्स को दुबई निर्यात किया गया है. उनके खेते के चार क्विंटल फल भेजे दुबई भेजे गए हैं, जिसे राज्य से ड्रैगन फ्रूट्स का पहला निर्यात माना जा रहा है.

इन्हें कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और बागवानी निदेशालय ने किसान उत्पादक संगठनों (FPO) की टेक्निकल असिस्टेंट यूनिट पैलेडियम इंडिया के सहयोग से निर्यात किया गया.

के वी सिंह देव के खेतों में जैविक तरीके से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट्स (ETV Bharat)

स्थानीय बाजार में कीमते कम
अपने चमकीले लाल गूदे और बेहतरीन साइज के लिए मशहूर ड्रैगन फ्रूट की निर्यात को जैविक खेती पद्धतियों का इस्तेमाल करके उगाया गया था. जानकारी के मुताबिक अच्छी क्वालिटी के बावजूद, स्थानीय बाजार में इसकी मांग नहीं थी, जिसके कारण इसकी कीमतें 120 रुपये से लेकर 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक कम थीं.

लगभग सात एकड़ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती
सिंह देव ने एपीडा के साथ सहयोग और राज्य के कृषि निर्यात पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव की सराहना की. मंत्री ने 2021 में कोविड महामारी के दौरान बाजार की आवश्यकताओं और जैविक तरीके से इसकी खेती करने की प्रक्रियाओं के बारे में रिसर्च करने के बाद लगभग सात एकड़ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. अब, लगभग तीन साल बाद, पहला स्टॉक दुबई को निर्यात किया गया है.

मंत्री ने कहा, "कोरोना काल में न तो कोई मेरे पास आया और न ही मैं किसी से मिलने जा सका. उस समय मैंने गूगल पर ताड़ के फल की खेती के बारे में खोजा और पढ़ा. तब खेती करने का मन हुआ. बलांगीर में कुछ और किसान इसकी खेती करते थे. मैं वहां गया और खेती के सिस्टम को समझा.

फलों की जैविक खेती
उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन पर औषधीय गुणों वाले ताड़ के फलों की जैविक खेती शुरू की. वह पिछले 3 वर्षों से खेती कर रहे हैं. इस वर्ष जैविक प्रमाण पत्र मिलने के बाद वह निर्यात के लिए आवेदन करूंगे. फिर वह सीधे फल का निर्यात कर सकते हैं. इस वर्ष जो भी फल दुबई गए हैं, उन्हें दूसरे विशेषज्ञ के माध्यम से भेजा गया है, जिनके पास लाइसेंस है

मंत्री ने आग कहा, "जैविक तरीके से उगाए गए फलों और सब्जियों की भारी मांग है. जैविक ड्रैगन फलों ने कैंसर रोगियों के लिए जबरदस्त लाभ दिखाया है और बल्ड प्रेशर को कम करने और शुगर लेवल को कंट्रोल करने में प्रभावी रहे हैं." उन्होंने उम्मीद जताई कि ये ताजा और जैविक प्रोडक्ट हर घर तक पहुंचेंगे और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों में योगदान देंगे.

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